November 4, 2024
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केंद्र सरकार का 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का ऐलान

केंद्र सरकार का 25 जून को 'संविधान हत्या दिवस' मनाने का ऐलान
केंद्र सरकार का 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाने का ऐलान

संविधान हत्या दिवस: संविधान को लेकर विपक्ष आम चुनाव से ही हमलावर है। विपक्ष के नेताओं ने हाथ में संविधान की प्रति लहरा कर ‘संविधान बचाओ’ का नारा दिया था। विपक्ष के संविधान बचाओ नारे को लेकर चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच केंद्र ने इस नारे की काट निकालते हुए अब आपातकाल के मुद्दे को अपना हथियार बना लिया है। केंद्र सरकार ने 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस को मनाना उस दिन की याद दिलाएगा कि संविधान को कैसे कुचला गया। केंद्र ने अपने इस फैसले को उन लाखों लोगों का सम्मान करार दिया है जिन्होंने आपातकाल के दौरान मानवीय यातनाएं झेलीं। 25 जून 1975 को ही तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश पर आपातकाल लगाने का ऐलान किया था जो करीब 21 महीने तक लगा था।

गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना

गृह मंत्रालय ने 11 जुलाई को इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना में कहा गया है कि 25 जून 1975 को आपातकाल लगा था।। उस समय की सरकार ने आपातकाल में सत्ता का घोर दुरुपयोग किया और भारत के लोगों पर ज्यादतियां और अत्याचार हुआ। भारत के लोगों को देश के संविधान और देश के मजबूत लोकतंत्र पर दृढ़ विश्वास है। अतः आपातकाल की अवधि के दौरान सत्ता के घोर दुरुपयोग का सामना और संघर्ष करने वाले सभी लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा,

“ 25 जून को संविधान हत्या दिवस देशवासियों को याद दिलाएगा कि संविधान के कुचले जाने के बाद देश को कैसे-कैसे हालात से गुजरना पड़ा।यह दिन उन सभी लोगों को नमन करने का भी है जिन्होंने आपातकाल की घोर पीड़ा झेली। देश में कांग्रेस के इस दमनकारी कदम को भारतीय इतिहास के काले अध्याय के रूप में हमेशा याद रखा जाएगा।”

अमित शाह ने ट्वीट करते हुए लिखा,

25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण कराएगा जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।”

कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन ने आरोप लगाया था कि यदि मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में आती है तो संविधान और आरक्षण खत्म कर देगी, जिसके चलते भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में काफी नुकसान हुआ था। अब केंद्र सरकार के इस फैसले को विपक्ष के संविधान बचाओ नारे का जवाब माना जा रहा है।

क्यों लगाया गया आपातकाल ?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद 1975 में आपातकाल लागू किया गया था, जिसमें हाई कोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर 12 जून 1975 को फैसला सुनाया था। हाई कोर्ट ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का रायबरेली से निर्वाचन रद्द कर दिया था और अगले 6 साल के लिए उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था इसके बाद इंदिरा गांधी के इस्तीफा की मांग होने लगी और उस समय इंदिरा गांधी ने पूरे देश में आपातकाल लागू कर दिया। इंदिरा गांधी सरकार ने जिन परिस्थितियों में आपातकाल लागू किया और जिस तरह तरीके से इसकी जानकारी दी। उसे लेकर सवाल उठे। विभिन्न संगठनों ने इंदिरा गांधी सरकार के इस फैसले को तानाशाही बताते हुए भारी विरोध शुरू कर दिया। बता दे कि आपातकाल के तहत नागरिकों के सभी मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं।