क्या कोविशील्ड वैक्सीन हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक का कारण हो सकती है?
कोविड वैक्सीन को लेकर कोविशील्ड का फार्मूला तैयार करने वाली एस्ट्राजेनिका कंपनी का एक बयान आने के बाद भारत में हड़कंप मचा हुआ है। कंपनी ने यह माना है कि कुछ दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने या प्लेटलेट्स कम होने की संभावना है। भारत में यह वैक्सीन कोविशील्ड के नाम से दी जा रही थी। भारत में इसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है। वहीं विपक्षी पार्टियों को सरकार के खिलाफ एक और मुद्दा मिल गया है जिसको लेकर विपक्षी सरकार को घेरने का प्रयास कर रहा है। यह कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने करोड़ों लोगों को कोविशील्ड लगवा कर उनके जीवन से खिलवाड़ किया है।
क्या है पूरा मामला आइए जानते हैं-
कोविशील्ड का फार्मूला तैयार करने वाली ब्रिटेन की कंपनी एस्ट्रेजेनेका ऑक्सफोर्ड ने ब्रिटेन की एक अदालत में यह माना है कि दुर्लभ मामलों में इस वैक्सीन के इस्तेमाल से शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं और इसकी वजह से हार्ट अटैक या ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। एस्ट्रेजेनेका ने ब्रिटेन की एक हाईकोर्ट में यह जानकारी दी है, जहां एस्ट्रोजेनिका लगवाने वाले 51 पीड़ित परिवारों ने इस कंपनी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है और इस वैक्सीन को डिफेक्टिव घोषित करने की मांग करते हुए इस कंपनी से1000 करोड रुपए का मुआवजा मांगा है। इस मामले में अदालत की सुनवाई अभी पूरी नहीं हुई है इसलिए अदालत ने अभी तक कोई फैसला नहीं सुनाया है। अदालत क्या फैसला सुनाती है यह जानना दिलचस्प होगा।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार फरवरी के में एस्ट्रेजेनेका कंपनी ने अदालत में एक हालकनामा दायर करके यह स्वीकार किया की दुर्लभ मामलों में उसकी कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव हो सकते हैं एस्ट्रेजेनेका के मुताबिक इससे शरीर में खून के थक्के जमने का एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है जिसे TTS कहते हैं।
क्या है TTS ?
TTS को थ्रांबोसिस विद थ्रांबोसाइटोपेनिया सिंड्रोम कहते हैं। इस सिंड्रोम में जब किसी व्यक्ति के बाजू में वैक्सीन को इंजेक्ट किया जाता है तो वह वैक्सीन कुछ समय के बाद रक्त कोशिकाओं में चली जाती है और इस दौरान कुछ दुर्लभ मामलों में यह वैक्सीन रक्त कोशिकाओं के अंदर एक खास प्रोटीन से मिल सकती है जिसे ‘प्लेटलेट्स फैक्टर फॉर’ कहते हैं ।अधिकतर मामलों में ऐसा होता नहीं है लेकिन यदि किसी मामले में ऐसा हो जाए तो शरीर का इम्यून सिस्टम गलती से इस प्रोटीन को कोरोना वायरस समझ लेता है और फिर इस पर ही हमला करने लगता है यानी जो वैक्सीन इलाज के लिए लगाई गई है इस पर आपका इम्यून सिस्टम हमला करने लगता है। इसके बाद शरीर में कुछ जगहों पर खून के थक्के जमने लगते हैं और अगर खून के थक्के हृदय और मस्तिष्क को खून पहुंचाने वाली रक्त कोशिकाओं में बन जाए तो इससे हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है और यही एस्ट्रोजेनिका वैक्सीन के साथ हो रहा है जिसे कंपनी ने ब्रिटेन की एक अदालत में अब स्वीकार कर लिया है।
भारत समेत पूरी दुनिया में जितने भी लोगों ने एस्ट्रेजेनेका की वैक्सीन लगवाई है अब वह इस खबर से बेहद डरे हुए हैं। पूरी दुनिया में 170 से ज्यादा देश ऐसे हैं जहां लोगों को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगाई गई है और इन देशों में भी इस वैक्सीन को सबसे ज्यादा खुराक भारत में लगी है भारत में कोविड वैक्सीन के जो 220 करोड़ टीके लगाए गए हैं उनमें 79% यानी 175 करोड़ कोविशील्ड के हैं जो एस्ट्राजेनेका का ही बदला हुआ नाम है। यही वजह है कि भारत में भी इस खबर को लेकर काफी राजनीति चल रही है। कुछ लोग इस खबर को लेकर लोगों में दहशत फैलाने के लिए आधी अधूरी जानकारी देश में फैला रहे हैं।
क्या वास्तव में कोविशील्ड से शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं ?
भारत में कोविशील्ड को लेकर काफी राजनीति चल रही है। यह तो बताया जा रहा है कि कोविशील्ड से शरीर में खून के थक्के जम सकते हैं, जिससे हार्ट अटैक और बेन स्ट्रोक हो सकता है लेकिन यह जानकारी कोई नहीं दे रहा कि ऐसा बहुत ही दुर्लभ मामलों में होता है उदाहरण के लिए जिस ब्रिटेन में इस वैक्सीन पर सवाल उठ रहे हैं वहां लोगों को इस वैक्सीन की पांच करोड़ खुराक लगाई गई हैं, जिनमें से सिर्फ 81 लोगों पर इस वैक्सीन का गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिला और इससे उनकी मौत हुई। एस्ट्रेजेनेका कंपनी ने अदालत को यह भी बताया है कि उसकी वैक्सीन से 60 लाख लोगों की जान बची है। इसलिए इस वैक्सीन को सुरक्षित ही माना जाएगा।
क्या कहता है WHO ?
