अनुच्छेद 370 को इतिहास बनाने वाले राजनीति के चाणक्य अमित शाह क्या 2024 में भी भाजपा को दिलाएंगे रिकॉर्ड जीत ? : Amit Shah, Lok Sabha Election 2024
Amit Shah, Lok Sabha Election 2024: नरेंद्र मोदी के विश्वास पात्र और राजनीति का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह जिस तेजी से राजनीति में आगे बढ़े उसने न सिर्फ सामाजिक ढांचा बल्कि देश की राजनीतिक तस्वीर को भी बदल कर रख दिया। अपने फैसलों पर फोकस, विरोधों से बेपरवाह अमित शाह ने सड़क से सांसद और संसद से संविधान के दायरे में खुद को जिस बेबाकी से देश के सामने रखा वह हर तरफ चर्चा का विषय बन गया।
भाजपा के राजनीतिक उत्थान में पार्टी को देश दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनाने और सत्ता के शिखर तक पहुंचने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जो बड़ा नाम उभरता है वह है अमित शाह। अमित शाह भारतीय राजनीति के चाणक्य माने जाते हैं। वह चाहे चुनाव का मैदान हो या संगठन का, उनके प्रबंधन कौशल को विरोधी भी मानते हैं। अमित शाह एक बार फिर गांधी नगर से चुनाव मैदान में हैं।
2014 और 2019 में भाजपा को रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाने वाले अमित शाह 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के समूचे प्रबंधन के केंद्र में है। राजनीति के मैदान में विरोधियों की तिकड़म को ध्वस्त करते हुए शाह ने गुजरात से लेकर दिल्ली तक भाजपा का परचम लहराया है। अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि उनके सामने कभी कोई चुनौती नहीं होती बल्कि वह विरोधियों के लिए हमेशा एक चुनौती रहते हैं। आईए जानते हैं भारतीय राजनीतिक का चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के राजनीतिक सफर के बारे में
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अमित शाह का राजनीतिक सफर
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 को मुंबई के गुजराती परिवार में हुआ था। शाह ने 16 वर्ष की उम्र में ही पैतृक गांव मनसा, गुजरात में स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद इनका परिवार अहमदाबाद चला गया। अमित शाह की पत्नी का नाम सोनल शाह और इकलौते पुत्र का नाम जय शाह है। शाह अपनी मां के बेहद करीबी थे, जिनकी मृत्यु 8 जून 2010 को हुई।14 वर्ष की अल्पायु में ही शाह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) में शामिल हुए। यही से उनका राजनीतिक सफर शुरू हुआ।
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गांधीनगर के छोटे से शहर मनसा में उन्होंने तरुण स्वयं सेवक संघ के रूप में आरएसएस में शुरुआत की। कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे अहमदाबाद आए, जहां वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य बने। वर्ष 1982 में बायोकेमेस्ट्री के छात्र के रूप में अमित शाह अहमदाबाद में छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सचिव बनाए गए।
नरेंद्र मोदी से हुई दोस्ती
वर्ष 1982 में कॉलेज के दिनों में ही अमित शाह की मुलाकात नरेंद्र मोदी से हुई। यह दोस्ती समय के साथ मजबूत होती चली गई। अमित शाह को वर्ष 1991 में बड़ा मौका उस समय मिला जब लालकृष्ण आडवाणी के लिए गांधीनगर संसदीय क्षेत्र में उन्हें चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी सौंपी गई। अमित शाह के जीवन में दूसरा महत्वपूर्ण अवसर 1996 में आया, जब अटल बिहारी वाजपेयी ने गुजरात से चुनाव लड़ना तय किया। इस चुनाव में अमित शाह ने चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली।
शाह ने पहली बार सरखेज से 1997 के विधानसभा उपचुनाव में किस्मत आजमाई और तब से 2012 तक लगातार पांच बार वहां से विधायक चुने गए। सरखेज की जीत ने उन्हें गुजरात में युवा और तेज तर्रार नेता के रूप में स्थापित किया। इस जीत के बाद भाजपा में अमित शाह का कद लगातार बढ़ता गया। 2012 से 2017 तक नारानपूरा से विधायक चुने गए। 2017 में वह राज्यसभा में चुनकर आए और संसदीय राजनीति शुरू की। बाद में 2019 में लालकृष्ण आडवाणी की जगह अमित शाह गांधीनगर से लोकसभा चुनाव लड़े और लोकसभा में पहुंचे। साथ ही केंद्रीय सत्ता में भी गृह मंत्री के रूप में अपनी सबसे अहम पारी शुरू की। अब वह एक बार फिर गांधीनगर से चुनाव मैदान में है।
