January 13, 2025
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Glaucoma: ग्लूकोमा, जाने इसके कारण, लक्षण और बचाव

ग्लूकोमा, जिसे ‘दृष्टि का चोर’ भी कहा जाता है, एक गंभीर आंखों की बीमारी है जो बिना किसी लक्षण के धीरे-धीरे आंखों की रोशनी छीन लेती है। यह बीमारी दुनिया भर में अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। इस ब्लॉग में हम ग्लूकोमा के प्रकार, इसके कारण, लक्षण और इससे बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

Glaucoma – Symptoms and causes

ग्लूकोमा (Glaucoma – A Silent Thief of Vision)

Glaucoma: ग्लूकोमा, जाने इसके कारण, लक्षण और बचाव

ग्लूकोमा (Glaucoma): हमारी आंखें हमारे शरीर का वह हिस्सा है जिसके बिना हमारे जीवन में अंधेरा है। यदि आंखें ना हो तो हम इस खूबसूरत दुनिया को ना हीं देख सकते हैं और ना हीं अपने जीवन में किसी कार्य को कर पाएंगे। आंखें हमारे लिए ईश्वर का अनमोल उपहार हैं। इन आंखों की सुरक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन आंखों की एक ऐसी बीमारी भी है जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी को छीन लेती है और हमें पता भी नहीं चलता। हमारा जीवन अंधकारमय हो जाता है। जी हां हम बात कर रहे हैं दुनिया भर में अंधेपन के सबसे बड़े कारणों में से एक ग्लूकोमा (काला मोतिया) के बारे में ।

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ग्लूकोमा भारत में तेजी से बढ़ रही एक आंख संबंधी बीमारी है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से व्यक्ति की आंखों की रोशनी भी जा सकती है। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि भारत में ग्लूकोमा के करीब- करीब 80 फ़ीसदी मामलों का पता ही नहीं चल पाता। ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्ति भी यह नहीं जान पता कि उसे ग्लूकोमा है। ग्लूकोमा को Silent Thief of Vision भी कहा जाता है।

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दुनिया भर के लगभग 8 करोड लोग ग्लूकोमा से पीड़ित है। दुनिया भर में ग्लूकोमा अंधेपन का एक प्रमुख कारण है। ग्लूकोमा एक ऐसी बीमारी है जो ऑप्टिक तांत्रिका को प्रभावित करती है। शुरुआत में इसके लक्षण नजर नहीं आते लेकिन धीरे-धीरे इस बीमारी से आंखों में परेशानी बढ़ती जाती है और समय रहते यदि इस पर ध्यान न दिया जाए तो यह अंधेपन की भी वजह बन सकता है। ग्लूकोमा क्या है? यह कितने प्रकार का होता है? और उसे कैसे बचे? आईए जानते हैं:

क्या है ग्लूकोमा (What is Glaucoma)?

ग्लूकोमा को काला मोतिया के नाम से भी जाना जाता है मोतिया दो प्रकार का होता है

  1. सफेद मोतिया
  2. काला मोतिया

1. सफेद मोतिया

सफेद मोतिया को White Cataract भी कहते हैं सफेद मोतिया उम्र के हिसाब से सबको होता है। सफेद मोतिया का ऑपरेशन करके मोतिया निकाल कर लेंस डाल दिया जाता है जिससे आंखों की पूरी रोशनी वापस आ जाती है।

2. काला मोतिया

काला मोतिया आंख की नस की बीमारी है हमारी आंख एक कैमरे की तरह होती है। बाहर की दुनिया को आंखे देखती हैं तो बाहर का प्रकाश आंख के अंदर जाता है। आंख और ब्रेन के बीच एक केबल होता है जिसे ऑप्टिक नर्व कहते हैं। काला मोतिया में आंख का प्रेशर बढ़ जाता है जिससे आंख की नस, जिसे ऑप्टिक नर्व कहते हैं उसमें कोई क्षति पहुंचती है, जिससे धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चली जाती है।

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काला मोतिया और सफेद मोतिया में क्या है अंतर? (Difference Between Glaucoma and Cataract)

काला मोतिया और सफेद मोतिया में सबसे बड़ा अंतर यह होता है कि सफेद मोतिया में ऑपरेशन के बाद रोशनी वापस आ जाती है जबकि काला मोतिया (ग्लूकोमा) में आंख की रोशनी चली जाती है तो वह किसी भी उपचार से वापस नहीं आती है।

ग्लूकोमा क्यों है खतरनाक?

ग्लूकोमा एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है क्योंकि इसे आंखों का चोर (Silent Thief of Vision) कहा जाता है। इस बीमारी में मरीजों में कोई लक्षण नजर नहीं आते और धीरे-धीरे मरीज की आंखों की रोशनी चली जाती है। इसीलिए यह बीमारी पूरे विश्व में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है।

किन लोगों को है ग्लूकोमा का खतरा? (Who is at Risk for Glaucoma?)

