CM योगी ने क्यों जारी किया डिजिटल हाजिरी का आदेश?
डिजिटल हाजिरी: उत्तर प्रदेश में गुरुवार से डिजिटल अटेंडेंस को लेकर सरकार सख्त है। इसको लेकर जारी आदेश में कहा गया है कि तीन दिन ऑनलाइन हाजिरी दर्ज न कराने वाले का वेतन रोक दिया जाएगा। डिजिटल अटेंडेंस दर्ज न कराना विभागीय आदेश की अवहेलना मानी जाएगी। प्रदेश सरकार ने 11 जुलाई से अनिवार्य रूप से डिजिटल अटेंडेंस दर्ज कराने का आदेश दिया था।
सीएम योगी के डिजिटल अटेंडेंस के आदेश का क्यों हो रहा है विरोध ?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सभी प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में जहां 5 से आठवीं तक की पढ़ाई होती है उन स्कूलों के सरकारी टीचर्स को अब ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। ऑनलाइन हाजिरी का मतलब है कि इन सरकारी टीचर्स को अपने रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर से सरकार के वेब पोर्टल पर ऑनलाइन लॉग इन करना होगा। टीचर्स इस वेब पोर्टल पर ऑनलाइन हाजिरी तभी लगा पाएंगे जब उनके मोबाइल फोन की लोकेशन उनके स्कूल की होगी। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश में इस ऑनलाइन हाजिरी के आदेश का जबरदस्त विरोध हो रहा है। क्योंकि यह अटेंडेंस तभी लग पाएगी जब टीचर्स स्कूल में खुद मौजूद होगा।
उत्तर प्रदेश के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में कुल 6.09 लाख टीचर्स पढ़ते हैं जिनमें से पहले दिन सिर्फ 16000 टीचर्स यानी 2% ने ही अपनी ऑनलाइन अटेंडेंस लगाई। बाकी सब लोगों ने इसका बहिष्कार कर दिया। जिस शाहजहांपुर में 10,000 पीलीभीत में 5,899 और संत कबीर नगर जिसमें 4,879 सरकारी टीचर्स हैं, वहां एक भी टीचर्स ने ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं लगाई। वही बरेली जिले में जहां 12,000 टीचर्स है वहां सिर्फ एक तथा बलरामपुर जहां 6,810 टीचर है वहां सिर्फ दो टीचर्स ने ऑनलाइन अटेंडेंस लगाई।
इन अध्यापकों का कहना है कि ज्यादातर सरकारी विद्यालय सुदूर इलाकों के में होते हैं जहां पहुंचने के लिए पक्की सड़के नहीं हैं। कच्चे रास्तों और जंगल से गुजरना होता है। कई बार बाढ़ के कारण पानी भरा होता है जहां समय पर पहुंचना आसान नहीं होता। क्योंकि यह टीचर्स बहुत दूर रहते हैं इसलिए वह इसका विरोध कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री सरकारी स्कूलों में डिजिटल हाजिरी का सिस्टम लेकर क्यों आये
इसका सबसे बड़ा कारण है, बेईमानी। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों में अब तक अटेंडेंस लगाने के लिए सेल्फी सिस्टम का पालन होता था। इसमें टीचर्स स्कूल पहुंचकर रजिस्टर में अपनी हाजिरी लगाते थे फिर स्कूल से अपने मोबाइल फोन से सेल्फी खींचकर सरकार द्वारा भेजे गए लिंक पर अपलोड करते थे। लेकिन बड़ी संख्या में इन सरकारी टीचर्स ने इस सेल्फी सिस्टम का दुरुपयोग किया और पता चला कि कुछ टीचर सिर्फ सेल्फी खींच कर अटेंडेंस लगाने के लिए ही आते थे और बाद में बच्चों को बिना पढ़ाये किसी भी समय स्कूल से घर चले जाते थे। इस फर्जी अटेंडेंस के कारण सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा था।
इससे पहले सरकारी स्कूलों में सरकारी टीचर्स की अटेंडेंस के लिए बायोमेट्रिक सिस्टम भी लागू हुआ था जिसमें मशीन में अंगूठा या अपनी उंगली लगाकर फिंगरप्रिंट के जरिए अटेंडेंस लगाई जाती थी लेकिन बड़ी संख्या में सरकारी टीचर्स ने इसमें भी बेईमानी की और अपनी नकली अंगूठे या उंगलियां बाजार से बनवाएं और अपने फिंगरप्रिंट के साथ बेईमानी से अपनी अटेंडेंस किसी और के जरिए लगवाते रहे। यही कारण है कि सरकार को अटेंडेंस के लिए ऑनलाइन सिस्टम लाना पड़ा।
इस तरह की सख्ती से शिक्षा क्षेत्र में अनुशासन और कार्य प्रणाली में सुधार होगा और सकारात्मक बदलाव आएंगे क्योंकि सरकारी टीचर्स के स्कूल में न होने से बच्चों का अध्यापन कार्य प्रभावित होता है।