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मोदी के गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद अमित शाह और तेजी से उभरने लगे। 2003 से 2010 तक गुजरात सरकार की कैबिनेट में गृह मंत्री रहे। हालांकि इस बीच उन्हें कई सियासी उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा लेकिन जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति के पटल पर आए तो उनके सबसे करीबी माने जाने वाले अमित शाह को भी पूरे देश में भाजपा के प्रचार में शामिल किया गया।
16वीं लोकसभा चुनाव के लगभग 10 महीने पहले अमित शाह को बीजेपी का उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। उस समय यूपी में भाजपा की मात्र 10 लोकसभा सीटें थीं। अमित शाह के संगठनात्मक कौशल और नेतृत्व क्षमता का अंदाजा तब लगा जब 2014 को 16वीं लोकसभा का परिणाम आया। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में 71 सीटें हासिल की और उनके सहयोगियों को दो सीटें मिली। इस प्रकार एनडीए को कुल मिलाकर यूपी की 80 में से 73 सीटें मिली।
2014 में भाजपा को शानदार जीत दिलाने के बाद भी अमित शाह नहीं रुके।पार्टी अध्यक्ष के रूप में उन्होंने भाजपा को 2019 में 2014 से भी बड़ी जीत दिलाने का करिश्मा कर दिखाया। 1989 के बाद मोदी ने गुजरात में सक्रिय राजनीति में कदम रखा और लालकृष्ण आडवाणी की राम रथ यात्रा का नेतृत्व संभाला। 1995 में कांग्रेस का दुखद अंत हुआ जब बीजेपी ने गुजरात विधानसभा में पहली बार बहुमत हासिल किया। गुजरात में बीजेपी की सरकार का श्रेय अमित शाह को जाता है। हालांकि मोदी के बढ़ते कद को देखकर पार्टी के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह बाघेला ने पार्टी से बगावत कर दी और मोदी को गुजरात छोड़ना पड़ा। उस समय अमित शाह ने मोदी का समर्थन किया था।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे
भाजपा द्वारा नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद अमित शाह राष्ट्रीय राजनीति में आए और महासचिव बनने के साथ उत्तर प्रदेश की खास जिम्मेदारी संभाली। नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने और तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सरकार में जाने के बाद शाह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया। शाह 2014 से 2020 तक भाजपा के अध्यक्ष रहे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी ने देशभर में सदस्यता अभियान चलाया और देश व दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी। साथ ही भाजपा ने कई राज्यों में बड़ी सफलता हासिल कर अपनी व गठबंधन की सरकारें बनाई। समूचे पूर्वोत्तर को कांग्रेस की सत्ता से मुक्त किया और देशभर में कांग्रेस वामपंथी दलों के कई गढ़ों को ध्वस्त किया। अमित शाह ने संगठन में पीढ़ीगत बदलाव का बड़ा काम किया और पहली बार वरिष्ठ नेताओं का मार्गदर्शक मंडल बनाया।
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अनुच्छेद 370 को बनाया इतिहास
अमित शाह 2019 के चुनाव में भाजपा को 300 पर कराने के बाद केंद्रीय सत्ता में आए और देश के गृह मंत्री बने। देश के गृह मंत्री बनने के साथ ही उन्होंने कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को इतिहास बना दिया। वह 2021 में देश के पहले सहकारिता मंत्री भी बने। पुलिस व न्यायिक सुधारो वाले बड़े कानून बनाए और आतंकवाद व नक्सलवाद पर लगाम कसी।चुनावी मैदान में विरोधियों ने भी शाह की क्षमता को माना। विरोधियों ने भले ही राजनीतिक आलोचना की हो लेकिन शाह का तोड़ कोई नहीं निकाल पाया।
2024 के लोकसभा चुनाव में भी अमित शाह भाजपा के प्रबंधन के केंद्र में है और भाजपा को 2014 और 2019 से भी बड़ी जीत दिलाने की ओर अग्रसर हैं।