September 8, 2024
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देश का पहला और विश्व का दूसरा एक्सपोसैट अंतरिक्ष में लॉन्च:  XPoSat Launch

Country’s first and world’s second exosat launched into space

Country's first and world's second exosat launched into space

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को नए साल के पहले दिन देश का पहला एक्स- रे पोलारीमीटर सैटेलाइट एक्सपोसैट लांच कर दिया है। यह ब्लैक होल जैसी खगोलीय वस्तुओं के बारे में अंतर्दृष्टि प्रदान करेगा। सोमवार को सुबह 9:10 पर इसरो के पहले एक्स- रे पोलरीमीटर उपग्रह यानी एक्सपोसैट को रॉकेट पोलर सैटलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) C58 के जरिए लॉन्च किया गया।

क्या है एक्सपो सैट? (What is XPoSat?)

एक्सपो सैट (एक्स- रे पोलरीमीटर सैटेलाइट) चरम स्थितियों में उज्जवल खगोलीय एक्स-रे स्रोतों की विभिन्न गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए भारत का पहला समर्पित पोलरीमेट्री मिशन है।

दो पेलोड लेकर जाएगा एक्सपोसैट

एक्सपो सैट अंतरिक्ष यान पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित होगा। यह अपने साथ दो पेलोड पोलरीमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्सल रेंज(POLIX )और एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कॉपी एंड टाइमिंग (XSPECT) लेकर जाएगा।

पीओएलआईएक्स(POLIX)

यह सैटेलाइट का मुख्य पेलोड है। 126 किलोग्राम का यह यंत्र अंतरिक्ष में स्रोतों के चुंबकीय फील्ड इलेक्ट्रॉन का अध्ययन करेगा। यह अंतरिक्ष में 8 से 30 किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट रेंज की ऊर्जा क्षेत्र में डिग्री और एंगल को मापेगा।इसका निर्माण बेंगलुरु के रमन रिसर्च संस्थान ने यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के साथ किया है।

एक्सएसपीईसीटी (XSPECT)

यह 0.8- 15 किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट की ऊर्जा क्षमता में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा। इसका निर्माण एक्स- रे के बारे में और अच्छे से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए किया गया है। इसे युआर राव सैटलाइट सेंटर ने विकसित किया है।

यह अब तक का विश्व का दूसरा मिशन

नासा ने वर्ष 2021 में इमेजिंग एक्स-रे पोलरीमेट्री एक्सप्लोरर लॉन्च किया था। उस वक्त इमेजिंग टाइम डोमेन स्टडी पर ध्यान दिया गया था अब भारत के एक्सपो सैट के साथ दुनिया का दूसरा डेडीकेटिज पोलैरिमेट्री मिशन होगा। इस मिशन में तेज एक्स- रे सोर्स के ध्रुवीकरण का पता लगाने की तैयारी है। इसरो ने इस मिशन की शुरुआत 2017 में की थी।

इस मिशन का क्या है उद्देश्य ?

यह सैटेलाइट एक्स किरणों का अध्ययन करके ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारे की जानकारी जुटाएगा। साथ ही अंतरिक्ष के 50 सबसे चमकीले स्रोतों का अध्ययन भी करेगा। इसमें पल्सर, ब्लैक होल एक्स-रे बिनेरी, सक्रिय गैलेक्टिक नाभिक, न्यूट्रॉन सितारे और गैर- थर्मल सुपरनोवा के बचे हिस्से शामिल है। इस सैटेलाइट को 500- 700 किलोमीटर की पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यहां करीब 5 साल तक रहकर डाटा जुटाएगा।

‘निसार’ उपग्रह का प्रक्षेपण भी होगा

नासा और इसरो की 1.2 अरब डॉलर की संयुक्त परियोजना ‘निसार’ उपग्रह का प्रक्षेपण भी होगा। यह जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने के लिए पृथ्वी की तस्वीर लेने वाला सबसे महंगा उपग्रह होगा। 2024 में ‘गगनयान’ परियोजना के तहत दो मानवरहित मिशन भेजे जाएंगे।

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