Budget 2025: SME सेक्टर की ग्रोथ के लिए टैक्स बेनिफिट और AI एडॉप्शन जरूरी
बजट 2025 में SME और इन्वेस्टमेंट ग्रोथ पर बड़ा फोकस होने की उम्मीद है। AI एडॉप्शन, टैक्स बेनिफिट और क्रेडिट स्कीम जैसी नई नीतियों से छोटे और मध्यम उद्यमों को मजबूती मिलेगी।
Budget 2025: SME सेक्टर के लिए टैक्स बेनिफिट और AI एडॉप्शन जरूरी
Budget 2025, नई दिल्ली: आगामी केंद्रीय बजट 2025 को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि छोटे और मध्यम उद्यमों (SME) की ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए सरकार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एडॉप्शन और फाइनेंस एक्सेस पर खास फोकस करना चाहिए।
Budget 2025 में छोटे और मध्यम उद्यमों को कैसे मिलेगा फायदा?
इंडस्ट्री लीडर्स का कहना है कि AI और डिजिटल टूल्स को अपनाने वाले बिजनेस के लिए टैक्स इंसेंटिव दिए जाने चाहिए, जिससे वे ज्यादा प्रोडक्टिव और कॉम्पिटिटिव बन सकें। इसके अलावा, SME सेक्टर के लिए स्पेशल मैन्युफैक्चरिंग जोन बनाने की भी सिफारिश की गई है।
SME सेक्टर के लिए क्या हैं एक्सपर्ट्स के सुझाव?
OffBusiness Group के को-फाउंडर नितिन जैन ने SME सेक्टर के लिए AI और डिजिटल टूल्स के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल से SME सेक्टर की एफिशिएंसी और ग्रोथ को बढ़ावा मिल सकता है।
इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में उन्होंने कहा, “सरकार को इस बदलाव को सपोर्ट करने के लिए टैक्स बेनिफिट और सब्सिडी जैसे कदम उठाने चाहिए, ताकि SME सेक्टर मजबूत हो सके।”
इसके अलावा, क्रेडिट गारंटी स्कीम के विस्तार और AI-बेस्ड क्रेडिट असेसमेंट और रिस्क प्रोफाइलिंग जैसी रणनीतियों पर भी जोर दिया गया, जिससे SME सेक्टर को फाइनेंशियल एक्सेस बेहतर तरीके से मिल सके।
इन्वेस्टर्स की उम्मीदें: बजट 2025 में ग्रोथ को बनाए रखने की रणनीति
भारत में पिछले साल FDI (Foreign Direct Investment) के इंफ्लो में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है, जिससे घरेलू इक्विटी मार्केट को भी मजबूती मिली। RBI (जनवरी 2025 बुलेटिन) के अनुसार, अप्रैल-नवंबर 2024 के दौरान ग्रोस FDI फ्लो बढ़कर 55.6 बिलियन डॉलर हो गया, जो पिछले साल 47.2 बिलियन डॉलर था।
इस ग्रोथ को बनाए रखने के लिए सरकार बजट 2025 में रेगुलेटरी प्रोसेस को आसान बनाने, कंप्लायंस को सिंप्लिफाई करने और इन्वेस्टर्स के लिए टैक्स इंसेंटिव देने पर फोकस कर सकती है।
Khaitan & Co के पार्टनर मोइन लधा ने उम्मीद जताई कि सरकार इंश्योरेंस सेक्टर में FDI लिमिट को 74% से बढ़ाकर 100% कर सकती है, जिससे ग्लोबल इन्वेस्टर्स को आकर्षित किया जा सके।
इसके अलावा, कैपिटल मार्केट में कैपिटल गेन टैक्स रिफॉर्म की उम्मीद की जा रही है, जिससे लॉन्ग-टर्म और शॉर्ट-टर्म टैक्स रेट्स को और बेहतर बनाया जा सके।
FPI (Foreign Portfolio Investment) और वेंचर कैपिटल फ्लो को बढ़ावा देने के लिए टैक्स में छूट की संभावनाओं पर भी चर्चा हो रही है, जिससे स्टार्टअप्स और टेक्नोलॉजी सेक्टर को मजबूती मिल सकती है।