Parakram Diwas (सुभाष चंद्र बोस जयंती): 128वीं जयंती के अवसर जानिए इतिहास और महत्व
पराक्रम दिवस 2025 “नेताजी: साहस, दृढ़ संकल्प और देशभक्ति का सम्मान” थीम के साथ मनाया जा रहा है। यह दिवस हर साल नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान और उनके आदर्शों को याद करने के लिए मनाया जाता है।
Parakram Diwas: Netaji Subhas Chandra Bose (सुभाष चंद्र बोस) की जयंती का विशेष दिन
Parakram Diwas: भारत में हर साल 23 जनवरी को Parakram Diwas मनाया जाता है। इस दिवस को पहली बार 23 जनवरी 2021 को भारत सरकार द्वारा घोषित किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की घोषणा की थी। इस दिन को नेताजी की अदम्य भावना, नि:स्वार्थ सेवा और देशभक्ति के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य देशवासियों को विपरीत परिस्थितियों में धैर्य और साहस दिखाने की प्रेरणा देना है, जैसा कि नेताजी ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान किया था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती
साल 2023 में हम नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 128वीं जयंती मना रहे हैं। उनकी 128वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया था, जिसमें राजनेताओं, इतिहासकारों, लेखकों और आजाद हिंद फौज से जुड़े प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल किया गया था। 128वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया गेट पर नेताजी की होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था। बाद में, वहां ग्रेनाइट से बनी नेताजी की प्रतिमा स्थापित की गई, जिसका अनावरण प्रधानमंत्री ने सितंबर 2022 में किया। यह प्रतिमा तेलंगाना से लाए गए जेड ब्लैक ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई थी, और इसे मूर्तिकार अद्वैत गडनायक ने तैयार किया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस: जीवन परिचय
सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रतिष्ठित वकील थे, और माता प्रभावती एक धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। सुभाष 14 भाई-बहनों में से नौवीं संतान और पांचवें पुत्र थे। उनका शुरुआती जीवन राष्ट्रभक्ति की भावना और अंग्रेजों के प्रति विद्रोह से भरा रहा।
शिक्षा और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
सुभाष चंद्र बोस ने अपनी शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता से पूरी की। बाद में उन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईसीएस) की तैयारी के लिए इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय भेजा गया। उन्होंने 1920 में आईसीएस की परीक्षा पास की और चौथा स्थान प्राप्त किया। हालांकि, देश की स्वतंत्रता की भावना से प्रेरित होकर उन्होंने 1921 में अपनी नौकरी छोड़ दी। उनका मानना था कि प्रशासनिक पदों पर भारतीयों का कब्जा होना देश की स्वतंत्रता के लिए जरूरी है।
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आजाद हिंद फौज का गठन
सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्टूबर 1943 को “आजाद हिंद सरकार” की स्थापना की और “आजाद हिंद फौज” का गठन किया। इस फौज का उद्देश्य सशक्त क्रांति के माध्यम से भारत को स्वतंत्र कराना था। इस संगठन का प्रतीक चिन्ह दौड़ते हुए बाघ का चित्र था और इसका गीत “कदम-कदम बढ़ाए जा” सैनिकों को प्रेरित करता था।
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नेताजी का प्रसिद्ध भाषण
नेताजी का “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा आज भी भारतीयों को प्रेरित करता है। उन्होंने दिल्ली चलो का नारा देकर युवाओं में जोश भर दिया और स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी।
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नेताजी की मृत्यु और रहस्य
सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है। कहा जाता है कि 18 अगस्त 1945 को ताइपे में एक विमान हादसे में उनकी मृत्यु हो गई थी, लेकिन इस पर आज भी संदेह बना हुआ है।
Parakram Diwas 2025 Theme: पराक्रम दिवस 2025 थीम
भारत में हर वर्ष साहस और वीरता का उत्सव पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 2024 में इस दिवस को “नेताजी: नए भारत के लिए प्रेरणा” थीम के साथ मनाया गया था। वहीं, 2025 में इसकी थीम “नेताजी: साहस, अटूट संकल्प और देशभक्ति का प्रतीक” रखी गई है।
यहाँ नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जीवनी का सारांश दिया गया है:
शीर्षक | विवरण |
---|---|
पूरा नाम | सुभाष चंद्र बोस |
जन्म | 23 जनवरी 1897, कटक, ओडिशा |
माता-पिता | जानकीनाथ बोस (पिता), प्रभावती बोस (माता) |
भाई-बहन | 14 भाई-बहन (9वीं संतान, 5वें पुत्र) |
शिक्षा | प्रेसिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कोलकाता |
उच्च शिक्षा | इंडियन सिविल सर्विस (ICS), कैंब्रिज विश्वविद्यालय, इंग्लैंड |
उपलब्धियां | 1920 में ICS परीक्षा उत्तीर्ण |
राजनीतिक संबंध | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, फॉरवर्ड ब्लॉक |
मुख्य योगदान | आजाद हिंद फौज की स्थापना, भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका |
प्रसिद्ध नारा | “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” |
मृत्यु | 18 अगस्त 1945 (ताइपे विमान दुर्घटना, रहस्य बरकरार) |
विरासत | प्रेरणादायक नेता, देशभक्ति और साहस के प्रतीक |
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