दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ क्यों होती है गणेश जी की पूजा?
Diwali: सनातन धर्म में सभी पर्व हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रत्येक पर्व और त्योहार किसी ने किसी देवी – देवता को समर्पित होते हैं। इसी प्रकार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला पर्व दीपावली भी एक ऐसा ही पर्व है जो धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है।
ॐ श्री गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।।
Diwali: सनातन धर्म में सभी पर्व हर्षोल्लाह के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रत्येक पर्व और त्योहार किसी ने किसी देवी – देवता को समर्पित होते हैं। इसी प्रकार कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाने वाला पर्व दीपावली भी एक ऐसा ही पर्व है जो धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित है।
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दीपावली के दिन प्रत्येक घरों में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना कर पूजा की जाती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि मां लक्ष्मी तो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी है और प्रत्येक पूजा – पाठ धार्मिक अनुष्ठान में भगवान विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसलिए इन्हें लक्ष्मीनारायण भी कहा जाता है तो फिर दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा भगवान गणेश के साथ क्यों की जाती है? मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा के कई कारण हैं।आईए जानते हैं-
पहला कारण
मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी का जो पहला कारण है वह यह है कि भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव माने जाते हैं। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या मांगलिक कार्य के पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि भगवान गणेश जी को विघ्नहर्ता कहा जाता है। भगवान गणेश की पूजा से सभी कार्यों और अनुष्ठान में आने वाली विघ्न, बाधा को गणेश जी दूर कर देते हैं। इसलिए दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का आवाहन करते समय भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है।
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दूसरा कारण
मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा इसलिए भी की जाती है क्योंकि भगवान गणेश बुद्धि और विवेक के देवता हैं और रिद्धि- सिद्धि उनकी पत्नी तथा शुभ और लाभ उनके पुत्र हैं। भगवान गणेश का आवाहन करने से रिद्धि,सिद्धि एवं शुभ,लाभ स्वत: ही पधारते हैं। और हमारे धार्मिक अनुष्ठान मांगलिक कार्यों को पूर्ण करते हैं तथा हमारे जीवन में सुख और समृद्धि लाते हैं। इसलिए दीपावली के दिन मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
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तीसरा कारण
मां लक्ष्मी धन की देवी है जिनका अवतरण समुद्र मंथन के दौरान हुआ था। जल से उत्पन्न होने के कारण मां लक्ष्मी का स्वभाव उसी प्रकार चलायमान और चंचल है जैसे कि जल का होता है। जिस प्रकार जल को बांध के नहीं रखा जा सकता वह निरंतर बहता रहता है। उसी प्रकार लक्ष्मी का स्वभाव भी चंचल होता है। वह एक जगह कभी नहीं ठहरती। ऐसे में मां लक्ष्मी का हमारे जीवन में स्थायित्व बना रहे और उनकी कृपा हमेशा मनुष्य को प्राप्त हो।
इसके लिए बुद्धि और विवेक की आवश्यकता पड़ती है। जो बुद्धि और विवेक से कार्य नहीं करता उसके पास लक्ष्मी अधिक दिनों तक नहीं ठहरती। और क्योंकि भगवान श्री गणेश बुद्धि और विवेक के देवता हैं इसलिए लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा दीपावली के दिन की जाती है, जिससे मनुष्य के जीवन में लक्ष्मी का आगमन तो हो ही साथ ही भगवान गणेश की कृपा से बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल करके मनुष्य उन्हें अपने जीवन में स्थायी रख सके।
पौराणिक कथा
मां लक्ष्मी के साथ गणेश की पूजा के विषय में एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। 18 पुराणों में महापुराण में वर्णित कथा के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु जी से कहा कि मैं धन-धान्य, ऐश्वर्य और सभी वस्तुओं का वरदान देती हूं। मेरी कृपा के बिना किसी के जीवन में धन समृद्धि ऐश्वर्य नहीं आता। मेरी कृपा से ही सभी भक्तों को सुख की प्राप्ति होती है इसलिए मेरी पूजा सबसे सर्वश्रेष्ठ होनी चाहिए।
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माता लक्ष्मी की बातों को सुनकर भगवान विष्णु ने जान लिया की लक्ष्मी जी को अहंकार हो गया है। अतः उन्होंने माता लक्ष्मी के अहंकार को तोड़ने का निश्चय किया। भगवान कभी भी अपने भक्तों को अहंकार में नहीं रहने देना चाहते क्योंकि अहंकार सभी पापों का मूल होता है। अतः भगवान विष्णु ने अपनी अर्धांगिनी मां लक्ष्मी के भी अहंकार को दूर करने का निश्चय किया।
भगवान विष्णु ने कहा कि हे प्रिये आप भले ही सभी ऐश्वर्या की जननी हैं,सुख समृद्धि प्रदाता हैं लेकिन आप एक स्त्री भी हैं और एक स्त्री का स्त्रीत्व तब तक अपूर्ण रहता है जब तक वह मां नहीं बनती। मातृत्व का सुख न मिलने से उसका नारीत्व अपूर्ण रह जाता है। इसलिए ऐश्वर्य की जननी होते हुए भी आपकी पूजा सर्वश्रेष्ठ नहीं मानी जा सकती।
भगवान विष्णु की इन बातों से मां लक्ष्मी बहुत ही आहत हुई और अपनी व्यथा सुनाने के लिए मां पार्वती के पास गईं। माता पार्वती ने जब मां लक्ष्मी की पीड़ा और व्यथा को देखा तो उन्होंने अपने पुत्र गणेश को मां लक्ष्मी की गोद में डाल दिया। तभी से भगवान गणेश मां लक्ष्मी के दत्तक पुत्र माने जाते हैं। भगवान गणेश को पुत्र के रूप में प्राप्त करके मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न हुई और यह घोषणा की कि जो भी लक्ष्मी के साथ गणेश की उपासना करेगा उसे धन समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी। तभी से दीपावली के दिन लक्ष्मी जी के साथ गणेश जी की पूजा की जाती है।