क्या परंपरागत सीट पर सपा की विरासत आगे बढ़ा पाएंगी डिंपल यादव ? : लोकसभा चुनाव अपडेट
डिंपल यादव, मैनपुरी लोकसभा, लोकसभा चुनाव अपडेट: पश्चिमी यूपी की हाई प्रोफाइल सीट मैनपुरी पर पूरे देश की निगाहें टिकी है। उत्तर प्रदेश में मैनपुरी लोकसभा समाजवादी पार्टी की परंपरागत सीट रही है। सपा का इस सीट पर कितना दबदबा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2014 और 2019 की मोदी लहर में भी इस सीट पर भाजपा जीत नहीं दर्ज कर सकी। पश्चिमी यूपी की यही वह सीट है जिसे कभी ना जीत पाने की टीस भाजपा नेताओं के दिलों में साफ दिखती है।
सपा का गढ़ रही मैनपुरी सीट पर मुलायम की विरासत को बरकरार रखने की चुनौती अब डिंपल यादव के सामने है। डिंपल का मुकाबला कभी मुलायम सिंह के सहयोगी रहे जयवीर सिंह से है। हालांकि मुलायम सिंह के निधन के बाद 2022 के उपचुनाव में डिंपल यहां से शानदार जीत दर्ज कर चुकी हैं।
जयवीर सिंह 2002 में मुलायम सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के राज्य मंत्री रहे हैं। मैनपुरी सदर सीट से विधायक जयवीर इस समय योगी सरकार में पर्यटन एवं संस्कृति विभाग की कमान संभाल रहे हैं। वही बसपा प्रत्याशी शिव प्रसाद यादव मुकाबला को त्रिकोणीय बनाने के प्रयास में है।
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डिंपल यादव का राजनीतिक सफर
सेवानिवृत्त आर्मी अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल रामचंद्र सिंह रावत की बेटी डिंपल यादव का बचपन पुणे, अंडमान निकोबार, बेंगलुरु और बरेली में बीता। उनका परिवार उत्तराखंड का रहने वाला है। 46 वर्षीय डिंपल ने लखनऊ से बीकॉम की डिग्री हासिल की और हाई स्कूल, इंटर की पढ़ाई आर्मी स्कूल से की। राजनीति के क्षेत्र को चुनने वाली डिंपल को सोने चांदी के आभूषणों का शौक है उन्हें हीरे मोती के आभूषण बहुत भाते हैं।
डिंपल यादव मुलायम परिवार की बहु, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी है। वह तीन बार की सांसद हैं डिंपल यादव मुलायम परिवार की पहली महिला है जिन्होंने राजनीति में कदम रखा। उन्होंने अपने ससुर मुलायम की प्रेरणा से राजनीतिक यात्रा की शुरुआत फिरोजाबाद से की। अखिलेश यादव ने 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद व कन्नौज दो सीटों से चुनाव लड़ा और दोनों में जीत दर्ज की, लेकिन अखिलेश यादव ने फिरोजाबाद सीट से इस्तीफा दे दिया और कन्नौज से सांसद बने रहे। फिरोजाबाद सीट पर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी ने डिंपल को मैदान में उतारा लेकिन उस समय कांग्रेस के राज बब्बर ने डिंपल यादव को हरा दिया।
अखिलेश यादव के कन्नौज सीट से इस्तीफा देने के बाद डिंपल यादव इस सीट से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुन ली गईं। 2014 के चुनाव में डिंपल यादव कन्नौज से फिर सांसद बनीं।लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में डिंपल यादव को हार का सामना करना पड़ा। 2022 में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद डिंपल यादव ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भारी मतों से जीत दर्ज की और सांसद बनीं
विरासत से अलग पहचान बनाई
