सीरिया में विद्रोह और बशर अल-असद का पतन
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने विद्रोहियों के बढ़ते दबाव के चलते देश छोड़कर रूस में शरण ली है। उनके शासनकाल और सीरिया में जारी संघर्ष के बारे में विस्तार से जानें।
कौन हैं सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद, जिन्होंने सीरिया छोड़ रूस में ली शरण?
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद देश छोड़कर भाग गए हैं और उन्होंने रूस में राजनीतिक शरण ली है। सीरिया में विद्रोहियों द्वारा शुरू की गई लड़ाई मात्र 11 दिनों में ही अंजाम तक पहुंच गई। हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के लड़ाकों ने राजधानी दमिश्क में प्रवेश कर हवाई अड्डा, दूरसंचार मंत्रालय और अन्य ठिकानों पर अपना अधिकार जमा लिया। पिछले एक हफ्ते में विद्रोहियों ने अलेप्पो, हमा, होम्स और दारा जैसे बड़े शहरों पर कब्जा कर लिया है। दारा वह शहर है जहां से 2011 में राष्ट्रपति बशर अल-असद के खिलाफ विरोध की शुरुआत हुई थी। विद्रोही लड़ाके राजधानी दमिश्क में दारा शहर की तरफ से ही घुसे थे।
बीते 13 वर्षों तक गृहयुद्ध की आग में जल रहे सीरिया को 24 वर्षों तक चले बशर अल-असद के शासन और 13 वर्षों के गृहयुद्ध से निजात मिल गई है। नवंबर के अंत में विद्रोही समूह के लड़ाकों ने महज 11 दिनों में ही राजधानी दमिश्क पर कब्ज़ा कर लिया।
New RBI Governor: कौन हैं संजय मल्होत्रा जो शक्तिकांत दास के बाद संभालेंगे RBI की कमान?
27 नवंबर को सेना और सीरियाई विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के बीच 2020 के सीजफायर के बाद फिर से संघर्ष शुरू हुआ था। सीरिया पर असद परिवार का 53 वर्षों से अधिक शासन रहा है। असद परिवार के राज की शुरुआत बशर अल-असद के पिता हाफिज अल-असद ने 1970 में की थी। हाफिज ने 13 नवंबर 1970 को तख्ता पलट करके सत्ता हासिल की। वह 1971 में राष्ट्रपति बने और 2000 तक पद पर रहे, इस दौरान उन्होंने सीरिया पर 29 वर्षों तक शासन किया।
बशर अल-असद कैसे आए सत्ता में?
11 सितंबर 1965 को दमिश्क में जन्मे बशर अल-असद अपने पिता हाफिज अल-असद की दूसरी संतान हैं। उन्होंने दमिश्क यूनिवर्सिटी से मेडिसिन में स्नातक की पढ़ाई की और सेना में डॉक्टर बन गए। इसके बाद उन्होंने लंदन में नेत्र रोग विशेषज्ञ के तौर पर भी काम किया। बशर के बड़े भाई की कार दुर्घटना में मौत के बाद, उनके पिता ने बशर को लंदन से सीरिया बुला लिया, क्योंकि वह बड़े भाई बासिल को भविष्य में सीरिया का राष्ट्रपति बनाना चाहते थे। बासिल की मौत के बाद, बशर अल-असद को असद वंश का वारिस बनाने का फैसला किया गया। बशर अल-असद ने 2000 में सीरिया की सत्ता संभाली।
2011 में बशर अल-असद शासन के खिलाफ दक्षिणी शहर दारा में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए। सुरक्षा बलों की गोलीबारी में सैकड़ों लोग मारे गए। 2011 की शुरुआत में मिस्र और ट्यूनीशिया में राजनीतिक और आर्थिक विरोध प्रदर्शन हुए, जिन्हें ‘अरब स्प्रिंग’ कहा जाता है। इन आंदोलनों ने सीरिया में विद्रोह को प्रोत्साहित किया। मार्च 2011 में 15 सीरियाई स्कूली बच्चों को अरब स्प्रिंग से प्रेरित भित्तिचित्र लिखने के लिए गिरफ्तार किया गया, जिनमें से एक लड़के की हत्या कर दी गई। इससे पूरे सीरिया में आक्रोश भड़क उठा।
जून 2012 में असद शासन ने विद्रोह को दबाने के लिए शहरों और कस्बों पर भारी हवाई हमले किए, जिनमें हजारों नागरिक मारे गए और रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल भी किया गया।
वर्ष 2021 में 95% से ज्यादा वोटों के साथ चौथी बार असद ने सीरिया की सत्ता हासिल की, लेकिन 2024 के अंत में उनके शासन का अंत हो गया।
असद सुधारवादी नेता से कैसे बने तानाशाह?
बशर अल-असद सेना में कर्नल थे और उनकी छवि एक सुधारवादी नेता की थी। राष्ट्रपति बनने से पहले उन्होंने सीरिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चलाया और इंटरनेट की सुविधा लेकर आए, जिससे उनकी छवि एक सुधारवादी नेता की बन गई। लेकिन 2011 में विद्रोह को कुचलने के लिए उन्होंने कठोर तरीके अपनाए, जिससे उनकी छवि एक तानाशाह की बन गई।
असद ने लेबनान के आतंकी संगठन हिज़्बुल्लाह और ईरान की मदद से लोकतंत्र समर्थकों को हर बार दबाने का प्रयास किया। रूस ने भी उनका भरपूर साथ दिया। जब रूस यूक्रेन युद्ध में उलझ गया और ईरान अमेरिका, इज़राइल समेत कई देशों के निशाने पर आ गया, तब सीरिया का मामला उलझ गया। गाज़ा में हमास और लेबनान में उसका मददगार हिज़्बुल्लाह इज़रायली हमलों से कमजोर पड़ गए, जिसका फायदा सीरिया में विद्रोहियों ने उठाया और राष्ट्रपति बशर अल-असद को सत्ता छोड़कर भागने को मजबूर कर दिया।