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 2021 में यह बताया था कि इस वैक्सीन को लगवाने वाले हर 10,000 लोगों में से सिर्फ एक व्यक्ति को इसके दुष्प्रभाव हो सकते हैं,जिससे यह पता चलता है कि इस वैक्सीन के फायदे के सामने इसके दुष्प्रभाव कुछ भी नहीं है।
भारत में इस खबर को लेकर बहुत भ्रम पैदा करने की कोशिश की जा रही है। भारत में भी लोगों ने कोविशील्ड को लगवाया है और यह कहा जा रहा है कि भारत सरकार ने करोड़ों लोगों को कोविशील्ड लगवा कर उनके जीवन से खिलवाड़ किया है। लेकिन यदि किसी ने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई है तो कुछ बातें ध्यान देने योग्य है –
- जिन लोगों ने भी कोविशील्ड वैक्सीन लगवाया है उन्हें यह जानना आवश्यक है कि इस वैक्सीन के दुष्प्रभाव वैक्सीन लगवाने के एक से 6 हफ्ते के बीच होते हैं। यदि 6 हफ्ते के भीतर आपको वैक्सीन के साइड इफेक्ट नहीं हुये तो अब इसकी संभावना न के बराबर है। यानी एक महीने में कोई दुष्प्रभाव नहीं हुआ तो उस व्यक्ति को डरने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- जो लोग यह दावा कर रहे हैं कि शरीर में खून के थक्के जमने की बीमारी कोविशील्ड से पैदा हुई है वह गलत जानकारी दे रहे हैं। सच यह है कि TTS नामक यह सिंड्रोम 100 वर्षों से भी ज्यादा पुराना है। पहली बार TTS नामक यह बीमारी 1924 में 16 वर्षीय लड़की को हुई थी।
- एस्ट्रेजनेका या कोविशील्ड अकेले ऐसी वैक्सीन नहीं है जिसके दुष्प्रभाव से दुर्लभ मामलों में ब्लड क्लॉटिंग होती है। हमारे देश में इस्तेमाल होने वाली इनफ्लुएंजा वैक्सीन H1N1, फ्लू वैक्सीन और रेबीज वैक्सीन इन सब से भी इस तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं और कोविड वैक्सीन में इन वैक्सीन के मुकाबले ऐसे साइड इफेक्ट बहुत कम और ना के बराबर होते हैं।
वैसे भी एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभाव होते ही है। शायद ही कोई ऐसी एलोपैथी दवा होगी जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। यह जानते हुए भी लोग अपने बच्चों को पोलियो की वैक्सीन लगवाते हैं क्योंकि दुष्प्रभाव से ज्यादा इन वैक्सीन के लाभ है।
भारत में कोविशील्ड को लेकर फैलाया जा रहा भ्रम
भारत में कोविड वैक्सीन को गलत तरह से प्रचारित किया जा रहा है, जिसमें भारत में लोग यहां तक दावा कर रहे हैं कि भारत में हार्ट अटैक से अचानक होने वाली मौत का कारण कोविड वैक्सीन भी हो सकती है। कोविड के बाद सोशल मीडिया पर अचानक ऐसे वीडियो आए जिसमें लोग डांस करते, व्यायाम करते या चलते-चलते हार्ट अटैक का शिकार हो गए। इन सब की वजह लोग कोविड और कोविड वैक्सीन को मानने लगे। लेकिन दुनिया भर में इस पर हुए शोध में ऐसा कोई भी क्लीनिकल एविडेंस नहीं मिला जो हार्ट अटैक के इस दावे की सच साबित कर सके।
क्या कहते हैं आंकड़े?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक भारत में कोविड वैक्सीन की जो 250 करोड़ खुराक लगी है इनमें से सिर्फ 254 पर इसके दुष्प्रभाव देखे गए और इनमें भी सबसे ज्यादा 155 लोग ऐसे थे जिन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई थी।कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव भारत में 0.00001% देखने को मिले जबकि ब्रिटेन में 0.0002% लोगों की इस वैक्सीन से मौत हुई। लेकिन इस वैक्सीन ने पूरी दुनिया में लाखों करोड़ों लोगों की जान बचाई, यह भी एक कड़वा सच है।
अकेले एस्ट्रेजेनेका वैक्सीन से कोविड संक्रमण से 60 लाख लोगों की जान बची जबकि पूरी दुनिया में केवल 1000 लोगों की मौत हुई। वैक्सीन लगवाने से खून के थक्के जमने की संभावना बेहद कम होती है जबकि वैक्सीन की तुलना में कोरोनावायरस से खून के थक्के बनने की संभावना ज्यादा है।
आज यदि दुनिया कोरोना काल और मास्क को पीछे छोड़ आगे बढ़ चुकी है तो इसका श्रेय कोविड वैक्सीन को ही जाता है।
दुनिया में 77.5 करोड़ लोग कोविड पॉजिटिव हुए थे और करीब 70 लाख लोगों की इससे मौत हुई थी। पूरी दुनिया में 1359 करोड़ से ज्यादा कोविड वैक्सीन दी गई थी।