  • ग्लूकोमा नवजात शिशु से लेकर 100 साल तक की उम्र के लोगों को हो सकता है। नवजात शिशु की आंख का आकार यदि बड़ा है, आंख से पानी गिर रहा है या प्रकाश से आंखें बंद हो जा रही है तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। ऐसे बच्चों की आंख का ऑपरेशन करके ठीक किया जा सकता है।
  • स्कूल जाने वाले बच्चों में भी ग्लूकोमा हो सकता है।
  • भारत में 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लगभग 11.2 मिलियन लोग ग्लूकोमा से पीड़ित हैं। जिसका मतलब है कि 40 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों को ग्लूकोमा का सबसे ज्यादा खतरा रहता है ग्लूकोमा पीड़ित केवल 20% लोगों को ही खुद को ग्लूकोमा होने के बारे में पता है।

ग्लूकोमा के प्रकार (Types of Glaucoma)

ग्लूकोमा के मुख्यतः पांच प्रकार होते हैं:

1- ओपन एंगल (क्रॉनिक) ग्लूकोमा (Open Angle (Chronic) Glaucoma)

यह सबसे आम प्रकार का ग्लूकोमा है, जिससे अधिकतर लोग प्रभावित होते हैं। इसमें आंखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसके अतिरिक्त इसमें कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता।

2- एक्यूट एंगल क्लोजर ग्लूकोमा (Acute Angle Closure Glaucoma)

यह एक आपात स्थिति है जिसमें आंखों में तेज दर्द की समस्या होती है। इसमें आंखों के सामने धुंधलापन छाने लगता है जो इस ग्लूकोमा का सबसे आम लक्षण है। ऐसी समस्या उत्पन्न होने पर तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

3- नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा (Normal Tension Glaucoma)

इसे सामान्य तनाव ग्लूकोमा कहते हैं। इसमें ऑप्टिक नर्व पर दबाव बढ़े बिना नुकसान पहुंचता है। ऐसा माना जाता है कि ऑप्टिक नर्व के संवेदनशील होने या उन्हें रक्त की आपूर्ति कम मात्रा में होने से यह समस्या उत्पन्न होती है। इसके वास्तविक कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है।

4 – सेकेंडरी ग्लूकोमा (Secondary Glaucoma )

इस प्रकार का ग्लूकोमा आंखों पर दबाव बढ़ाने वाली चिकित्सक स्थिति के कारण हो सकता है इसके कारण ऑप्टिक नर्व को क्षति पहुंच सकती है जो काला मोतिया का कारण बन जाती है

5- जन्मजात ग्लूकोमा (Congenital Glaucoma)

जन्मजात ग्लूकोमा को कॉनजेनिटल ग्लूकोमा कहा जाता है। यह समस्या जन्मजात, वंशानुगत दोष या गर्भावस्था के कारण असामान्य विकास के कारण हो सकती है।

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ग्लूकोमा के कारण और बचाव (Causes and Prevention)

ग्लूकोमा के कई कारण है इसमें कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार हैं:

यदि किसी के परिवार में किसी को ग्लूकोमा है तो ऐसे में उस व्यक्ति को ग्लूकोमा होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि ऐसा है तो ऐसे व्यक्ति को प्रत्येक वर्ष अपनी आंखों का ग्लूकोमा टेस्ट कराना चाहिए।

यदि किसी की आंख में दूर या पास का मोटा चश्मा लगा हुआ है और चश्मे का नंबर बार-बार बदल रहा है या आपको मधुमेह की बीमारी है तो शुगर का चेकअप तो कराते ही रहे साथ ही आंखों की जांच भी समय पर करवाते रहें। क्योंकि मधुमेह के मरीजों को काला मोतिया होने का भी खतरा रहता है तथा शुगर की वजह से पर्दा भी खराब हो जाता है। इसमें रोशनी जा सकती है। इसलिए साल में एक बार शुगर के मरीज अपनी आंखों के परदे और आंख की जांच अवश्य कराएं।

इसके अतिरिक्त यदि किसी को उच्च रक्तचाप, निम्न रक्तचाप या थायराइड की बीमारी है या किसी भी प्रकार की दवा ले रहे हैं तो इन दवाओं के कारण भी ग्लूकोमा हो जाता है।

आंखों में एलर्जी हो तो स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सहायता से ही आंखों में दवा डालें क्योंकि बिना किसी डॉक्टर की सलाह के एलर्जी की दवा डालने पर एलर्जी तो ठीक हो जाती है लेकिन उस दवा में मौजूद स्टेरॉयड आंखों को आगे चलकर नुकसान पहुंचाते हैं।

ग्लूकोमा के लक्षण (Symptoms of Glaucoma)

