About Yogi Adityanath : युगपुरुष एवं हिन्दू राष्ट्रनायक योगी आदित्यनाथ
prashant September 7, 2023About Yogi Adityanath : उत्तर प्रदेश की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा जो न केवल उत्तर प्रदेश और भारत देश अपितु अपने कार्यों और नीतियों से संपूर्ण विश्व में अपनी छाप छोड़ रहा है,वह हैं भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
कहते हैं शेर अपनी ताकत से जंगल का राजा बनता है यह बात योगी आदित्यनाथ पर पूरी तरह से सिद्ध होती है। “पूर्वांचल के शेर” के नाम से प्रसिद्ध योगी आदित्यनाथ दो चुनावाे में सभी को अपनी ताकत का एहसास करवा चुके हैं। योगी आदित्यनाथ एक ऐसे नेता है जिन्होंने कई वर्षों से हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे को उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत देश में जोर-जोर से उठाया।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath)
उत्तर प्रदेश की राजनीति का सबसे चर्चित चेहरा जो न केवल उत्तर प्रदेश और भारत देश अपितु अपने कार्यों और नीतियों से संपूर्ण विश्व में अपनी छाप छोड़ रहा है,वह हैं भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ।
कहते हैं शेर अपनी ताकत से जंगल का राजा बनता है यह बात योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) पर पूरी तरह से सिद्ध होती है। “पूर्वांचल के शेर” के नाम से प्रसिद्ध योगी आदित्यनाथ दो चुनावाे में सभी को अपनी ताकत का एहसास करवा चुके हैं। योगी आदित्यनाथ एक ऐसे नेता है जिन्होंने कई वर्षों से हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे को उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु संपूर्ण भारत देश में जोर-जोर से उठाया।
गेरुआ वस्त्र धारी, मस्तक पर लाल तिलक, मुख मंडल पर लालिमा के साथ ओज,भाषा शैली ऐसी की विरोधी भी परास्त हो जाए, यह पहचान है योगी आदित्यनाथ की।
योगी आदित्यनाथ लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद बने। 1998 में जब उन्होंने लोकसभा का चुनाव जीता तो उनकी उम्र मात्र 26 वर्ष थी।जिस नाथ संप्रदाय से योगी संबंध रखते हैं उसका मानना है कि एक संन्यासी को देशहित, धर्म, राजनीति और संकट में सबसे आगे बढ़कर भाग लेना चाहिए।
“एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला इसी में मेरा विश्वास है।”
योगी आदित्यनाथ के इस कथन से उनके चरित्र का आभास हो जाता है।
आईए जानते हैं योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा के विषय में-
योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा ( Yogi Adityanath's life journey)
योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को गढ़वाल, उत्तराखंड में हुआ था। उनका वास्तविक नाम अजय सिंह बिष्ट है। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे। उनकी माता सावित्री देवी एक कुशल गृहणी थी।सिंह के परिवार में तीन बहने और तीन भाई हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय पौड़ी, उत्तराखंड में हुई।
प्राथमिक शिक्षा पूरी करने की पश्चात उन्होंने1987 में टिहरी के गजा स्कूल से दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1989 में उन्होंने ऋषिकेश के भारत मंदिर इंटर कॉलेज से इंटरमीडियट की परीक्षा उत्तीर्ण की। 1992 में कोटद्वार के गढ़वाल विश्वविद्यालय गणित से बीएससी की परीक्षा उत्तीर्ण की। एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर रिसर्च करने गोरखपुर आए। गोरखनाथ पीठ के महंत अवैद्यनाथ की दृष्टि अजय सिंह बिष्ट पर पड़ी।
शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगीजी को शिक्षा के साथ साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार ने व्यथित कर दिया। प्रारब्ध की प्राप्ति से प्रेरित होकर इन्होंने 22 वर्ष की अवस्था में सांसारिक मोहमाया त्यागकर सन्यास ग्रहण करने का निर्णय ले लिया।
