CAA Updates: देश भर में लागू हुआ नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act)
CAA Updates ( Citizenship Amendment Act News)
केंद्र सरकार ने लगभग 4 वर्षों के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA)लागू कर दिया है। इस कानून की अधिसूचना 11 मार्च (सोमवार) की शाम को जारी कर दी गई है। केंद्र सरकार द्वारा कोविड की वजह से CAA की अधिसूचना जारी करने में देर हुई थी और अब 11 मार्च की शाम से यह अधिसूचना जारी कर दी गई है। नागरिकता संशोधन कानून वह कानून है जिसे CAA के नाम से जाना जाता है। CAA को लेकर पहले बहुत विवाद हुआ था। CAA का अर्थ है Citizenship Amendment Act 2019 (नागरिकता संशोधन कानून 2019)। CAA के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यक सरलता से भारतीय नागरिकता ले सकेंगे।
CAA Updates in Hindi:
केंद्र सरकार ने लगभग 4 वर्षों के बाद देश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA)लागू कर दिया है। इस कानून की अधिसूचना 11 मार्च (सोमवार) की शाम को जारी कर दी गई है। केंद्र सरकार द्वारा कोविड की वजह से CAA की अधिसूचना जारी करने में देर हुई थी और अब 11 मार्च की शाम से यह अधिसूचना जारी कर दी गई है। नागरिकता संशोधन कानून वह कानून है जिसे CAA के नाम से जाना जाता है। CAA को लेकर पहले बहुत विवाद हुआ था। CAA का अर्थ है Citizenship Amendment Act 2019 (नागरिकता संशोधन कानून 2019)। CAA के जरिए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित अल्पसंख्यक सरलता से भारतीय नागरिकता ले सकेंगे।
नागरिकता संशोधन विधेयक 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था। एक दिन बाद ही इस विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति मिल गई थी और 2019 में ही नागरिकता संशोधन कानून बनाए गए थे, लेकिन उस समय इस कानून को लेकर बड़े पैमाने पर आंदोलन और विरोध हुआ था। दिल्ली के शाहीन बाग में CAA के विरोध में 100 दिनों तक आंदोलन चला था।
यह भारत का पहला ऐसा कानून है जिसके बारे में बहुत सी भ्रांतियां फैली हुई हैं तो आईए जानते हैं क्या है नागरिकता संशोधन कानून और इसका इतिहास? यह किन लोगों पर लागू होगा? तथा मुसलमानों को इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया है ?
क्या है नागरिकता संशोधन कानून और इसका इतिहास (What is Citizenship Amendment Act and Its History ) ?
नागरिकता संशोधन कानून (CAA )के बारे में यह भ्रांति है कि यह कानून एक विशेष धर्म की नागरिकता को समाप्त करने के लिए बनाया गया है जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। नागरिकता संशोधन कानून (CAA)अल्पसंख्यक के लिए भारतीय नागरिकता देने की राह आसान करता है। नागरिकता संशोधन कानून(CAA)आज का नहीं है। यह कानून पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय में पहली बार 1955 में लागू हुआ था। इसके बाद इस कानून का कुल 6 बार संशोधन हो चुका है। केंद्र की मोदी सरकार के संशोधित कानून को CAA 2019 कहा जाता है।
इस कानून से भारत के किसी भी धर्म के व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनी जाएगी। भारत के मुस्लिम या किसी भी धर्म और समुदाय के लोगों की नागरिकता को इस कानून से कोई खतरा नहीं है। यह कानून भारत के उन तीन पड़ोसी देश के बारे में है जहां के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को केंद्र सरकार इस नए कानून के तहत भारत की नागरिकता प्रदान करेगी। यह तीन पड़ोसी देश है- पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश। इन देशों में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म के लोग अल्पसंख्यक हैं क्योंकि इनकी संख्या वहां बहुत कम है। यह कानून सिर्फ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले शोषित लोगों को भारत की नागरिकता हासिल करने की राह आसान करता है।
क्या है नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (What is Citizenship Amendment Act,2019) ?
