भगवान गणेश की आदिकथा

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एक समय की बात है, हिन्दू पौराणिक कथाओं के दुनियाई मंडल में, भगवान गणेश ने एक चमत्कारिक यात्रा की शुरुआत की

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 पार्वती की भक्ति और शिव की कृपा से उत्पन्न हुए भगवान गणेश के पास हाथी के सिर वाला रूप था।

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वे भगवान शिव और देवी पार्वती के प्यारे पुत्र थे, जिन्हें पुरे विश्व में श्रद्धा से पूजा जाता है

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भगवान गणेश की मोदक के प्रति विशेष प्रेम था, वे आमतौर पर मोदक के आकार के पेट के साथ जाने जाते हैं! 

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उनका एक दन्त समर्पण और ज्ञान का प्रतीक है, जो उन्हें अत्यधिक महत्वपूर्ण देवता बनाता है

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गणेश चतुर्थी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, जब भक्त भगवान गणेश की मूर्तियाँ घर लेते हैं।

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इस त्योहार के दौरान, गणेश जी की मूर्तियों को विविध फूलों और आभूषणों से सजाया जाता है। 

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आसमान भगवान गणेश की आरती, भक्तिगीत और धूप की खुशबू से भरा होता है। 

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भक्तगण आरती उतारते हैं और स्वादिष्ट मिठाईयाँ भगवान गणेश को चढ़ाते हैं। 

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पूजा के कई दिनों के बाद, मूर्तियाँ पानी में विसर्जन के रूप में डाली जाती हैं, जो भगवान गणेश के स्वर्गिक निवास की प्रतीक है। 

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विसर्जन कार्यक्रम आकर्षक होते हैं, जिसमें संगीत, नृत्य, और धूमधाम समाहित होता है। 

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भगवान गणेश की शिक्षाएँ हमें ज्ञान, बुद्धि, और अद्भुत छलने की महत्वपूर्ण बातें सिखाती हैं। 

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वे हमारे रास्तों के अवरोधन को हटाते हैं और हमें सफलता और समृद्धि के आशीर्वाद देते हैं। 

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गणेश चतुर्थी का आनंद और महत्व जनों के दिलों को बसा देता है, हमें भक्ति, प्रेम, और बलिदान की शक्ति का आभास कराता है। 

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भगवान गणेश की आदिकथा की जादूगरी यात्रा हमारे दिलों को बसे रखती है, हमें भक्ति, प्रेम, और बलिदान की शक्ति के बारे में याद दिलाती है। 

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