योगी आदित्यनाथ ये बात भली भांति जानते थे कि कोई भी माता-पिता सन्यास ग्रहण करने की आज्ञा नहीं देगा। अतः उन्होंने अपने घर में कुछ नहीं बताया सिर्फ इतना कहा कि वह आगे की पढ़ाई के लिए गोरखपुर जा रहे हैं। घर वालों ने सोचा की अच्छी पढ़ाई करके अच्छी नौकरी प्राप्त हो जाएगी और उन्होंने उन्हें जाने की स्वीकृति दे दी। लेकिन घर वालों को क्या पता था कि योगी घर छोड़कर नहीं घर त्याग कर जा रहे हैं।
योगी आदित्यनाथ के सन्यास जीवन की शुरुआत
गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ से आदित्यनाथ की मुलाकात योगी द्वारा गोरखनाथ पर रिसर्च के दौरान हुई। इस मुलाकात का योगी पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि उन्होंने अजय सिंह बिष्ट से योगी बनने की ठान ली। वह स्वयं को देश एवं समाज सेवा के प्रति समर्पित करने का संकल्प ले चुके थे।
जब संपूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जिहाद, धर्मांतरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता रूपी बेड़ियों में झगड़ा हुआ था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप 15 फरवरी सन 1994 की शुभ तिथि को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ जी ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी का दीक्षाभिषेक संपन्न किया। और अजय सिंह बिष्ट से उनका नाम योगी आदित्यनाथ हो गया। उनके पिता का नाम महंत अवैद्यनाथ हो गया।
जिस प्रकार 22 वर्ष की उम्र में अजय सिंह बिष्ट योगी आदित्यनाथ बने उसी प्रकार 23 साल की उम्र में कृपाल सिंह बिष्ट महंत वैद्यनाथ बने थे। जिस प्रकार योगी आदित्यनाथ को महंत अवैद्यनाथ ने राह दिखाई।उसी प्रकार महंत वैद्यनाथ को महंत दिग्विजय नाथ ने नई राह दिखाई थी। जिस प्रकार महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को राजनीति में उतारा उसी प्रकार दिग्विजय नाथ अवैद्यनाथ को राजनीति में लेकर आए थे। इन दोनों की कहानी काफी मिलती है।
योगी आदित्यनाथ के कट्टरवादी हिंदू नेता की छवि की शुरुआत कब हुई ?
एक बार गोरखपुर के मुख्य बाजार गोलघर में कुछ छात्र दुकान पर कपड़े खरीदने गए और दुकानदार से विवाद होने पर झड़प हो गई। दुकानदार ने रिवाल्वर निकाल ली। गोरखनाथ मंदिर द्वारा संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले इन छात्रों ने दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए योगी की अगुवाई में उग्र प्रदर्शन किया और एसएसपी आवास की दीवार पर चढ़ गए। यह योगी कोई और नहीं बल्कि आदित्यनाथ थे, जो कुछ समय पूर्व ही नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी बने थे।
जिस समय गोरखपुर की राजनीति में दो बाहुबली नेता वीरेंद्र प्रताप शाही और हरिशंकर तिवारी राजनीति पर अपनी पकड़ खो रहे थे, उसी समय गोरखपुर की राजनीति में योगी आदित्यनाथ का प्रवेश एक “एंग्री यंगमैन” की तरह हुआ। गोरखपुर विश्वविद्यालय के सवर्ण नेता और युवा योगी आदित्यनाथ में महंत दिग्विजय नाथ की छवि को देखने लगे थे। और योगी आदित्यनाथ से जुड़ते चले गए। योगी आदित्यनाथ हिंदू ब्रांड के रूप में स्थापित हो गए।
योगी आदित्यनाथ का हिंदू पुनर्जागरण अभियान
योगी आदित्यनाथ ने संन्यासियों के प्रचलित मिथक को तोड़ा। योगी आदित्यनाथ एक योगी की भांति धर्मस्थल में बैठकर आराध्य की उपासना करने के स्थान पर आराध्य के द्वारा प्रतिस्थापित सत्य और उसकी संतानों के उत्थान हेतु गांव- गांव और गाली-गाली निकल पड़े। यह देखते ही देखते शिव भक्तों की लंबी कतार उनके साथ जुड़ती चली गई। इस अभियान ने एक आंदोलन का स्वरूप ग्रहण किया और हिंदू पुनर्जागरण के इतिहास का सृजन हुआ।
योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में व्यापक जन जागरण का अभियान चलाया। छुआछूत और अस्पृश्यता जैसी रूढ़ियों पर सहभोज के माध्यम से जमकर प्रहार किया। वृहद हिंदू समाज को संगठित कर राष्ट्रवादी शक्ति के माध्यम से हजारों मतांतरित हिंदुओं की ससम्मान घर वापसी का कार्य किया। आम जनमानस को गोरक्षा के लिए जागरुक कर गोवंश का संरक्षण एवं संवर्धन करवाया। उत्तर प्रदेश में सक्रिय समाज विरोधी एवं राष्ट्र विरोधी गतिविधियों पर प्रभावी अंकुश लगाया। उनके हिंदू पुनर्जागरण अभियान ने गांव शहर देहात एवं अट्टालिकाओं में बैठे युवाओं पर ऐसा प्रभाव डाला कि इन युवाओं ने हिंदू पुनर्जागरण में स्वयं को पूर्णत: समर्पित कर दिया।
