Gyanvapi ASI Report: ASI की रिपोर्ट में ज्ञानव्यापी का सच आया सामने, 17वीं शताब्दी में मंदिर तोड़ बनाया गया मस्जिद
Gyanvapi ASI Report, Varanasi News: ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को सार्वजनिक कर दी गई। रिपोर्ट के मुताबिक ज्ञानव्यापी बड़ा हिंदू मंदिर था। एएसआई ने अपने वैज्ञानिक सर्वे में पाया है कि वर्तमान ढांचा 17 वीं शताब्दी का है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो पहले स्ट्रक्चर था उसे 17 वीं शताब्दी में तोड़ा गया जो औरंगजेब का कार्यकाल था। उसके ढांचे का इस्तेमाल मस्जिद बनाने में किया गया है।
सर्वे में मंदिर से जुड़े 34 साक्ष्य मिले
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने वैज्ञानिक सर्वे में कहा कि ज्ञानव्यापी परिसर में मौजूद ढांचा से पहले वहां हिंदू मंदिर था। सर्वे में मंदिर से जुड़े 34 साक्ष्य साक्ष्य सामने आए हैं। ढांचे की पश्चिमी दीवार प्राचीन मंदिर की है जिसके ऊपर दूसरा ढांचा बनाया गया है।
ASI ने 91 दिन के सर्वे के बाद 839 पेज की रिपोर्ट कोर्ट में सौंप दी। इस रिपोर्ट के 22 पेज के निष्कर्ष में बताया गया है कि वर्तमान ढांचा 2 सितंबर 1669 के आसपास का है उसके पूर्व वहां काफी प्राचीन मंदिर रहा होगा। इसके साक्ष्य जीपीआर तकनीक से जांच में सामने आए हैं।
दीवारों पर चार भाषाओं में लिखे मिले श्लोक
वादी अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने बताया कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया की तरफ से ‘यहां पहले से मंदिर था’ का जिक्र बार-बार रिपोर्ट में किया गया है। वैज्ञानिक सर्वे से स्पष्ट होता है कि आर्किटेक्ट स्ट्रक्चर, बनावट और वर्तमान ढांचा हिंदू मंदिरों के वर्तमान भग्नावशेष हैं।
उन्होंने बताया कि अंदर एक अवशेष ऐसा भी मिला है जिस पर तीन अलग-अलग भाषाओं की जानकारी साथ ही ग्रंथ के तीन नाम भी हैं जो भगवान के हैं। जनार्दन, रुद्र और उमेश्वर के नाम मौजूद मिले हैं। यहां एक ऐसा स्थान भी मिला है जो इन तीनों जगह पर महामुक्ति मंडप के रूप में स्पष्ट लिखा है। दीवारों पर कन्नड़, तेलुगू, देवनागरी और ग्रंथा चार भाषाओं में श्लोक लिखे मिले हैं।
चौड़ा कुआं भी दिखा
जीपीआर तकनीक में गुंबद के नीचे कॉरिडोर के बगल में चौड़ा कुआं दिखाई दिया है।रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नीचे चार तरह के चेंबर मिले हैं, जिसमें एक बीचो-बीच, दूसरा उत्तर, तीसरा पश्चिम, चौथा दक्षिण में है। रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय चेंबर के पास मुख्य प्रवेश द्वार और एक काफी प्राचीन मुड़वदार ढांचा है।
पश्चिम चैंबर और दीवार में जो बनावट की शैली उभरी है वह हिंदू मंदिर की है। नीचे मौजूद खंभों पर दोबारा ढांचा बनाया गया है। यह तय है कि वर्तमान ढांचा किसी दूसरे ढांचे के ऊपर बनाया गया है। पुराना ढांचा मंदिर शैली की बनावट वाला है।
अधिवक्ता ने कहा कि वर्तमान ढांचे पर बड़े ही व्यवस्थित तरीके से प्लास्टर किया गया है। 34 ऐसे अवशेष व भग्नावशेष और 32 साक्ष्य मिले हैं जो हिंदू मंदिर का दावा कर रहे हैं।