February 16, 2025
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Donald Trump Oath Ceremony: डोनाल्ड ट्रंप ने लिया शपथ, पहली बार विदेशी नेता बने शपथ ग्रहण के गवाह

Donald Trump Oath Ceremony: डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारतीय समयानुसार, उनका शपथ ग्रहण समारोह रात 10:30 बजे आयोजित हुआ।

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Donald Trump Oath: डोनाल्ड ट्रंप ने लिया शपथ, पहली बार विदेशी नेता बने शपथ ग्रहण के गवाह

Donald Trump Oath Ceremony: डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ ली। भारतीय समयानुसार, उनका शपथ ग्रहण समारोह रात 10:30 बजे आयोजित हुआ। पिछले 40 वर्षों में यह पहली बार था जब शपथ ग्रहण समारोह कैपिटल हिल के अंदर आयोजित किया गया। अमेरिका में बर्फीले तूफान के कारण इस बार का शपथ ग्रहण इनडोर रखा गया।

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शपथ ग्रहण के दौरान तापमान -7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इससे पहले, 1985 में रोनाल्ड रीगन का दूसरा शपथ ग्रहण भी कैपिटल रोटुंडा में हुआ था, जब तापमान -29 डिग्री था। कैपिटल रोटुंडा अमेरिकी संसद भवन के गुंबद के नीचे स्थित है और यह संसद के दोनों कक्षों से जुड़ा हुआ है।

पहली बार विदेशी नेताओं ने किया शपथ ग्रहण में हिस्सा

अमेरिका के 248 साल के इतिहास में पहली बार किसी राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में विदेशी नेताओं को आमंत्रित किया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी व नीता अंबानी मौजूद थे। इसके साथ ही टेस्ला के सीईओ एलन मस्क, अमेजॉन प्रमुख जैफ बेजॉस, और मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने भी शपथ ग्रहण समारोह में भाग लिया।

शपथ ग्रहण के दौरान हुई परंपराएं

शपथ ग्रहण समारोह में अमेरिकी चीफ जस्टिस ने डोनाल्ड ट्रंप को शपथ दिलाई। शपथ के बाद, ट्रंप ने अपना भाषण दिया, जिसमें उन्होंने अपने अगले चार वर्षों के कार्यकाल के लिए योजनाओं पर प्रकाश डाला। इसके बाद राष्ट्रपति की परेड व्हाइट हाउस तक गई, जिसमें सैन्य रेजीमेंट, मार्चिंग बैंड और झांकियां शामिल थीं।

ट्रंप के फैसलों पर टिकी दुनियाभर की नजर

डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनके निर्णयों पर पूरी दुनिया की नजर थी। माना जा रहा है कि ट्रंप का प्रशासन अमेरिका केंद्रित ट्रेड पॉलिसी पर जोर देगा। इसके साथ ही भारत पर अधिक टैरिफ लगाने का दबाव भी बढ़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ऐसा हुआ तो भारत के आईटी, फार्मास्यूटिकल और टेक्सटाइल क्षेत्र के निर्यात पर प्रभाव पड़ सकता है। ट्रंप ने भारत को “आयात के मामले में एब्यूजर” करार दिया था और कहा था कि भारत इस क्षेत्र में सबसे चतुर है और अपने फायदे के लिए अमेरिका के खिलाफ आयात नीति का उपयोग करता है।

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