हरियाणा में भाजपा की जीत के पीछे क्या है फैक्टर? कैसे ध्वस्त हुए गए एग्जिट पोल के पूर्वानुमान?
Haryana Election Analysis: हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं और भाजपा ने तीसरी बार प्रचंड जीत के साथ बहुमत हासिल किया है। भाजपा ने हरियाणा में जीत की हैट्रिक लगाते हुए सारे पूर्वानुमानों को ध्वस्त कर दिया है। बीजेपी हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है।
लगातार 10 वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा के लिए 2024 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करना इतना आसान नहीं था। वह भी ऐसे समय में जब पहलवान और किसान दोनों भाजपा के खिलाफ हों। क्या वास्तव में किसान भाजपा से नाराज था? यदि ऐसा था तो बीजेपी हरियाणा में जीत दर्ज करने में कैसे सफल हुई? आईये जानते हैं –
लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार हरियाणा और जम्मू – कश्मीर में चुनाव हुए और हरियाणा के परिणाम ने सबको स्तब्ध कर दिया। जिस हरियाणा में कांग्रेस पूरी तरह आश्वस्त थी कि किसानों और पहलवानों की नाराजगी का शिकार बीजेपी बनेगी और कांग्रेस बाजी मार ले जाएगी। कांग्रेस में में इतना अति आत्मविश्वास हो गया कि उसने नारा दे दिया ‘लोकसभा चुनाव में बीजेपी कर दिया हाफ और विधानसभा में कर देगा साफ। क्योंकि लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को पांच-पांच सीटें मिली थी।
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उधर कांग्रेस अति आत्मविश्वास के कारण जीत के सपने सजाने में लगी थी, वहीं भाजपा ने इस चुनाव को लेकर एक वर्ष पहले ही रणनीति बनाने शुरू कर दी थी। वैसे भी बीजेपी पार्टी के बारे में यह प्रसिद्ध है कि यह पार्टी हमेशा चुनावी मोड में रहती है। भाजपा ने कई ऐसे बड़े फैसले लिए जिसकी वजह से भाजपा तीसरी बार हरियाणा में सत्ता पर काबिज हुई।
नायब सिंह सैनी को CM बनाना
भाजपा ने ओबीसी चेहरे नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। नायब सिंह सैनी साफ सुथरी छवि के बेदाग नेता थे और ओबीसी समुदाय से आने के कारण नायब सिंह सैनी के माध्यम से भाजपा ने ओबीसी समुदाय को साधा। भाजपा ने नायब सिंह सैनी के 6 महीने के कार्यकाल में हरियाणा की राजनीति बदल दी।
जनता की नाराजगी को देखते हुए मनोहर लाल खट्टर का कराया इस्तीफा
विधानसभा चुनाव के ठीक 6 महीने पहले मुख्यमंत्री बदलना भी भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च में मनोहर लाल खट्टर का इस्तीफा करवा कर भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया। ऐसा करके जनता में सरकार के प्रति जो आक्रोश और नाराजगी थी उसे कम किया गया, क्योंकि मनोहर लाल खट्टर अनुशासनात्मक छवि की थे। जबकि नायब सिंह सैनी की छवि मिलनसार नेता की है। मनोहर लाल खट्टर साढ़े नौ वर्ष तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे लेकिन इस विधानसभा चुनाव के प्रचार में मनोहर लाल खट्टर को जनता की नाराजगी की वजह से दूर रखा गया।
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भाजपा के चार प्रभारियों ने निभाई अहम भूमिका
भाजपा ने जीत के लिए हरियाणा में चार प्रभारियों को कमान सौंपी। भाजपा के चारों प्रभारी- धर्मेंद्र प्रधान, विप्लव कुमार देव, सुरेंद्र,नागर और सतीश पूनिया ने हरियाणा की लोकसभा सीटें आपस में बांटी। चारों प्रभारी ने अपने-अपने प्रभार की लोकसभा सीटों पर माइक्रो मैनेजमेंट किया, जिसके कारण भाजपा फिर से सत्ता में वापस लौटी।
दलित वोटरों को साधने के लिए कुमारी शैलजा की नाराजगी को भुनाया
किसी भी राज्य में दलित वोटर साइलेंट होता है। इन्हीं दलित वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश में भाजपा जुट गई। एक तरफ जहां कांग्रेस की पकड़ जाट वोटरों पर थी तो वहीं भाजपा ने गैर- जाट वोटरों को एकजुट करना शुरू कर दिया। दलित वोटरों को अपनी तरफ खींचने के लिए भाजपा के प्रत्येक मंच से कुमारी शैलजा की चर्चा होने लगी। जिसमें दलित वोटरों में यह संदेश गया कि जाट नेताओं का कांग्रेस में दबदबा है। यही कारण है कि कुमारी शैलजा को उचित सम्मान नहीं मिल पा रहा है।
पार्टी में चल रहे घमासान पर लगाई लगाम
भाजपा के अंदर टिकट नहीं मिलने से खूब घमासान हुआ। कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। लेकिन भाजपा ने ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जो चुनाव में जीत दर्ज कर सके। भाजपा ने प्रदेश अध्यक्ष और मंत्रियों के भी टिकट काट दिए, जो कि भाजपा की रणनीति का एक हिस्सा थी। कांग्रेस के वोटरों में बिखराव हो गया जिसकी एक बड़ी वजह थी कांग्रेस में तीन खेमे होना। इन्हीं तीनों खेमों को एक मंच पर लाने के प्रयास में कांग्रेस के मतदाता बिखर गए, जिसका फायदा भाजपा को मिला।
किसानों और जवानों के लिए बड़ी घोषणायें
भाजपा यह अच्छी तरह जानती थी कि किसान और जवान की नाराजगी चुनाव में हार की बड़ी वजह बन सकती है। इसलिए भाजपा ने चुनाव के बीच ही किसानों को 24 फसलों पर MSP पर खरीदारी की गारंटी दी और हरियाणा सरकार ने हरियाणा में अग्नि वीरों को पक्की नौकरी और पेंशन देने का वादा किया। कांग्रेस के घोषणा पत्र में महिलाओं को 2000 रुपए हर महीने देने के जवाब में भाजपा ने 2100 देने की घोषणा कर दी। भाजपा के सभी वादों ने हरियाणा की जनता को यह सोचने पर विवश कर दिया कि भाजपा को ही सत्ता में लाया जाए।
इस प्रकार भाजपा के माइक्रो – मैनेजमेंट और साधी हुई रणनीति ने तीसरी बार भाजपा को प्रचंड बहुमत दिलाया।