गणेश चतुर्थी से जुड़े रोचक  और ऐतिहासिक तथ्य

भगवान श्री गणेश देवो में प्रथम पूज्य देव है।

भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश उत्सव मनाया जाता है

ऐसी मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन माता पार्वती ने अपने तन के मैल से एक पुतला बनाया था

इस पुतले को सजीव कर उसे अपना पुत्र बना लिया और उसका नाम गणेश रखा

इसलिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को गणेश जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि वेदव्यास के आग्रह पर भगवान गणेश ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को महाभारत को लिपिबद्ध करना प्रारंभ किया था

10 दिनों के पश्चात अनंत चतुर्दशी के दिन संपूर्ण महाभारत लिपिबद्ध हुई थी,  इसलिए उस दिन विसर्जन किया जाता है।

भविष्य पुराण में गणेश चतुर्थी को शांत, शिवा और सुख चतुर्थी भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन वर्जित माना गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार आज के दिन चंद्र दर्शन से मिथ्या कलंक लगता है।

गणेश चतुर्थी के दिन घर-घर गणेश प्रतिमा की स्थापना होती है।

10 दिनों के पश्चात अनंत चतुर्दशी को गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है।

गणेश चतुर्थी का उत्सव सर्वप्रथम छत्रपति शिवाजी ने 1600 के दशक में मनाया था।

गणेश चतुर्थी मराठा पेशवाओं का प्रमुख त्यौहार था।

1893 में बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए सार्वजनिक गणेश चतुर्थी समारोह का आरंभ किया

1893 में गणेश चतुर्थी समारोह का मुख्य उद्देश्य था अंग्रेजों के विरुद्ध लोगों को समूह में इकट्ठा करना

भारत का सबसे लंबा गणेश चतुर्थी का जुलूस मुंबई के लालबाग राजा में आयोजित किया जाता है।

लालबाग राजा की स्थापना सर्वप्रथम मछुआरों ने की थी

1934 से लालबाग के राजा के रूप में गणेश जी के कई अवतारों को स्थापित किया गया है

 लेकिन आज भी महाराष्ट्र में भगवान गणेश को "लाल बाग का राजा" के नाम से जाना जाता है।

 लेकिन आज भी महाराष्ट्र में भगवान गणेश को "लाल बाग का राजा" के नाम से जाना जाता है।

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