हिंदू युवा वाहिनी का गठन
योगी आदित्यनाथ ने ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्रवादी और माओवादी विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करने वाली “हिंदू युवा वाहिनी” का गठन निजी सेना के रूप में किया। हिंदू युवा वाहिनी पर मुसलमानो पर हमले व सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज हैं। स्वयं योगी आदित्यनाथ पर भी ऐसे कई आरोपों में तीन केस दर्ज हैं।
महाराजगंज के पचरुखिया कांड से इन घटनाओं की शुरुआत हुई जिसमें योगी आदित्यनाथ के काफिले से गोली चलने पर समाजवादी पार्टी के एक नेता के सरकारी गनर की मृत्यु हो गई थी। रिपोर्ट के अनुसार ऐसी घटनाओं की लंबी सूची योगी आदित्यनाथ के खिलाफ है लेकिन उनके खिलाफ कोई सबूत आज तक नहीं मिल पाया। पचरूखिया कांड में सीबीसीआईडी ने योगी आदित्यनाथ को क्लीन चिट दे दी। आज भी योगी आदित्यनाथ का प्रिय विषय लव जिहाद, इस्लामी आतंकवाद ,घर वापसी आदि हैं।
“हिंदू युवा वाहिनी” के खिलाफ भले ही कई केस दर्ज हो लेकिन इस संगठन के कार्यों के परिणाम स्वरुप गोरखपुर में दंगों की रफ्तार धीमी हो गई। गोरखपुर में शांति की स्थापना हुई और इन्हीं कारणों से गोरखपुर की आम जनता का योगी आदित्यनाथ में विश्वास बढ़ता गया। यह योगी आदित्यनाथ के कार्यों और नीतियों का ही परिणाम है कि वर्ष 2014 का चुनाव वे 3 लाख से अधिक मतों से जीते। गोरखपुर की जनता का योगी की सरकार में विश्वास दिनों- दिन बढ़ता ही जा रहा है।
योगी आदित्यनाथ के राजनीतिक जीवन की शुरुआत
गोरखनाथ मंदिर के महंत के उत्तराधिकारी बनने के 4 वर्ष बाद महंत वैद्यनाथ ने आदित्यनाथ को अपना उत्तराधिकारी बनाया। 1998 में राजनीति से संन्यास लेने के बाद महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को नियुक्त किया और इस सीट से 1998 में 26 वर्ष की आयु में वे लोकसभा सांसद बने। अपने पहले चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने 26000 मतों के अंतर से जीत हासिल की।
सांसद के रूप में योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक पारी 1998 से शुरू हुई जब गोरखनाथ मंदिर के पूर्व महंत अवैद्यनाथ ने राजनीति से संन्यास लिया। योगी आदित्यनाथ ने पूज्य गुरुदेव के आदेश एवं गोरखपुर की जनता की मांग पर चुनाव लड़ा और मात्र 26 वर्ष की आयु में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद बने। जनता के बीच प्रतिदिन उपस्थिति, संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले लगभग 1500 ग्राम सभा में प्रतिवर्ष भ्रमण तथा हिंदुत्व और विकास के कार्यक्रमों के कारण गोरखपुर संसदीय क्षेत्र की जनता ने उन्हें 1999, 2004, 2009 और 2014 के चुनाव में निरंतर बढ़ते हुए मतों के अंतर से विजयी बनाकर लगातार चार बार लोकसभा का सदस्य बनाया।
संसद में सक्रिय उपस्थिति एवं संसदीय कार्य में रुचि लेने के कारण योगी आदित्यनाथ को केंद्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग और वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य तेल वितरण, ग्रामीण विकास मंत्रालय,सड़क परिवहन, पोत,नागरिक विमानन, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालयों के स्थाई समिति के सदस्य तथा गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियां में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया गया।
व्यवहार कुशलता दृढ़ता और कर्मठता से उपजी योगी आदित्यनाथ की प्रबंध शैली शोध का विषय है। योगी आदित्यनाथ अपनी अलौकिक प्रबंधकीय शैली के कारण लगभग 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकिय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबंधक एवं संयुक्त सचिव रह चुके हैं।
हिंदुत्व के प्रति अगाध प्रेम तथा मन, वचन और कर्म से हिंदुत्व के प्रहरी योगी को “विश्व हिंदू महासंघ” जैसी हिंदुओं की अंतरराष्ट्रीय संस्था ने अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष तथा भारत इकाई के अध्यक्ष का महत्वपूर्ण दायित्व दिया।
कैसे बने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ?
