January 13, 2025
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आर्थिक उदारीकरण के जनक डॉ. मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा

डॉ. मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा: 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले और आर्थिक सुधारो के जनक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार की रात एम्स में निधन हो गया। मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति का एक ऐसा व्यक्तित्व थे जो विषम परिस्थितियों और विकट हालात में भी शांत रहकर हल निकाल लेते थे।

डॉ. मनमोहन सिंह का निधन

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डॉ. मनमोहन सिंह की जीवन यात्रा: 10 वर्षों तक देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित करने वाले और आर्थिक सुधारो के जनक पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की उम्र में गुरुवार की रात एम्स में निधन हो गया। मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति का एक ऐसा व्यक्तित्व थे जो विषम परिस्थितियों और विकट हालात में भी शांत रहकर हल निकाल लेते थे। वह बहुत कम बोलते थे लेकिन जब कभी बोलते थे तो दृढ़ता के साथ बोलते थे। उन्होंने सदैव दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य किया। वह एक कुशल राजनेता के साथ-साथ एक अच्छे विद्वान, अर्थशास्त्री और विचारक भी थे। लिए जानते हैं मनमोहन सिंह के जीवन के विषय में-

जन्म और परिवार

डॉ मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को पाकिस्तान के गाह नामक गांव में हुआ था। उनकी माता का नाम अमृत कौर और पिता का नाम गुरूमुख सिंह था। मनमोहन सिंह का परिवार देश के विभाजन के बाद भारत आ गया था। मनमोहन सिंह की पत्नी का नाम गुरु शरण कौर है उनकी तीन बेटियां हैं।

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शिक्षा

मनमोहन सिंह ने 1952 में पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से बी.ए. (ऑनर्स) किया। इस यूनिवर्सिटी से उन्होंने इकोनॉमिक्स से एम. ए. किया और अव्वल रहे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इन्होंने पी. एच.डी. की और नफील्ड कॉलेज (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी) से डी. फिल. पास किया। कैंब्रिज के सेंट जॉन्स कॉलेज में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए मनमोहन सिंह को 1955 और 57 में ‘राइट्स पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।

व्यावसायिक जीवन

पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ में मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र विभाग में व्याख्याता नियुक्त किया गया। इसके बाद पंजाब विश्वविद्यालय में इन्होंने प्रोफेसर के पद पर कार्य किया। मनमोहन सिंह ने 2 वर्षों तक ‘दिल्ली स्कूल आफ इकोनॉमिक्स’ में भी अध्यापन का कार्य किया। 1976 में वे दिल्ली विश्वविद्यालय में मानद प्राध्यापक बने। मनमोहन सिंह एक अर्थशास्त्री के रूप में मशहूर हो चुके थे। अर्थशास्त्र पर व्याख्यान देने के लिए उन्हें विदेशों में बुलाया जाने लगा। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने मनमोहन सिंह को RBI का गवर्नर नियुक्त किया। 1985 तक मनमोहन सिंह आरबीआई के गवर्नर पद पर रहे और प्रशासनिक निपुणता का परिचय दिया।

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राजनीतिक जीवन

मनमोहन सिंह के राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1985 में राजीव गांधी के शासनकाल में हुई जब उन्हें योजना आयोग का उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इस पद पर वे 5 वर्ष रहे। राजनीति में ना रहते हुए भी मनमोहन सिंह को राजनितिज्ञ पसंद करते थे। 1990 में वह प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार बनाए गए। मनमोहन सिंह की प्रतिभा से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव ने अपने प्रधानमंत्रीत्व काल में 1991 में मनमोहन सिंह को अपने मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उन्हें वित्त मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार सौंप दिया। उस समय मनमोहन सिंह संसद सदस्य नहीं थे और संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार एक मंत्री को संसद का सदस्य होना आवश्यक होता है। इसलिए 1991 में असम से वे राज्यसभा के लिए चुने गए।

आर्थिक उदारीकरण के जनक

मनमोहन सिंह ने आर्थिक उदारीकरण को उपचार के रूप में प्रस्तुत किया और भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार के साथ जोड़ दिया। आयात और निर्यात को उन्होंने सरल बनाया। उन्होंने निजी पूंजी को उत्साहित करके रुग्ण एवं घाटे में चलने वाले सार्वजनिक उपक्रमों के लिए अलग से नीतियां बनाई। घुटनों पर चल रही नई अर्थव्यवस्था के कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव को कटु आलोचना का सामना करना पड़ा लेकिन मनमोहन सिंह पर राव ने पूरा भरोसा रखा और मात्र 2 वर्षों में ही उदारीकरण के बेहतरीन परिणाम भारतीय अर्थव्यवस्था में नजर आने लगे और आलोचकों के मुंह बंद हो गए। मनमोहन सिंह के उदारीकरण की नीति के कारण उन्हें 2002 में ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ की उपाधि भी प्रदान की गई।

72 वर्ष की उम्र में बने प्रधानमंत्री

मनमोहन सिंह ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वह प्रधानमंत्री बनेंगे लेकिन वर्ष 2004 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जब विपक्ष के विरोध को देखा तो उन्होंने स्वयं प्रधानमंत्री बनने से इनकार करते हुए मोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में अनुमोदित किया। 22 मई 2004 को मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली और लगातार दो बार प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा किया। मनमोहन सिंह 2004 से 2014, 10 वर्षों तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।

देश के विकास में मनमोहन सिंह का योगदान

  • डॉक्टर मनमोहन सिंह ने देश के चहुमुखी विकास के लिए अनेक क्षेत्रों में योगदान दिया।
  • उन्होंने देश की हवाई अड्डों में वांछित सुधार लाने के लिए उन्हें निजी हाथों में सौंपने का फैसला किया।
  • मनमोहन सिंह ने निरंतर घाटे में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों की संख्या को भी सीमित करने का कार्य किया।
  • सूचना तकनीकी और दूरसंचार के क्षेत्र में भी मनमोहन सिंह की दूरगामी नीतियों के परिणाम काफी सार्थक रहे।
  • मनमोहन सिंह के कार्यकाल में 2006 में गांव में रोजगार योजना का शुभारंभ हैदराबाद से किया गया। ‘ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम’ के अंतर्गत देश के प्रत्येक ग्रामीण बेरोजगार को एक वर्ष में 100 दिन का रोजगार प्रदान करने का कार्यक्रम बनाया गया।
  • मनमोहन सिंह के कार्यकाल में विदेश नीति में व्यापक सुधार हुआ। उन्होंने सभी पश्चिमी देशों के साथ मधुर संबंध स्थापित किया।
  • मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही मार्च 2006 को भारत में परमाणु शक्ति के संबंध में अमेरिका के साथ राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के दिल्ली आगमन पर समझौता किया।

डॉक्टर मनमोहन सिंह इन पुरस्कारों से हुए सम्मानित

  • 1956 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय का ‘एडम स्मिथ पुरस्कार’
  • 1987 में ‘पद्म विभूषण’ से सम्मानित
  • 1993 और 94 का ‘एशिया मनी अवॉर्ड फॉर फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ़ द ईयर’
  • 1994 का यूरो मनी ‘अवॉर्ड फॉर द फाइनेंस मिनिस्टर ऑफ़ द ईयर’
  • 1995 में इंडियन साइंस कांग्रेस का ‘जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार’