February 21, 2025
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ISR0 100th Launch: ISRO के 100वें लॉन्च की क्या है खासियत?

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ISR0 100th Launch: भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार सुबह आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से जीसीएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह एनवीएस- 02 का प्रक्षेपण किया। प्रक्षेपण के लिए साढ़े 27 घंटे का काउंटडाउन मंगलवार तड़के 2:53 पर शुरू हुआ। यह प्रक्षेपण बुधवार सुबह 6:23 पर किया गया।

इसरो ने इतिहास रचते हुए 100वें लांचिंग के साथ रॉकेट लॉन्चिंग का शतक जड़ दिया है एक नेवीगेशन सेटेलाइट NVS- 02 को लेकर GSLV रॉकेट ने बुधवार को स्पेस से उड़ान भरी जो इसरो का 100वां मिशन है। मंगलवार को 27 घंटे उल्टी गिनती शुरू हुई थी। इसरो के अनुसार इस सेटेलाइट के मुख्य उपयोग में स्थालीय, समुद्री और हवाई नेविगेशन, सटीक कृषि, बेड़े प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान आधारित सेवाएं, उपग्रह के लिए कक्षा निर्धारण, आपातकालीन सेवाएं और समय सेवाएं शामिल हैं।

GSLV – F15 भारत की भू स्थिर उपग्रह प्रक्षेपण यह की 17वीं उड़ान है और स्वदेशी क्रायो स्टेज के साथ 11वीं उड़ान है। यह स्वदेशी क्रायोजेनिक स्टेज के साथ जीएसएलवी की आठवीं परिचालन उड़ान है। और भारत के अंतरिक्ष केंद्र में 100 वाँ लॉन्च है। यह नेवीगेशन सेटेलाइट परिवहन में उचित ट्रैकिंग और मार्गदर्शन में मदद करेगा, हवाई और समुद्री यातायात को कुशलतापूर्वक ट्रैक करेगा। वही सैन्य अभियानों को अंजाम देने के लिए सुरक्षित स्थानीय नेविगेशन होने में रक्षा क्षमताओं को बढ़ावा देगा।

इस लॉन्च से भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र से नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम के सैटेलाइट समूह को अपडेट किया जाएगा, जिसमें कुल 7 सैटेलाइट अंतरिक्ष में होंगे। इस 100वें लॉन्च के बाद भारत के पास कक्षा में 7 में से 5 सेटलाइट होंगे।

क्या कहा इसरो के अध्यक्ष ने

इसरो के अध्यक्ष वी नारायण नारायण ने 100वें लॉन्च पर कहा यह बेहद खुशी और गर्व का पल है। यह न सिर्फ इसरो के लिए बल्कि पूरे देश के लिए गौरव की बात है। नेक्स्ट जेनरेशन का जीएसएलवी 1000 टन वजनी है, जिसकी ऊंचाई 91 मीटर है। जीएसएलवी मैक 3 सिर्फ 43 मी. का है। इसका पहला और दूसरा चरण ऑक्सीजन और मिथेन से संचालित होगा। इसके ऊपरी हिस्से में C- 32 क्रायोजेनिक इंजन मौजूद है। मैक 3 चार लीटर व्यास वाला क्लैड इंजन है। यह एक तरह से गेम चेंजर साबित होगा।”

इसरो अध्यक्ष ने कहा कि “जरूरी बात यह है कि अब तक हमारे पास जो भी लॉन्च वाहन थे वह एक बार और एक शॉर्ट ऑपरेशन वाले थे लेकिन अब हम इसका कई बार इस्तेमाल कर सकते हैं। दो सप्ताह पहले महेंद्रगिरी में रीस्टार्ट को लेकर एक प्रयोग भी किया गया था, यह एक स्पेसएक्स के बराबर है, जिनका दोबारा इस्तेमाल किया जाएगा। मिशन पूरा करने के बाद हम इंजन बंद कर देंगे फिर थ्रोटिंग के जरिए इसकी गति कम की जाएगी। और फिर इसे नीचे लाया जाएगा। हम यह सभी प्रयोग छोटे इंजन और विकास इंजन में कर रहे हैं और ये प्रयोग मददगार साबित होगा।”

इसरो के लिए यह मिशन और भी खास है क्योंकि इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायण के कार्यभार संभालने के बाद उनका पहला मिशन था। उन्होंने 13 जनवरी 2025 को पदभार ग्रहण किया था इससे पहले 30 दिसंबर 2024 को इसरो ने अपना 99वां मिशन पूरा किया था।

सेटेलाइट की क्या है खासियत ?

एनवीएस 02 सेटेलाइट का उद्देश्य भारत और इसके आसपास के क्षेत्र में इसके उच्चतम गुणवत्ता वाली नेविगेशन सेवाएं प्रदान करना है। एनवीएस 02 सेटेलाइट को बेंगलुरु के यू आर राव सैटलाइट सेंटर में तैयार किया गया। 2,250 किलोग्राम के इस सेटेलाइट में L1, L5 और S बैंड में नेविगेशन पेलोड लगे हैं। इसमें ट्राई बैंड एंटीना जैसे उन्नत तकनीक का उपयोग किया गया है

नेवल्क सिस्टम में कुल 5 सेटेलाइट होंगे जो भारत को नेविगेशन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएंगे। NVS – 02 कई तरह के कामों में भी मदद करेगा-

  • यह जमीनी हवा और समुद्री नेविगेशन में मदद करेगा। *यह किसानों को खेती की सही जानकारी देगा। *जहाज और वाहनों की निगरानी में भी मदद करेगा।
  • इसके अलावा यह मोबाइल फोन में लोकेशन सेवाएं भी देगा।
  • यह सैटेलाइट अन्य सैटलाइटों की कक्षा तय करने में भी मदद करेगा।
  • यह IOT और आपातकालीन सेवाओं में भी मददगार होगा।
  • इस सैटेलाइट की उम्र लगभग 12 साल है। यह जीपीएस से अधिक सटीक और विश्वसनीय प्रणाली है।

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