October 18, 2024
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भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के चुनाव हारने की पांच बड़ी वजह

भारतीय मूल के ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के चुनाव हारने की पांच बड़ी वजह_rishi Sunak

Rishi Sunak (ऋषि सुनक): ब्रिटेन में लेबर पार्टी ने प्रचंड बहुमत हासिल कर 14 वर्ष बाद सत्ता में वापसी की है। लेबर पार्टी वही पार्टी है जिसके शासनकाल में 1947 में भारत को ब्रिटेन की गुलामी से आजादी मिली थी। लेबर पार्टी ने इतिहास की तीसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की है और उसे हाउस ऑफ कॉमन (ब्रिटेन की संसद) की 650 में से 412 सिटी मिली है।

ब्रिटेन में सरकार बनाने के लिए 326 सीटों की आवश्यकता होती है और देखा जाए तो लेबर पार्टी ने ब्रिटेन में प्रचंड बहुमत हासिल किया है। ब्रिटेन में दो पार्टियां है- लेबर पार्टी और कंजर्वेटिव पार्टी। इन्हीं के बीच चुनाव मुख्य तौर पर लड़ा जाता है। ऋषि सुनक की पार्टी कंजर्वेटिव पार्टी को 1997 के बाद पहली बार अपने इतिहास में सबसे कम 121 सीटें मिली हैं। 1997 में कंजरवेटिव पार्टी 165 सीटों पर चुनाव जीती थी। इस बार उसे 650 में से सिर्फ 121 सीट मिली है और पिछली बार के मुकाबले इस पार्टी को 244 सीटों का नुकसान हुआ है। इसे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस पार्टी के प्रति जनता में कितना गुस्सा और नाराजगी थी।

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इस बार लेबर पार्टी को 33.84% वोट मिले हैं जबकि कंजर्वेटिव पार्टी को 23.71%। वोट शेयर से तुलना करें तो लेबर पार्टी को पिछली बार से सिर्फ 1.7% ज्यादा वोट मिले हैं जबकि कंजर्वेटिव पार्टी का वोट शेयर पिछली बार से लगभग 20% कम हो गया है। इससे स्पष्ट है कि यह चुनाव कंजरवेटिव पार्टी को हराने के लिए हो रहा था ना की लेबर पार्टी को जिताने के लिए ।

इस चुनाव में ऋषि सुनक की हार के कई कर बड़े कारण रहे जो इस प्रकार रहे-

1.सत्ता विरोधी लहर

ब्रिटेन में वर्ष 2010 से यानी पिछले 14 वर्षों से लगातार कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार बनी,और वोटर इस पार्टी से थक चुका था और बदलाव चाहता था। इसकी वजह से किसी भी कीमत पर कंजर्वेटिव पार्टी की सरकार को हराना चाहता था। अर्थात ब्रिटेन की जनता बदलाव चाहती थी। जिसके कारण ऋषि सुनक को हार का सामना करना पड़ा।

2. ब्रेक्सिट(Brexit) और कोविड के बाद बढ़ी महंगाई

ब्रिटेन में इसी सरकार के दौरान ब्रेक्जिट (Brexit) आया जिसका ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा। इसके बाद कोविड के बाद भी ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था बहुत खराब हो गई। लेकिन कोविड जाने के बाद भी कंजर्वेटिव पार्टी की ऋषि सुनक की सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर नहीं ला पाई और ब्रिटेन में रहन-सहन का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा था। सार्वजनिक सेवाएं चरमरा गई। नेशनल हेल्थ सर्विस के सामने फंड का संकट उत्पन्न हो गया। आम नागरिकों को समय पर और सस्ती मेडिकल सहायता प्राप्त करना कठिन हो रहा है।

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3. पार्टी में अंदरूनी मतभेद

ऋषि सुनक की पार्टी बहुत कमजोर हो चुकी है और पार्टी के अंदरूनी मतभेद इतने बढ़ गए थे कि पिछले 14 वर्षों में कंजर्वेटिव पार्टी की सरकारों के दौरान पांच प्रधानमंत्री बदले गए।

4. ऋषि सुनक की व्यक्तिगत छवि

हार का चौथा कारण है ऋषि सुनक की व्यक्तिगत छवि। ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षिता मूर्ति ब्रिटेन में किंग चार्ल्स थर्ड से भी ज्यादा अमीर है और उनके पास 6,915 करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि ब्रिटेन के राजा के पास 6,513 करोड़ रुपए की संपत्ति है। ब्रिटेन में ऋषि सुनक की छवि एक ऐसे अमीर व्यक्ति की छवि थी जिससे आम आदमी उनसे जुड़ नहीं पाया और इस कारण ऋषि सुनक वहां बहुत ज्यादा लोकप्रिय नहीं हो पाए। उनकी अपनी पार्टी ने मजबूरी में उन्हें अपना नेता बनाया था, जब उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा था।

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5. राजनीतिक अस्थिरता

जनता के बड़े हिस्से का मानना है कि सरकार स्वास्थ्य और रक्षा से लेकर आव्रजन और अर्थव्यवस्था तक लगभग हर बड़े मुद्दे संभालने में विफल साबित हुई। साथ ही पिछले कुछ वर्षों में कंजरवेटिव पार्टी विभाजित होती नजर आई इससे राजनीतिक स्थिरता पैदा हो गई है।

भारतीय होना भी एक बड़ी वजह है जिसके कारण ब्रिटेन के लोग दिल से ऋषि सुनक के साथ नहीं थे।