क्या Jitin Prasada पीलीभीत में भाजपा का वर्चस्व कायम रख पाएंगे ?: Pilibhit, Lok Sabha Election 2024
Pilibhit, Lok Sabha Election 2024, Jitin Prasada: पीलीभीत लोकसभा सीट पर 1989 से मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का चुनाव लड़ते रहे आ रहे हैं, लेकिन 35 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ जब नेपाल की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से वरुण गांधी या मेनका गांधी मैदान में नहीं होंगे।पीलीभीत से इस बार भाजपा ने कांग्रेस से आए और योगी मंत्रिमंडल में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है।
Pilibhit, Lok Sabha Election 2024, Jitin Prasada: पीलीभीत लोकसभा सीट पर 1989 से मेनका गांधी और उनके बेटे वरुण गांधी का चुनाव लड़ते रहे आ रहे हैं, लेकिन 35 वर्षों में पहली बार ऐसा हुआ जब नेपाल की सीमा से सटे तराई क्षेत्र में स्थित पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से वरुण गांधी या मेनका गांधी मैदान में नहीं होंगे।पीलीभीत से इस बार भाजपा ने कांग्रेस से आए और योगी मंत्रिमंडल में मंत्री जितिन प्रसाद को टिकट दिया है।
क्यों कटा वरुण गांधी का टिकट
वरुण गांधी पिछले कुछ समय से अपने ही सरकार के खिलाफ मुखर थे। वह किसानों,स्वास्थ्य और नौकरियों के मुद्दों पर भाजपा की आलोचना करते रहे हैं। इसलिए इस बार वरूण गांधी का टिकट कटना तय माना जा रहा था। 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है।
कौन है Jitin Prasada ?
शिक्षित और सरल स्वभाव वाले जितिन प्रसाद को राजनीति विरासत में मिली है। केंद्र के सियासत से राजनीतिक सफर शुरू करने वाले जितिन प्रसाद ने यूपी की राजनीति में भी छाप छोड़ी। अब एक बार फिर वह केंद्र की राजनीति करने की तैयारी में है। रुहेलखंड की पीलीभीत सीट पर भाजपा ने जितिन पर भरोसा जताया है।
रोहेलखंड के शाहजहांपुर से ताल्लुक रखने वाले जितिन का मंडल के साथ-साथ पड़ोसी लखनऊ मंडल के लखीमपुर में भी अच्छा प्रभाव है। लखीमपुर की धौरहरा सीट से वह सांसद रह चुके हैं। ब्राह्मण क्षत्रिय सिख और मुसलमानों से जुड़ाव रखने वाले जितिन प्रसाद के परिवार की उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गहरी पैठ है। कांग्रेस के थिंक टैंक माने जाने वाले जितिन प्रसाद के पिता जितेंद्र प्रसाद की पहल पर ही शाहजहांपुर में कृभको खाद फैक्ट्री और रिलायंस थर्मल पावर जैसे प्लांट लगे। जिनमें हजारों क्षेत्रीय लोगों को भी रोजगार मिला।
कई जिलों में अच्छा प्रभाव
जितिन प्रसाद का यूपी के कई जिलों में खास राजनीतिक प्रभाव है। वर्ष 2001 में जब उनके पिता जितेंद्र प्रसाद का निधन हुआ, उस वक्त जितिन पढ़ाई कर रहे थे। तब जितिन की मां कांता प्रसाद ने लोकसभा का उपचुनाव लड़ा पर सफलता नहीं मिली। पढ़ाई पूरी होने पर नितिन बैंक ऑफिसर बन गए थे, पर राजनीतिक विरासत के चलते 2001 में युवा कांग्रेस के सचिव बनाए गए। 2004 के आम चुनाव में पहली बार शाहजहांपुर से सांसद बने। 2008 में केंद्र में मंत्री बनाए गए।
रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की
जितिन प्रसाद वर्ष 2009 में जब धौरहरा सीट से चुनाव लड़े तो रिकॉर्ड वोटो से चुनाव जीते थे। वर्ष 2014 और 2019 की मोदी लहर में उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। हालांकि उनकी लोकप्रियता बरकरार रही। जून 2021 में जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हो गए।
जितिन प्रसाद को पीलीभीत से सकारात्मक उम्मीद
शाहजहांपुर से जुड़े पीलीभीत जनपद के 94 गांव में जितिन प्रसाद के परिवार का काफी प्रभाव है। यहां के लोगों के बीच उनकी छवि सकारात्मक रही है। इसलिए विकास कार्यों के दम पर जनता के बीच उन्हें सकारात्मक परिणाम की उम्मीद है। पीलीभीत में पहले चरण में मतदान होने के चलते ताबड़तोड़ सभाएं और जनसाधारण संपर्क के जरिए वह अपनी जीत की राह आसान करने में जुटे हैं।
अति विशिष्ट सीट पर जीत का दारोमदार
1989 से सांसद रही मेनका गांधी और सांसद वरुण गांधी के प्रभाव वाले सीट पर भाजपा ने सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर जितिन प्रसाद को दिया है। भाजपा ने इस भरोसे के साथ यहां से जितिन को टिकट दिया है कि वह पार्टी का वर्चस्व कायम में रखने की जिम्मेदारी निभायेंगे।