क्या आप जानते हैं कि क्या है आदर्श आचार संहिता(Model Code of Conduct)? क्या है इसके नियम?
आदर्श आचार संहिता(Model Code of Conduct): चुनाव आयोग ने शनिवार को 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में चुनाव करवाए जाएंगे। इस घोषणा के साथ ही देश भर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्या है आदर्श आचार संहिता? क्या है इसके नियम? और कब हुई इसकी शुरुआत? आईए जानते हैं-
चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद आदर्श आचार संहिता देश भर में लागू
आदर्श आचार संहिता(Model Code of Conduct): चुनाव आयोग ने शनिवार को 2024 के लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। शनिवार को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में चुनाव करवाए जाएंगे। इस घोषणा के साथ ही देश भर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन क्या आप जानते हैं कि क्या है आदर्श आचार संहिता? क्या है इसके नियम? और कब हुई इसकी शुरुआत? आईए जानते हैं-
क्या है आदर्श आचार संहिता (What is Model Code of Conduct) ?
देश में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। इन्हीं नियमों को आदर्श आचार संहिता कहते हैं। जब लोकसभा और विधानसभा के चुनाव होते हैं तो इस दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेताओं और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है। आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती हैं और चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। राजनीतिक दलों और नेताओं के मार्गदर्शन के लिए एक ऐसे मानको का समूह है आचार संहिता, जिसे राजनीतिक दलों की सहमति से ही तैयार किया गया है। राजनीतिक दलों ने उस संहिता में कुछ सिद्धांतों का पालन करने और उनका अक्षरश: अनुपालन करने के लिए सहमति दी है। ऐसे ही नियमों के समूह को आदर्श आचार संहिता कहते हैं।
आचार संहिता में क्या है निर्वाचन आयोग की भूमिका (What is the Role of Election Commission in Code of Conduct) ?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुसार संसद राज्य विधान मंडल, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन के लिए चुनाव का संचालन, निर्देशन और नियंत्रण करने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की है। आयोग ये सुनिश्चित करता है कि चुनाव के लिए जिस तंत्र का उपयोग किया जाए उसका दुरुपयोग ना हो। इसके अलावा चुनाव, कदाचार, अपराध और भ्रष्ट आचरण, रिश्वतखोरी, मतदाताओं को प्रलोभन देने, उन्हें धमकाने, भयभीत करने जैसी गतिविधियों से दूर रहे और यदि इनका उल्लंघन होता है तो इस मामले में उचित उपाय किया जाए। इस तरह की गतिविधियां न हो इसीलिए आदर्श आचार संहिता बनाई गई है।
कब शुरू हुई थी आदर्श आचार संहिता (When Code of Conduct was Started) ?
आदर्श आचार संहिता की शुरुआत केरल विधानसभा चुनाव से 1960 में हुई थी। आचार संहिता को राजनीतिक दलों से बातचीत और सहमति से ही तैयार किया गया है। इसमें पार्टी और उम्मीदवारों ने यह तय किया की वे किन- किन नियमों का पालन करेंगे। 1962 के आम चुनाव के बाद 1967 के लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी आचार संहिता का पालन हुआ। बाद में इसमें और नियम जुड़ते चले गए।
आदर्श आचार संहिता के क्या है नियम (What are the Rules of Code of Conduct) ?
चुनाव आयोग ने चुनाव के दौरान प्रत्याशियों तथा राजनीतिक दलों द्वारा पालन किए जाने योग्य एक आचार संहिता का निर्माण किया है इसके नियम इस प्रकार हैं-
- आदर्श आचार संहिता की अवाहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता है।
- कोई भी राजनीतिक दल अथवा प्रत्याशी अन्य राजनीतिक दल या प्रत्याशी के पुतले जलाने का कार्य नहीं करेंगे।
- चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशियों को ऐसे वक्तव्य देने से बचना चाहिए जिससे धार्मिक अथवा जातीय उन्माद को बढ़ावा मिले।
- राजनीतिक दलों तथा प्रत्याशियों को यह ध्यान रखना होगा कि उनके समर्थक किसी प्रकार का अस्त्र-शस्त्र लेकर ना चले।
- प्रत्याशियों को अपने प्रतिद्वंद्वी की आलोचना व्यक्तिगत अथवा चारित्रिक आधार पर नहीं करनी चाहिए।
- प्रत्याशियों द्वारा राजनीतिक दलों द्वारा मतदाताओं को किसी प्रकार का प्रलोभन जैसे- शराब पैसा इत्यादि नहीं देना होगा।
- धार्मिक स्थलों का प्रयोग चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
- सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
- सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाएगा।
- किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद नहीं हो सकता।
- यदि कोई राजनीतिक दल या राजनेता ऐसा करता है तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन कहा जाएगा।
- किसी भी राजनीतिक दल प्रत्याशी नेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस प्रशासन की अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के कार्य नहीं होंगे।
- किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के आधार पर वोट नहीं मांगे जाएंगे।
- सरकारी कोष का इस्तेमाल किसी धार्मिक पार्टी या समारोह में नहीं किया जा सकता।
- रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने पर रोक होती है और जनसभाये भी सुबह 6 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती है।
- मतदान के 48 घंटे पहले जनसभाओं और जुलूसों पर रोक लगा दी जाती है।
- यदि इन नियमों का उल्लंघन होता है तो सजा का प्रावधान भी है। आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्यवाही भी की जा सकती है।