Kakuda Movie Review: यह फिल्म ना तो दर्शकों को डराने में सफल रही है और ना ही मनोरंजन करने में
- कलाकार: सोनाक्षी सिन्हा, रितेश देशमुख, साकिब सलीम, आसिफ खान
- निर्देशक – आदित्य सरपोतदर
- लेखक – अविनाश द्विवेदी, चिराग गर्ग
- निर्माता – रॉनी स्क्रूवाला
- IMDB Rating: 5.7/10
Kakuda Movie Review In Hindi: सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत फिल्म काकूड़ा 11 जुलाई को रिलीज हो गई है। फिल्म का निर्देशन आदित्य सरपोतदार ने किया है, जिन्होंने कुछ समय पहले ही मुंजा जैसी हिट फिल्म दी थी लेकिन फिल्म काकूड़ा को इतना अच्छा रिस्पांस नहीं मिल रहा है, जितना मुंजा को मिला।
ककूड़ा एक विचित्र कहानी है जो एक अजीब लोक कथा पर आधारित है। यह कहानी मथुरा के एक छोटे से शहर रतोडी की है। इस कहानी में पूरे गांव को काकूड़ा (एक बौना आदमी) के भूत ने श्राप दिया है जिसके साथ इस गांव के लोगों ने एक बार गलत व्यवहार किया था। काकूड़ा ने शाप दिया है कि हर मंगलवार शाम 7:15 बजे हर घर को काकूड़ा के लिए एक छोटा दरवाजा खुला छोड़ना चाहिए। इसीलिए उस गांव में हर घर में दो दरवाजे हैं।एक सामान्य आकार का और दूसरा काकूड़ा के लिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो घर के पुरुष को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और उनकी पीठ पर एक घातक कूबड़ बन जाएगा, जिससे 13 दिनों में उसकी मौत हो जाएगी।
एक बार इंदिरा (सोनाक्षी) का होने वाला पति सनी (साकिब सलीम) समय पर घर नहीं पहुंच पाता और ककुडा के लिए दरवाजा नहीं खोल पाता,काकूड़ा से घातक लात खाता है और उसको कूबड़ निकल आती है। इंदिरा इसे अंधविश्वास बता कर खारिज कर देती है। और सनी को डॉक्टर को दिखाने के लिए कहती है। जब दवा का कोई असर नहीं होता तो इंदिरा भूत शिकारी विक्टर जैकब (रितेश देशमुख) से मदद लेती है।
ककूड़ा की कहानी इंदिरा, सनी, विक्टर जैकब और सनी के दोस्त किलविश (आशिफ खान) के प्रयासों और रणनीतियों के इर्द-गिर्द घूमती है जो वे भूत को पकड़ने और उसे मुक्त करने के लिए करते हैं।
आदित्य सरपोतदार के पास विचित्र कहानियां गढ़ने का हुनर है जिसे उन्होंने मुंजा में बहुत अच्छे से पेश किया है। काकूड़ा एक विचित्र कथा प्रस्तुत करती है जो समझ में आने के लिए दर्शक संघर्ष करता है। आदित्य सरपोतदार की काकूड़ा जिसे अविनाश द्विवेदी और चिराग गर्ग ने लिखा है विसंगति की नई ऊंचाइयों को छूती है।
सरपोतदार किसी भी किरदार के लिए डर या चिंता की भावना पैदा करने में असफल रहे हैं। फिल्म का कथानक विचित्र और हास्यास्पद होने के अलावा अविश्वसनीय भी है। इस फिल्म में हास्य और शिष्टता का अभाव है। हास्य को जबरदस्ती पेश किया प्रतीत होता है। इसमें कॉमेडी ना के बराबर है।
फिल्म के औसत दर्जे के लेखन के बावजूद सोनाक्षी सिन्हा ने अपना किरदार ईमानदारी से निभाया है और अच्छा प्रदर्शन किया है। रितेश देशमुख एक ऐसे किरदार में है जिसके शरीर पर कई टैटू है और जिसकी आंखों में काजल लगा हुआ है। वही सलीम के सनी का किरदार मृत्यु के पास होने के बावजूद सहानुभूति प्राप्त करने में असफल रहता है। साकिब सलीम एक साधारण व्यक्ति के किरदार में उबाऊ लगते हैं। यह जानते हुए कि वह 13 दिनों में मरने वाले हैं उसके हाव भाव में किसी तरह का डर महसूस नहीं होता है।
कुल मिलाकर काकूड़ा कहने को तो हॉरर कॉमेडी फिल्म है, लेकिन यह फिल्म ना तो दर्शकों को डराने में सफल रही है और ना ही मनोरंजन करने में।
ककूड़ा एक ऐसी फिल्म है जो आपके धैर्य की परीक्षा लेती है। सोनाक्षी सिन्हा और रितेश धूम्मुख ने काफी हद तक बांधे रखने का प्रयास किया है लेकिन फिल्म का क्लाइमेक्स संतुष्ट करने वाला नहीं है।