February 16, 2025
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Sangam Nose: क्या है संगम नोज, जहां Mahakumbh में मची भगदड़

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Sangam Nose, Prayagraj: प्रयागराज में चलने वाले विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान पर्व पर भगदड़ मच गई। मौनी अमावस्या का स्नान करने के लिए करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं। लगभग 45 करोड़ के लोगों के महाकुंभ में स्नान करने का अनुमान लगाया गया है। वहीं केवल मौनी अमावस्या के दिन 5 से 6 करोड लोगों के स्नान करने का अनुमान है। मौनी अमावस्या के एक दिन पूर्व भी लगभग पांच करोड लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई थी।

Todays News Headlines (29 January 2025): आज की ताजा खबरें और समाचार हिंदी में

मौनी अमावस्या के पर्व पर बुधवार को प्रयागराज के महाकुंभ में संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। सभी लोग संगम में डुबकी लगाने की जल्दी में थे। इसी दौरान संगम तट पर रात 1:30 बजे के करीब भागदड़ मच गई, जिसमें 15 लोगों के मौत की खबर आई है। वहीं कई लोग घायल भी हैं। बताया जा रहा है कि सभी लोग संगम में डुबकी लगाने के लिए संगम तट पर इकट्ठा हुए थे। इसी दौरान यह हादसा हो गया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह संगम नोज है क्या? आखिर प्रत्येक श्रद्धालु पवित्र गंगा, जमुना को छोड़कर संगम में ही डुबकी क्यों लगाना चाहता है? आईए जानते हैं –

क्या है संगम नोज?

प्रयागराज में गंगा, जमुना और अदृश्य सरस्वती का जहां संगम होता है उस स्थान को संगम स्थल के नाम से जाना जाता है। तीन पवित्र नदियों के संगम स्थल को त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है।तीन पवित्र नदियों का संगम केवल प्रयागराज में ही है। इसका वर्णन पुराणों में भी किया गया है। इसी संगम तट पर साधु संतों का अमृत स्नान भी होता है। ऐसी मान्यता है कि संगम में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसीलिए प्रत्येक श्रद्धालु संगम में स्नान करना चाहता है।

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प्रत्येक वर्ष बढ़ाया जाता है संगम नोज क्षेत्र

प्रयागराज का संगम सभी तीर्थों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसीलिए प्रयागराज को तीर्थराज प्रयाग का भी कहते हैं। वैसे तो प्रत्येक वर्ष माघ महीने में मेले का आयोजन होता है और लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम में डुबकी भी लगते हैं लेकिन कुंभ और महाकुंभ के दौरान संगम तट की महत्ता और अधिक बढ़ जाती है। इसीलिए प्रत्येक कुंभ में संगम नोज क्षेत्र को बढ़ाया जाता है। पहले संगम तट पर प्रत्येक घंटे 50,000 लोगों के स्नान करने की व्यवस्था थी। लेकिन इस बार के महाकुंभ में प्रत्येक घंटे दो लाख लोगों के स्नान करने की व्यवस्था की गई है। किंतु महाकुंभ में करोड़ों की भीड़ एक साथ पहुंच गई और सभी संगम नोज पर ही स्नान करना चाह रहे थे। संगम नोज़ पर पहुंचने को लेकर भगदड़ मच गई। हालांकि अब स्थिति नियंत्रण में है। प्रशासन ने मुस्तैदी दिखाते हुए स्थिति पर नियंत्रण पा लिया है और अब संतों का अमृत स्नान भी संगम तट पर जारी है।

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