December 25, 2024
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जागरूकता का अभाव अंगदान में बड़ी बाधा, मृत्यु के बाद एक शरीर दे सकता 8 व्यक्तियों को नया जीवन (Organ donation after death can give new life to at least eight people, Lack of awareness is a major impediment : Apollomedics Super Speciality Hospitals)

भारत में प्रतिवर्ष समय से अंगदान न मिलने के चलते लगभग 5 लाख लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा होता है। ऐसा इसलिए कि दुनिया भर में भारत में ऐच्छिक अंगदान या शरीर दान की दर विश्व में सबसे कम है। इसका सबसे बड़ा कारण है, जागरूकता न होना।

Organ donation - Living beyond death /forever : Apollomedics Super Speciality Hospitals

Organ donation - Living beyond death /forever : Apollomedics Super Speciality Hospitals

  • अपोलोमेडिक्स सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में पहली बार हुआ कैडेबर लिवर ट्रांसप्लांट
  • एनसीआर के अतिरिक्त यूपी में अपोलोमेडिक्स इकलौता प्राइवेट हॉस्पिटल जहां सभी ऑर्गन के ट्रांसप्लांट की अनुमति
  • ट्रांसप्लांट की स्थिति में अपोलोमेडिक्स में ही मौजूद डॉक्टर बिना समय गंवाए किसी भी प्रकार के ट्रांसप्लांट के लिए आवश्यक कार्यवाही को करते हैं पूरा

लखनऊ हिंदी न्यूज़ : भारत में प्रतिवर्ष समय से अंगदान ( Organ Donation ) न मिलने के चलते लगभग 5 लाख लोगों के जीवन पर खतरा मंडरा रहा होता है। ऐसा इसलिए कि दुनिया भर में भारत में ऐच्छिक अंगदान या शरीर दान की दर विश्व में सबसे कम है। इसका सबसे बड़ा कारण है, जागरूकता न होना। इसके अलावा धार्मिक मान्यताएं, सांस्कृतिक गलतफहमियां और पूर्वाग्रह। यदि किसी रिश्तेदार का अंग न मिल पाए तो इन सभी कारणों से अंग प्रत्यारोपण की आवश्यकता वाले मरीजों का इन्तजार लम्बा होता चला जाता है।

अंगदान एक जीवित, या किसी व्यक्ति की मृत्यु के तुरंत बाद उसके शरीर के ऊतकों या अंगों को निकाल कर उस अंग के जरुरतमन्द रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाना है। हर उम्र के लोग अंगदान ( Organ Donation )कर सकते हैं।

अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल के सीईओ व एमडी डॉ. मयंक सोमानी (Apollomedics Super Specialty Hospitals CEO and MD Dr. Mayank Somani) अंगदान के बारे में विस्तार से बताते हुए कहते हैं, “किसी मृत व्यक्ति के शरीर से मिले लिवर को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है और 2 जरुरतमन्द रोगियों के शरीर में इसे ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। इसी तरह फेफड़ों को 2 रोगियों के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। किड्नी भी दो रोगियों को जीवेनदान दे सकती है। जबकि दिल व अग्न्याशय एक-एक रोगी के शरीर में ट्रांसप्लांट कर उनकी जान बचाई जा सकती है। इस तरह से मृत्यु के बाद भी कोई व्यक्ति अंगदान कर 8 गंभीर रोगियों को जीवन दान दे सकता है।”

Organ donation at apollomedics hospital Lucknow
Organ donation at apollomedics hospital Lucknow

डॉ अमित गुप्ता, डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांट( Director of Nephrology & Kidney Transplant, Apollomedics Super Specialty Hospitals), अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल ने जानकारी देते हुए कहा, “यदि जीवित व्यक्ति भी अपने किसी नजदीकी रिश्तेदार को अपने लिवर का एक हिस्सा दान में देता है तो उसका लिवर चार हफ्तों में पुनः अपने वास्तविक आकार में विकसित हो जाता है और दानकर्ता और प्राप्तकर्ता कुछ ही समय में स्वस्थ जीवन जीने लगते हैं। इसी प्रकार स्वस्थ व्यक्ति यदि अपनी एक किडनी दान कर देता है तो एक जरूरतमंद रोगी को जीवनदान मिल जाता है। सामान्य व स्वस्थ व्यक्ति के लिए शरीर में एक किडनी का होना पर्याप्त है।”

