December 12, 2024
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Waqf Bill & JCP in Hindi: क्या है जेपीसी जिसके पास भेजा गया वक्फ बिल?

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Waqf Bill & JCP: गुरुवार को संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया गया। इस विधेयक का कांग्रेस और सपा समेत कई विपक्षी दलों ने विरोध भी किया। शुक्रवार को वक्फ संशोधन विधेयक 2024 के लिए जेपीसी गठित कर दी गई। सदन में हंगामा के बीच सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) के पास भेजने की सिफारिश कर दी।

सरकार का कहना है कि इस विधेयक के माध्यम से वक्फ बोर्ड की असीमित शक्तियों पर अंकुश लगाकर बेहतर और पारदर्शी तरीके से प्रबंधन किया जाएगा। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल बिल के पेश होने से पहले ही इसे जेपीसी के पास भेजने की मांग कर रहे थे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जेपीसी क्या होती है? इसका गठन क्यों और कब किया जाता है। इसमें कितने सदस्य होते हैं।आईए जानते हैं-

क्या होती है जेपीसी (What is Joint Parliamentary Committee) ?

JPC यानी संयुक्त संसदीय समिति संसद द्वारा किसी खास विषय या विधायक की गहन जांच करने के लिए बनाई गई एक तदर्थ समिति होती है, जिसमें सभी पार्टियों की बराबर भागीदारी होती है।JPC किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी उस पक्ष को बुला सकती है और उससे पूछताछ कर सकती है जिसको लेकर इसका गठन हुआ है। जेपीसी, संबंधित व्यक्ति या संस्था से इस बारे में लिखित या मौखिक जवाब या दोनों मांग सकती है। यदि वह व्यक्ति, संस्था या पक्ष जेपीसी के समक्ष पेश नहीं होता है तो यह संसद की अवमानना मानी जाएगी।

संसदीय समिति मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है अस्थाई और स्टैंडिंग कमेटी। अस्थाई समिति किसी विशेष उद्देश्य से नियुक्त की जाती है जो कार्य समाप्त होने के बाद स्वतः समाप्त हो जाती है।

कैसे होता है JPC का गठन ?

संयुक्त संसदीय समिति के गठन के लिए संसद के एक सदन द्वारा प्रस्ताव पारित किया जाता है और दूसरे सदन से इस पर सहमति ली जाती है। इसके बाद दल अपने सदस्यों का नाम जेपीसी के लिए देते हैं।

कितने सदस्य होते हैं JPC में ?

जेपीसी के निर्माण के समय यह ध्यान रखा जाता है कि इसमें अधिक से अधिक पार्टियों के सदस्यों की भागीदारी हो। समिति के सदस्यों की संख्या अलग-अलग मामलों में भिन्न हो सकती है। इसमें अधिकतम 30- 31 सदस्य हो सकते हैं। इस समिति का अध्यक्ष बहुमत वाली पार्टी का सदस्य होता है। इस समिति में राज्यसभा के सदस्यों की तुलना में लोकसभा के सदस्य अधिक या लगभग दोगुने होते हैं। इस समिति में बहुमत वाली पार्टी के सदस्यों की संख्या अधिक होती है।

समिति के पास किसी भी मामले की जांच के लिए 3 महीना का समय होता है। 3 महीने के बाद जेपीसी को संसद के समक्ष अपनी जांच रिपोर्ट पेश करनी होती है। समिति की सिफारिश का पालन करना सरकार के लिए अनिवार्य नहीं होता है। ये सिफारिशें सलाहकारी होती हैं।जनहित के मामलों को छोड़कर समिति की कार्यवाही और निष्कर्ष को गोपनीय रखा जाता है।

कब- कब हुआ JPC का गठन ?

आजादी के बाद से अब तक देश में कई मामले में जेपीसी का गठन हो चुका है। इनमें बोफोर्स घोटाला (1987), हर्षद मेहता स्टॉक मार्केट घोटाला (1992), केतन पारेख शेयर बाजार घोटाला (2001), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी, 2016) और व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक (2019) के लिए जेपीसी का गठन हुआ था।

इसके अतिरिक्त बायोलॉजिकल डायवर्सिटी संशोधन विधेयक (2021), जनविश्वास संशोधन विधेयक और प्रावधान विधेयक (2022), मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाइटी संशोधन विधेयक (2022) और वनसंरक्षण संशोधन विधेयक (2023) के लिए भी जेपीसी गठित हुई थी।

क्या है वक्फ का संशोधन विधेयक, 2024 में ?

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। 40 से अधिक संशोधनों के साथ वक्फ संशोधन विधेयक में मौजूदा वक्फ अधिनियम में कई भागों को खत्म करने का प्रस्ताव है। इस विधेयक में केंद्रीय और राज्य वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है। इसके साथ ही इसकी कमेटी में किसी भी धर्म के लोग सदस्य हो सकते हैं। वक्फ बोर्ड अधिनियम में 2013 में आखिरी बार संशोधन किया गया था।