Mahakumbh 2025: महाकुंभ क्या है? यह कब और कहां लगता है? इसके पीछे क्या है पौराणिक मान्यता?
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होगा। यह पवित्र आयोजन गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर होता है। जानें महाकुंभ का महत्व, पौराणिक कथा, स्नान तिथियां और आयोजन की प्रमुख बातें।
About Mahakumbh In Hindi:
प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का शुभारंभ
About Mahakumbh: 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा पूजन के बाद रत्नजड़ित कलश स्थापित कर महाकुंभ मेले का शुभारंभ कर दिया। हालांकि महाकुंभ मेले की शुरुआत पौष पूर्णिमा से होगी जो 13 जनवरी को है। पीएम मोदी द्वारा मेले का शुभारंभ करने पर अखाड़ों का मेले में प्रवेश शुरू हो चुका है। 14 दिसंबर को जूना अखाड़ा ने नगर प्रवेश किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाकुंभ को दिव्य और भव्य बनाने के हर संभव प्रयास में लगे हैं। 2025 का कुंभ भारत और पूरे विश्व के लिए एक महाउत्सव की तरह है।
क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ 12 वर्षों में क्यों लगता है, यह कहां-कहां लगता है, और इसके पीछे क्या पौराणिक मान्यता है? आइए जानते हैं:
क्या है महाकुंभ?
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का ऐसा महापर्व है जिसकी परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है।
- मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान गंगा की पावन धारा में अमृत का सतत प्रवाह होता है।
- महाकुंभ भारतीय जनमानस की पर्व चेतना की विराटता का द्योतक है।
- इसमें पवित्र नदियों के जल में स्नान करने का विधान है, जिससे आत्मा की शुद्धि होती है।
महाकुंभ भारत के चार तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है:
- प्रयाग (प्रयागराज)
- हरिद्वार
- उज्जैन
- नासिक
यह पर्व हर 12 वर्ष पर इन स्थलों पर आयोजित होता है। इसके अतिरिक्त, अर्धकुंभ भी मनाया जाता है, जो हर 6 वर्ष पर केवल हरिद्वार और प्रयागराज में होता है।
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कहां-कहां और कब-कब लगता है महाकुंभ?
1. प्रयागराज
- प्रयागराज में महाकुंभ माघ महीने में संगम तट पर लगता है।
- जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में हो और बृहस्पति मेष अथवा वृष राशि में स्थित हो, तो यह योग बनता है।
श्लोक:
मेष राशि गते जीवे मकरे चन्द्रभास्करौ।
अमावस्या तदा योगः कुम्भाख्य तीर्थनायके।।
2. हरिद्वार
- सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में हो, तो हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होता है
3. उज्जैन
- उज्जैन में महाकुंभ क्षिप्रा नदी के तट पर लगता है।
- सिंह के सूर्य और बृहस्पति के योग पर यह आयोजन होता है।
4. नासिक
- नासिक में गोदावरी नदी के तट पर महाकुंभ का आयोजन होता है।
- जब बृहस्पति, सूर्य, और चंद्रमा कर्क राशि में हों, तो यह योग बनता है।
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महाकुंभ के पीछे क्या है पौराणिक कथा?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन से 14 रत्नों की प्राप्ति की।
- इनमें से एक अमृत कलश था, जिसे इंद्र के पुत्र जयंत लेकर भागे।
- अमृत कलश को स्वर्ग तक पहुंचाने में 12 दिन लगे, जो मनुष्यों के 12 वर्ष के समान हैं।
- इस दौरान अमृत की बूंदें 12 स्थानों पर गिरीं। इनमें से चार स्थल पृथ्वी पर हैं: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक।
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2025 में प्रयागराज महाकुंभ
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से होगी और समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर होगा।
महाकुंभ 2025 के प्रमुख स्नान पर्व:
- 13 जनवरी – पौष पूर्णिमा
- 14 जनवरी – मकर संक्रांति
- 29 जनवरी – मौनी अमावस्या
- 3 फरवरी – बसंत पंचमी
- 12 फरवरी – माघी पूर्णिमा
- 26 फरवरी – महाशिवरात्रि
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Official Website of Mahkumbha 2025: www.kumbh.gov.in