क्या खतरे में है सीएम योगी की कुर्सी, क्या अरविंद केजरीवाल की भविष्यवाणी सच साबित होगी ?
सीएम योगी की कुर्सी: यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। इसलिए इस प्रदेश का दिल्ली की सरकार बनाने में अहम योगदान रहा है। 2014 और 2019 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी लेकिन2024 में यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा जिसकी वजह से बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। यही वजह है कि भाजपा अपने खराब प्रदर्शन से सबक लेते हुए बड़ा एक्शन ले सकती है। लेकिन यह बड़ा एक्शन क्या होगा? क्या यूपी में सीएम की कुर्सी से योगी को हटा दिया जाएगा? क्या अरविंद केजरीवाल की भविष्यवाणी सच साबित होगी ?
सीएम योगी की कुर्सी: यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं। इसलिए इस प्रदेश का दिल्ली की सरकार बनाने में अहम योगदान रहा है। 2014 और 2019 में उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी लेकिन2024 में यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा जिसकी वजह से बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। यही वजह है कि भाजपा अपने खराब प्रदर्शन से सबक लेते हुए बड़ा एक्शन ले सकती है। लेकिन यह बड़ा एक्शन क्या होगा? क्या यूपी में सीएम की कुर्सी से योगी को हटा दिया जाएगा? क्या अरविंद केजरीवाल की भविष्यवाणी सच साबित होगी ?
अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था कि,
““भाजपा ने वसुंधरा राजे की राजनीति खत्म कर दी, खट्टर और रमन सिंह की राजनीति खत्म कर दी और अबकी बार जीत के बाद योगी आदित्यनाथ का नंबर है। इस बार बीजेपी योगी आदित्यनाथ की राजनीति खत्म करेगी चुनाव के दो महीने बाद ही योगी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा दिया जाएगा।””
-Arvind Kejriwal
2017 से उत्तर प्रदेश की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में है लेकिन यह पहली बार है जब लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठ रहे हैं। वरना 2022 विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी को लेकर एक नारा दिया था। उन्होंने कहा था, आज पूरे यूपी की जनता कह रही है- “ यूपी+योगी, बहुत है उपयोगी।”
मोदी ने यूपी के लॉ एंड ऑर्डर को योगी से जोड़कर उपयोगी बताया था। विधानसभा के परिणाम आने के बाद योगी एक बार फिर मुख्यमंत्री बने लेकिन योगी को लेकर यूपी की सियासी अटकलों का दौर जारी रहा। हाल ही में आई एक किताब “एट द हार्ट ऑफ पावर- द चीफ मिनिस्टर ऑफ़ उत्तर प्रदेश” में योगी को हटाने को लेकर एक बड़ा दावा किया गया है। किताब में लिखा गया है कि 2022 चुनाव से पहले योगी को हटाने को लेकर भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गंभीर था। आखिरी वक्त में चुनाव में नुकसान की आशंका के चलते योगी की कुर्सी बच गई थी।
2022 के विधानसभा चुनावों में ही योगी को हटाने की थी तैयारी
2022 के विधानसभा चुनाव में कुल 9 महीने बचे थे ऐसे में लखनऊ से दिल्ली तक बीजेपी और आरएसएस की कई दौर की मीटिंग हुई। एक वक्त यह तय हो गया था कि योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाएगा। इससे पहले की योगी के नेतृत्व में कोई बदलाव किया जाता बीजेपी के आला कमान को आभास हो गया कि यदि चलती सरकार में योगी को हटाया गया तो पार्टी को नुकसान उठाना पड़ेगा। योगी को हटाने को लेकर जिस कारण पर सबसे ज्यादा चर्चा होती है वह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से उनके मतभेद। किताब ‘एट द हार्ट आफ पावर- द चीफ मिनिस्टर ऑफ़ उत्तर प्रदेश’ में भी इस बात का उल्लेख है।
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आरएसएस नेताओं के दखल के बाद 22 जून 2021 को योगी अचानक केशव प्रसाद मौर्य से मिलने पहुंचे थे। इन दोनों नेताओं के रिश्तों में सुधार की कवायद के रूप में इसे देखा गया। अप्रैल 2016 में केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के अध्यक्ष बने और मार्च 2017 में पार्टी की जीत के बाद सीएम की रेस में केशव प्रसाद मौर्य का नाम था। लेकिन सीएम योगी को मुख्यमंत्री बना दिया गया तभी से इन दोनों नेताओं के बीच मतभेद किसी से छिपा नहीं है। अब देखना यह है कि क्या यह मतभेद आगे चलकर बदलाव की वजह बनेगा।
यूपी बीजेपी की कार्यसमिति की बैठक में भी सीएम योगी और केशव प्रसाद मौर्य के बयानों में दिखा विरोधाभास
CM Yogi Vs Keshav Prasad Maurya: लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार 14 जुलाई को यूपी बीजेपी कार्य समिति की बैठक हुई। इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी के हार को लेकर पांच बड़े कारण बताए जिनमें-
- अति आत्मविश्वास
- विरोधी पार्टियों द्वारा हिंदुओं को अलग-अलग जातियों में बांटना।
- भीतरघात, यूपी में बीजेपी के कमजोर होने का बहुत बड़ा कारण।
- विपक्षी दलों द्वारा भाजपा को संविधान विरोधी बात कर अफवाह फैलाना
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी हार का कारण बना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद योगी से सहमत नहीं है। केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि सरकार संगठन और पार्टी से बड़ी नहीं हो सकती। भाजपा के कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं मिल रहा था इसलिए पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बयानों में विरोधाभास है।
मुख्यमंत्री जहां एक तरफ अति आत्मविश्वास को बड़ा कारण बताकर अप्रत्यक्ष रूप से दिल्ली को या दिल्ली से आने वाले नेताओं और दिल्ली में बनने वाली रणनीति को जिम्मेदार बता रहे हैं, तो वहीं केशव प्रसाद मौर्य के बयान से ऐसा लगता है कि वह इस बार सीएम योगी को जिम्मेदार बताना चाहते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान भी यूपी से ऐसी बहुत सी खबरें आई थी जिनमें यह बताया गया कि भाजपा के कार्यकर्ताओं की ना तो स्थानीय पुलिस थानों में कोई सुनवाई होती है, नहीं सरकारी प्रशासन में और ना ही उनका कोई सरकार में काम होता है। जिस वजह से बीजेपी के कार्यकर्ताओं में असंतोष था और इससे कार्यकर्ताओं ने मेहनत नहीं की क्योंकि जो जिला स्तर के नेता होते हैं वह अपने कार्यकर्ताओं का काम लेकर लखनऊ जाते हैं। अपने इस काम के बल पर वे कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त करते हैं। लोगों को विश्वास दिलाते हैं कि उनकी सरकार में आपका कोई काम रूकेगा नहीं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्य के बयानों में विरोधाभास तो है ही इसके साथ ही उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली का काफी करीबी माना जाता है। अब सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर जो अरविंद केजरीवाल ने भविष्यवाणी की थी क्या वो सच साबित होने वाली है ?