पहले किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता प्राप्त करने के लिए कम से कम पिछले 11 साल से यहां रहना अनिवार्य था, लेकिन CAA,2019 में इस नियम को आसान बनाकर नागरिकता हासिल करने की अवधि को एक साल से लेकर 6 साल कर दिया गया है। अर्थात पाकिस्तान बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 6 समुदायों, हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी यदि 1 से 6 साल से भारत में आकर बस गए हैं तो ऐसे लोगों को भारतीय नागरिकता मिल सकेगी। या यूं कहें कि भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर- मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
CAA के तहत मुसलमानों को नागरिकता देने का प्रावधान क्यों नहीं है?
CAA के तहत मुस्लिम नागरिकों को शामिल नहीं किया गया है क्योंकि यह तीनों देश मुस्लिम बहुल देश हैं। यहां इस्लाम को मानने वाले अल्पसंख्यक नहीं बल्कि बहुसंख्यक है और उन पर धर्म के आधार पर किसी भी तरह का भेदभाव या अत्याचार नहीं होता। इसलिए इनको इसमें शामिल नहीं किया गया है। पाकिस्तान में 97% अफगानिस्तान में 99.7% और बांग्लादेश में 91% मुसलमान रहते हैं और इसलिए इन देशों के मुसलमानों को भारत की नागरिकता की आवश्यकता नहीं है।
कोई भी देश किसी दूसरे देश की बहुसंख्यक आबादी को नागरिकता देने के लिए कभी कोई कानून नहीं बनाता क्योंकि नागरिकता की आवश्यकता बहुसंख्यक आबादी को नहीं होती। इन तीन देशों में अल्पसंख्यक आबादी हिंदू, सिख, इसाई, जैन, बौद्ध और पारसी धर्म की हैं। पाकिस्तान में 1.8% बांग्लादेश में 8.51% और अफगानिस्तान में मात्र 0.04% हिंदू बचे हैं। अतः CAA कानून उन गैर मुस्लिम समुदायों को नागरिकता प्रदान करेगा जिनके ऊपर इन तीन देशों में धर्म के आधार पर भेदभाव या अत्याचार होता है।
CAA के तहत नागरिकता उन गैर मुस्लिम समुदायों को मिलेगी जो 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आ गए थे। यदि आज इन तीन देशों से कोई भी गैर मुस्लिम समुदाय के लोग भारत आ भी जाए तो उन्हें यह नागरिकता नहीं मिलेगी।
अब तक क्यों नहीं लागू हो सका CAA ?
नागरिकता संशोधन नियम अभी तक लागू नहीं हो सका क्योंकि CAA के तहत अभी नियम बनाने बाकी थे। CAA को लेकर देश में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिली थी। राजनीतिक दलों द्वारा भी CAA का विरोध किया गया था। इसके बावजूद केंद्र सरकार इसे लागू करने का मन बना चुकी थी लेकिन कोरोना महामारी ने इस सारे कार्यक्रम पर विराम लगा दिया था और CAA अधर में लटक गया। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शुरू से ही कहते आ रहे थे कि CAA हर हाल में लागू किया जाएगा। जो लोग सोचते हैं कि ऐसा नहीं होगा वह गलत साबित होंगे।
अमित शाह ने क्या कहा था ?
पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम के कार्यान्वयन को कोई रोक नहीं सकता।
“मैं यह साफ तौर से कहना चाहता हूं कि CAA देश का कानून है और इसके कार्यान्वयन को कोई रोक नहीं सकता है। यह हमारी पार्टी की प्रतिबद्धता है।”
यही नहीं अमित शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस मुद्दे पर लोगों को गुमराह करने का आरोप भी लगाया था, जबकि भारत के तीन मुस्लिम बहुसंख्यक पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम प्रवासियों को इस कानून के तहत नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है।
किन लोगों पर लागू होगा CAA ?
CAA का नियम उन लोगों पर लागू होगा जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए थे। प्रवासियों को यह सिद्ध करना होगा कि वे अपने देश से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए हैं, वे लोग संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को बोलते हैं और वह 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले से भारत में रह रहे हैं। इन अनिवार्यताओं के अतिरिक्त प्रवासियों को नागरिक कानून 1955 की तीसरी सूची की अनिवार्यताओं को भी पूरा करना होगा तभी वे (प्रवासी) आवेदन के पात्र होंगे।
CAA के तहत कैसे मिलेगी नागरिकता?
नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता प्राप्त करने के लिए गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत सरकार द्वारा बताई गई वेबसाइट पर पहले अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा उसके बाद यह प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।