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार प्रति वर्ष लगभग 2 लाख व्यक्ति किडनी फेलियर (Kidney Failure ) से पीड़ित होते हैं, जबकि इनमें से केवल लगभग 6000 को ट्रांसप्लांट के लिए किडनी मिल पाती है। इसी तरह प्रति वर्ष 2 लाख रोगियों की मृत्यु लिवर फेल होने या लीवर कैंसर से होती है, जिनमें से लगभग 10-15% को समय पर लिवर ट्रांसप्लांट कर बचाया जा सकता है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 30 हजार लिवर ट्रांसप्लांट (Liver  transplant) की जरूरत होती है लेकिन केवल डेढ़ हजार लोगों को ही ट्रांसप्लांट मिल पाता है। इसी तरह हर साल लगभग 50,000 व्यक्तियों को हार्ट ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होती है लेकिन प्रति वर्ष मुश्किल से 10 से 15 ही हार्ट ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। आंखों के मामले में लगभग एक लाख लोगों को कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea transplant) की आवश्यकता होती है, जबकि उसके मुकाबले प्रति वर्ष लगभग 25,000 लोगों को ही कॉर्निया ट्रांसप्लांट मिल पाते हैं।

डॉ मयंक सोमानी ने बताया, “हाल ही में एक हादसे में 21 वर्षीय युवक के ब्रेनडेड हो जाने के बाद उनके परिजनों ने मानवता के हित में दूसरे मरीजों को जीवनदान देने के लिए अंगदान की प्रक्रिया अपनाने का फैसला लिया। उत्तर प्रदेश में अपोलोमेडिक्स पहला ऐसा अस्पताल है जहां हमने पहली बार कैडेबर से अंगों का प्रत्यारोपण किया। हमने 48 घंटे के भीतर 4 सफल अंग प्रत्यारोपण किया, जिनमें 2 लीवर और 2 किडनी ट्रांसप्लांट शामिल हैं।“ (Apollomedics is the only private hospital in UP where transplantation of all organs is allowed.)

डॉ सोमानी ने बताया, “एनसीआर के अतिरिक्त अपोलोमेडिक्स यूपी का पहला प्राइवेट हॉस्पिटल है, जिसे अन्य अंगों के प्रत्यारोपण के साथ-साथ हृदय और फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए भी लाइसेंस प्राप्त है। अपोलोमेडिक्स हॉस्पिटल में सुपरस्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की इन हाउस टीम 24×7 मौजूद रहती है, जो ट्रांसप्लांट की आवश्यकता होने पर शीघ्र निर्णय लेकर समय रहते ट्रांसप्लांट कर मरीज की जान बचा सकती है।”

डॉ सोमानी ने अपोलोमेडिक्स ( Dr. Mayank Somani of Apollomedics Super Specialty Hospitals Lucknow ) के उन सभी कुशल डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ का आभार जताया और बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट प्रो अमित गुप्ता के कुशल निर्देशन व नेतृत्व में हुआ जिसमें डॉ शहजाद आलम, डॉ आदित्य के शर्मा, डॉ (ब्रिगेडियर) आनंद श्रीवास्तव, डॉ शशिकांत गुप्ता, डॉ सुजीत शेखर सिन्हा व डॉ जॉनी अग्रवाल शामिल थे। जबकि लिवर ट्रांसप्लांट टीम को डॉ आशीष कुमार मिश्रा ने लीड किया, जिसमें डॉ वलीउल्लाह सिद्दीकी, डॉ राजीव रंजन सिंह व डॉ सुहांग वर्मा शामिल थे।

डॉ मयंक सोमानी ने अंगदान के विषय में आगे बताया, “अंगदान को धार्मिक मान्यताओं के चलते नकारने वालों को महर्षि दधिचि का उदाहरण याद करना चाहिए कि परोपकार के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण शरीर दान कर दिया था। अंगदान को इस रूप में भी देखा जाना चाहिए कि मृत्यु के पश्चात अंगदान का प्रण लेने वाले न केवल कई व्यक्तियों को नया जीवनदान देते हैं बल्कि मृत्यु के पश्चात भी वे अलग-अलग व्यक्तियों में किसी न किसी रूप में जीवित रहते हैं।“