दिल्ली और बिहार में मिली हार से चिंतित भाजपा उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन को लेकर भी सशंकित की थी लेकिन 2016 के चुनाव में भाजपा ने भारी मतों से उत्तर प्रदेश में जीत दर्ज की। उस समय मुख्यमंत्री के रूप में कई चेहरों की चर्चा हो रही थी लेकिन संत समाज योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री पद पर आसीन देखना चाहता था।
2016 में गोरखनाथ मंदिर में भारतीय संत समाज की चिंतन बैठक में संतों ने कहा कि 1992 में एक होकर हमने ढांचा तोड़ दिया। आज केंद्र में भले ही भाजपा की सरकार है लेकिन प्रदेश में मुलायम सिंह या मायावती की सरकार के रहते, सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आ जाए तो भी राम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण नहीं हो पाएगा। रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण तभी संभव है जब योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाया जाए और 2016 में योगी आदित्यनाथ पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
लेकिन यह सफर याही समाप्त नहीं हुआ। 2022 के मुख्यमंत्री चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से 273 सीट में जीतकर इतिहास रच दिया।
35 वर्ष बाद ऐसा हुआ जब किसी पार्टी ने पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही योगी ने पहले ही दिन से संपूर्ण यूपी में फैले भ्रष्टाचार, अराजकता, जिहाद, धर्मांतरण, नक्सली और माओवादी हिंसा पर नकेल कसनी शुरू कर दी।
भाजपा के फायर ब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी में योगी आदित्यनाथ की ताकत काफी बढ़ गई योगी भाजपा के फायर ब्रांड नेता के रूप में उभरे हैं। आज भारत के किसी भी राज्य में चुनाव हो वहां योगी की जनसभा अवश्य होती है। क्योंकि जनता भी योगी आदित्यनाथ को सुनना चाहती है।
जब योगी आदित्यनाथ संसद में रो पड़े
योगी आदित्यनाथ की छवि एक कट्टरवादी हिंदू नेता की रही है। जनवरी 2007 में गोरखपुर में एक दंगा हुआ और योगी आदित्यनाथ ने इस दंगे के विरोध में धरने पर बैठने की घोषणा कर दी लेकिन जब वह धरने के लिए जा रहे थे उसी समय शांति भंग के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी मामूली धाराओं में थी। इसके बावजूद उन्हें गोरखपुर की जेल में 11 दिनों तक बंद रखा गया। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और मुलायम सिंह मुख्यमंत्री पद पर थे। अपने प्रति हुए इस अन्याय के कारण योगी अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए और 12 मार्च 2007 को संसद के भरे सदन में फूट-फूट कर रो पड़े। उनके आंसुओं में भावनाओं के साथ-साथ दूषित राजनीति के प्रति आक्रोश भी था।
योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या
योगी आदित्यनाथ को जानवरों से अत्यंत लगाव है। योगी आदित्यनाथ सुबह 4:00 बजे उठते हैं और 2 घंटे तक हठयोग करते हैं। योग और प्रार्थना के बाद वे सीधे गौशाला जाते हैं। गायों से इनको गहरा लगाव है। अपने नाश्ता करने से पहले वह गायों को चारा खिलाते हैं। योगी आदित्यनाथ ने एक संस्था बनाई है जो घायल और बीमार जानवरों की मदद करती है और अपनी संस्था में लाकर उनकी सेवा की जाती है। योगी आदित्यनाथ प्रत्येक दिन जनता दरबार लगाकर जनता की समस्याओं को सुनते हैं और इन समस्याओं को सुलझाने का आदेश देते हैं।
योगी आदित्यनाथ के व्यक्तित्व के आयाम
