Mahakumbh 2025 Updates: 1500 लोगों ने जीवित रहते हुए किया पिंडदान, बने नागा सन्यासी
Mahakumbh 2025, प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में अद्भुत और ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब 1500 लोगों ने स्वयं को सांसारिक मोह-माया से मुक्त करते हुए जीवित रहते हुए अपना पिंडदान किया। इन सभी ने नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ग्रहण की। इसमें 19 महिलाएं भी शामिल हैं, जो आज नागा सन्यासी बनने की दीक्षा लेंगी।
Mahakumbh 2025, प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में अद्भुत और ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब 1500 लोगों ने स्वयं को सांसारिक मोह-माया से मुक्त करते हुए जीवित रहते हुए अपना पिंडदान किया। इन सभी ने नागा सन्यासी बनने की दीक्षा ग्रहण की। इसमें 19 महिलाएं भी शामिल हैं, जो आज नागा सन्यासी बनने की दीक्षा लेंगी।
गुरु परंपरा के अनुसार दीक्षा प्रक्रिया
नागा सन्यासी बनने की दीक्षा पंच दशनाम जूना अखाड़े के तहत दी गई। हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच जूना अखाड़े के श्री महंत रामचंद्र गिरि, दूध पुरी, निरंजन भारती और मोहन गिरि के नेतृत्व में यह दीक्षा कार्यक्रम संपन्न हुआ।
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दीक्षा प्रक्रिया का अनुकरण
- सबसे पहले सभी का मुंडन संस्कार किया गया।
- इसके बाद गंगा के पवित्र जल में 108 बार डुबकी लगाकर शुद्धिकरण किया गया।
- गंगा पूजन के बाद सभी ने अपने पूर्वजों के लिए पिंडदान किया।
- अंत में, सभी ने एक स्वर में सांसारिक मोह-माया से अलग होने और सांसारिक रूप से अपने मृत होने की घोषणा की।
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महाकुंभ में अनोखी परंपरा
महाकुंभ के इस ऐतिहासिक आयोजन में दीक्षा लेने वालों ने नागा सन्यासी बनकर अध्यात्मिक जीवन की ओर कदम बढ़ाया। यह परंपरा उन लोगों के लिए है, जो सांसारिक जीवन छोड़कर पूरी तरह से अध्यात्म को अपनाना चाहते हैं।
महाकुंभ 2025 में हो रहे इस अनूठे आयोजन ने हर किसी का ध्यान आकर्षित किया है। ऐसे आध्यात्मिक क्षणों से महाकुंभ का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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