January 2, 2025
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BPSC अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, पुलिस ने बरसाई लाठियां, प्रशांत किशोर पर FIR दर्ज, क्या है पूरा मामला?

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BPSC Student Protest: बीपीएससी 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने की मांग को लेकर रविवार को बड़ी संख्या में अभ्यर्थी पटना की सड़कों पर उतर गए जिसकी वजह से पुलिस ने लाठी चार्ज की और पानी की बौछार फेंक कर उन्हें तीतर तीतर कर दिया। इस दौरान 12 अभ्यर्थियों को हिरासत में लिया गया है। वहीं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर समेत 21 लोगों के खिलाफ प्राथमिक की दर्ज की गई है। बिहार में बीपीएससी के अभ्यर्थी क्यों उतरे सड़कों पर ? क्या है इस विवाद की वजह? आईए जानते हैं।

जिन बच्चों को बर्बरता से मारा गया है एक-एक का हिसाब होगा….Prashant Kishor | BPSC Students Protest

बीपीएससी की 70वीं कंबाइंड प्रारंभिक परीक्षा को लेकर बीते कई दिनों से छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अब तो राजनीतिक पार्टियों भी इस विवाद में उतर गई हैं। 13 दिसंबर 2024 को आयोजित बीपीएससी संयुक्त प्रारंभिक परीक्षा में 4,83,000 उम्मीदवारों ने आवेदन किया था जिनमें से 3,25,000 उम्मीदवारों ने परीक्षा दी।

बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने 2031 पदों पर भर्ती के लिए यह परीक्षा आयोजित की थी जिसमें 200 पद एसडीएम, 136 पद डीएसपी और अन्य अधिकारियों के पद शामिल हैं। परीक्षा होने से पहले ही 6 दिसंबर को परीक्षा को लेकर विवाद शुरू हो गया था। छात्रों का आरोप था कि बिहार लोक सेवा आयोग परीक्षा में सामान्यीकरण प्रक्रिया को लागू कर सकता है जबकि बीपीएससी ने आरोपी को सिरे से खारिज कर दिया था।

दोबारा परीक्षा कराने की क्यों उठी मांग?

13 दिसंबर को BPSC की परीक्षा के दौरान पटना के बापू परीक्षा परिसर के अभ्यर्थियों को प्रश्न पत्र मिलने में देरी हुई, जिसको लेकर परीक्षा केंद्र पर हंगामा हो गया। इस हंगामा के चलते बीपीएससी ने बापू परीक्षा परिसर के छात्रों की परीक्षा फिर से कराने का फैसला किया, जिसके लिए 4 जनवरी 2025 की तिथि निर्धारित की गई। इसी को लेकर छात्रों द्वारा विरोध किया जा रहा है। छात्रों का कहना है कि सिर्फ एक परीक्षा केंद्र की परीक्षा दोबारा कराने पर परीक्षा की निष्पक्षता प्रभावित होगी। इसलिए पूरी परीक्षा फिर से आयोजित की जाए, लेकिन बीपीएससी ने पूरी परीक्षा दोबारा कराने से इनकार कर दिया है।

क्या है सामान्यीकरण प्रक्रिया जो है विवाद की वजह ?

छात्रों का एक आरोप यह भी है कि सामान्यीकरण की वजह से छात्रों की मेरिट पर असर पड़ेगा। दरअसल जब परीक्षार्थियों की संख्या बहुत अधिक होती है तो परीक्षा दो या दो से अधिक पालियों में कराई जाती है। ऐसी स्थिति में यदि किसी पाली का पेपर कठिन आता है और उसमें परीक्षार्थी के कम अंक आते हैं और दूसरी पाली का पेपर यदि थोड़ा आसान होता है और उसमें परीक्षार्थी के ज्यादा अंक आते हैं तो कठिन पेपर वाली पाली के अभ्यर्थियों के अंकों को थोडा बढ़ा दिया जाता है। इस प्रक्रिया को सामान्यीकरण कहते हैं। छात्रों का कहना है की परीक्षा एक ही पाली में कराई जाए दो या दो से अधिक पाली में परीक्षा कराने पर सामान्यीकरण की वजह से उनकी मेरिट पर असर पड़ेगा।