योगी आदित्यनाथ के जीवन के विभिन्न आयाम है। उनका जीवन एक योगी और एक संत का जीवन है। योगी पीड़ित, गरीब, असहाय के प्रति करुणा भाव रखते हैं और किसी के भी प्रति अन्याय एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध सीना तान कर निर्भीकता से खड़ा होने की सामर्थ्य रखते हैं। वे विचारों और सिद्धांतों के प्रति अटल हैं। वे लाभ- हानि मान- सम्मान की चिंता नहीं करते। योगी आदित्यनाथ का उद्देश्य है साहस के साथ किसी भी सीमा तक जाकर धर्म एवं संस्कृति की रक्षा का प्रयास।
सामाजिक समरसता के अग्रदूत योगी आदित्यनाथ
गोरखनाथ ने भारत की जातिवादी रूढ़िवादिता के विरुद्ध जो उद्घोष किया। वह आज भी इस पीठ में अनबरत चला आ रहा है। महंत अवैद्यनाथ जी के पदचिन्हों पर चलते हुए योगी आदित्यनाथ ने भी हिंदू समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद, क्षेत्रवाद, नारी- पुरुष अमीर- गरीब आदि विषमताओं, भेदभाव, छुआछूत पर कठोर प्रहार करते हुए इसके विरुद्ध अनवरत अभियान जारी रखा है।
योगी आदित्यनाथ का स्वास्थ्य सेवा एवं शिक्षा क्षेत्र में योगदान
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद द्वारा आज तीन दर्जन से अधिक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थाएं गोरखपुर एवं महाराजगंज जनपद के रोगियों एवं वनटांगियो के बच्चों को निशुल्क शिक्षा से लेकर बी. एड. एवं पॉलिटेक्निक जैसे रोजगार परक सस्ते एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का अनवरत प्रयास जारी है।
मानवता के प्रति समर्पित जीवन
योगी आदित्यनाथ का जीवन पूर्णतया मानवता को समर्पित है। उन्होंने वैभवपूर्ण ऐश्वर्य को त्याग कर कांटों से भरे मार्ग का चयन किया। उनके जीवन का उद्देश्य है-
“न त्वं कामये राज्यं, न स्वर्ग ना पुनर्भवम्।
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामर्तिनाशनम्।”
अर्थात “हे प्रभु मैं लोक जीवन में राज पाट पाने की कामना नहीं करता हूं। मैं लोकोत्तर जीवन में स्वर्ग और मोक्ष पाने की भी कामना नहीं करता। मैं अपने लिए इन तमाम सुखों के बदले केवल प्राणी मात्र के कष्टों का निवारण ही चाहता हूं।”
योगी आदित्यनाथ के नाम दर्ज हैं कई रिकॉर्ड
- 2007 में मुलायम सिंह के बाद बतौर मुख्यमंत्री चुनाव लड़ने वाले पहले उम्मीदवार बने।
- उत्तर प्रदेश में 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा करने वाली भाजपा के पहले मुख्यमंत्री बने।
- 34 वर्षों से चल रहे नोएडा फैक्टर को तोड़कर जीत हासिल करने वाले मुख्यमंत्री बने।
- योगी लगातार दूसरी बार जीत हासिल करने वाले पांचवे मुख्यमंत्री हैं। उनके पहले 1957 में संपूर्णानंद,1962 में चंद्रभानु गुप्ता, 1974 में हेमवती नंदन बहुगुणा और 1985 में एन.डी. तिवारी ऐसा कर चुके हैं।
योगी सरकार के महत्वपूर्ण फैसले
- अवैध स्लॉटर हाउस बंद करवाया।
- एंटी रोमियो अभियान चलाया जो महिलाओं की सुरक्षा के लिए था।
- उत्तर प्रदेश में माफियाओं के महलों पर बुलडोजर चलवा कर उन्हें मिट्टी में मिलाकर गुंडाराज का सफाया किया।
- श्री राम मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों करवाया।
- महिलाओं के साथ छल से पहचान छुपा कर विवाह करने वालों के लिए कठोर कानून बनाया।
- दंगाइयों से सरकारी संपत्ति की भरपाई के कारण उत्तर प्रदेश में दंगों की संख्या घटने लगी।
- नोएडा में विश्व की सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनाने का निर्णय लिया।