डिंपल यादव की उनकी विरासत से अलग भी पहचान है। वह महिला सशक्तिकरण को लेकर संसद से लेकर सभाओं तक अपनी बात रखती हैं। डिंपल राम मनोहर लोहिया को आदर्श मानती हैं। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते डिंपल ने महिला स्वास्थ्य के क्षेत्र में अहम योगदान दिया था। संसद में महिलाओं से जुड़े मामले खास तौर पर स्वास्थ्य व शिक्षा से जुड़े मसले वह शिद्दत से उठती हैं। मैनपुरी से दूसरी बार चुनाव लड़ने जा रहीं डिंपल यादव की रणनीति मुलायम की यादों के सहारे मैनपुरी की जनता का समर्थन हासिल करने की है ।
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मुलायम की विरासत आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी
डिंपल यादव इस समय राजनीति की मांझी हुई खिलाड़ी की तरह चुनाव मैदान में है। मैनपुरी में सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की सियासी धरोहर को संभालने की जिम्मेदारी निभा रही है। इसी के बूते वह एक बार फिर मैनपुरी से चुनाव लड़ रही हैं। डिंपल यादव कन्नौज से दो बार सांसद रहीं हैं, जहां से मुलायम सिंह सांसद रहे थे। वह समाजवादी पार्टी का महिला चेहरा भी हैं और पार्टी की स्टार प्रचारक भी। कई चुनाव में उन्हें सपा की राज्यसभा सांसद जया बच्चन के साथ सभाएं करते देखा गया है। आत्मविश्वास से भरी शालीन व मृदुभाषी डिंपल अपनी पार्टी को आगे बढ़ाने में खासी मशक्कत कर रही हैं।
2022 के उपचुनाव में जब डिंपल यादव लड़ी थी तो अखिलेश सहित पूरा सैफई परिवार उनके चुनाव अभियान को गति दे रहा था। तब डिंपल ने पूरा फोकस मुलायम के नाम पर वोट मांगने पर किया था। अब वह मैनपुरी से मुलायम के रिश्तों की याद दिलाने के साथ भाजपा पर तीखे हमले भी करती दिख रही हैं।
मैनपुरी सीट पर डिंपल के सामने बसपा ने यादव प्रत्याशी उतार कर चुनौती पेश की है। वहीं भाजपा के मैनपुरी से विधायक व योगी सरकार में मंत्री जयवीर सिंह ने भी इस सपा के गढ़ को भेदने में कोई कसर नहीं उठा रखी है। रणनीति के तहत सपा ने गुलशन देव शाक्य को पार्टी में शामिल कर लिया है। गुलशन शाक्य अभी तक इसी सीट पर बसपा प्रत्याशी थे।
मुलायम सिंह की तीसरी पीढ़ी भी उतरी चुनावी मैदान में
2024 के लोकसभा चुनाव में सपा को एक और स्टार प्रचारक भी मिल गया है। अखिलेश यादव की लाडली अदिति यादव ने मुलायम सिंह की तीसरी पीढ़ी के रूप में सीधे तौर पर सियासत की दहलीज पर कदम रख दिया है। लखनऊ में 26 अगस्त 2002 को जन्मी और लंदन से ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल करने वाली अदिति इन दिनों अपनी मां डिंपल के लिए समर्थन मांग रही है।
क्या है मतदाता समीकरण ?
उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है। भाजपा की कोशिश किसी तरह सपा को MY समीकरण में बांधने की है। मगर अभी ऐसा होता नहीं दिख रहा है।शाक्य मतदाताओं का रुझान भाजपा और सपा दोनों तरफ है।
मैनपुरी क्षेत्र के क्या हैं मुद्दे ?
मैनपुरी में 90 के दशक में 142 राइस मिल थी अब मुश्किल 15 16 ही रह गई हैं।उच्च शिक्षण संस्थानों की कमी, सैफई में मल्टी स्पेशलिटी अस्पतालों की जरूरत जैसे मुद्दे हैं जिनको लेकर मैनपुरी सीट पर 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा जा रहा है।