आमतौर पर काला मोतिया के लक्षण नजर नहीं आते इसलिए ग्लूकोमा से पीड़ित व्यक्ति को पता ही नहीं चलता और उसकी आंखों की रोशनी चली जाती है। हालांकि समस्या गंभीर होने पर आंखों में ब्लाइंड स्पॉट बढ़ने लगता है। काला मोतिया (ग्लूकोमा ) कुछ सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं –

  • नजर कमजोर होना या धुंधला होना
  • आंखें लाल होना
  • आंखों और सर में तेज दर्द होना
  • जी मिचलाना
  • रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना।

ग्लूकोमा एक गंभीर बीमारी है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। यह आंखों की रोशनी का सबसे खतरनाक चोर है। नियमित जांच और समय पर उपचार से इस बीमारी को रोका जा सकता है। यदि आपको कोई भी लक्षण महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

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FAQ: Glaucoma – A Silent Thief of Vision

ग्लूकोमा क्या है?

ग्लूकोमा, जिसे ‘दृष्टि का चोर’ कहा जाता है, एक आंखों की बीमारी है जो धीरे-धीरे ऑप्टिक नर्व (आंख की नस) को नुकसान पहुँचाती है, जिससे दृष्टि की हानि हो सकती है। यह बीमारी अक्सर लक्षणों के बिना विकसित होती है, इसलिए इसे चुपके से दृष्टिहीनता का कारण माना जाता है।

ग्लूकोमा के कारण क्या हैं?

ग्लूकोमा का मुख्य कारण आंखों का दबाव बढ़ना है, जो ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुँचाता है। इसके अतिरिक्त, पारिवारिक इतिहास, उम्र, आंखों की चोटें, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, और थायराइड रोग भी इसके कारण हो सकते हैं।

ग्लूकोमा के कितने प्रकार होते हैं?

ग्लूकोमा के पांच मुख्य प्रकार होते हैं:
1. ओपन एंगल (क्रॉनिक) ग्लूकोमा
2. एक्यूट एंगल क्लोजर ग्लूकोमा
3. नॉर्मल टेंशन ग्लूकोमा
4. सेकेंडरी ग्लूकोमा
5. जन्मजात ग्लूकोमा

ग्लूकोमा के लक्षण क्या होते हैं?

ग्लूकोमा के आमतौर पर कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते, लेकिन जब स्थिति गंभीर हो जाती है, तो लक्षणों में शामिल हो सकते हैं:
1. धुंधली या मद्धिम दृष्टि
2. आंखों में लालपन
3. तेज आंखों का दर्द या सिर दर्द
4. मिचली आना
5. रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखाई देना

ग्लूकोमा होने का खतरा किसे अधिक होता है?

40 वर्ष से अधिक उम्र के लोग, जिनके परिवार में किसी को ग्लूकोमा हो, उच्च आंखों के दबाव वाले लोग, और डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, या थायराइड जैसी बीमारियों से पीड़ित लोग अधिक जोखिम में होते हैं।

ग्लूकोमा से बचाव कैसे किया जा सकता है?

ग्लूकोमा का पूरी तरह से बचाव नहीं किया जा सकता, लेकिन नियमित आंखों की जांच से इसे जल्दी पकड़ा जा सकता है। डायबिटीज और उच्च रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याओं को नियंत्रित करना, और आंखों की चोटों से बचना भी महत्वपूर्ण है।

क्या ग्लूकोमा का इलाज संभव है?

ग्लूकोमा का इलाज संभव नहीं है, लेकिन समय पर निदान और उपचार से इसकी प्रगति को रोका जा सकता है और दृष्टि की हानि को बचाया जा सकता है। उपचार में दवाएं, लेज़र थेरेपी या सर्जरी शामिल हो सकती है, जो आंखों के दबाव को नियंत्रित करने में मदद करती हैं।

क्या ग्लूकोमा अंधापन का कारण बन सकता है?

हां, अगर ग्लूकोमा का समय पर इलाज न किया जाए, तो यह स्थायी अंधेपन का कारण बन सकता है। यह दुनिया भर में अंधेपन के एक प्रमुख कारण के रूप में जाना जाता है।

ग्लूकोमा का निदान कैसे किया जाता है?

ग्लूकोमा का निदान एक व्यापक आंखों की जांच के माध्यम से किया जाता है, जिसमें आंखों के दबाव की जांच (टोनोमेट्री), ऑप्टिक नर्व की परीक्षा (ऑफ्थाल्मोस्कोपी), और दृष्टि के क्षेत्र का माप (पेरिमेट्री) शामिल है।

मुझे ग्लूकोमा के लिए नियमित आंखों की जांच कब से शुरू करनी चाहिए?

40 वर्ष की आयु से नियमित आंखों की जांच शुरू करनी चाहिए, या यदि आपके पास ग्लूकोमा के लिए जोखिम के कारक जैसे पारिवारिक इतिहास या डायबिटीज जैसी समस्याएं हैं, तो पहले से जांच करानी चाहिए।