July 27, 2024

क्या है एम.एस. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट (M.S. Swaminathan Committee Report) जिसको लागू करने के लिए किसान उतरे सड़कों पर: Farmer Protest

अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम आज से शुरू 1

M.S. Swaminathan Committee Report: देश में होने वाले आम चुनावो से पहले किसानों ने एक बार फिर आंदोलन शुरू कर दिया है। मंगलवार को ‘किसान मजदूर मोर्चा’ और ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ नामक दो संगठनों ने ‘दिल्ली चलो मार्च’ बुलाया था और अब दिल्ली आने के सभी बॉर्डर सील कर दिए गए हैं। पुलिस किसानों को रोकने की पूरी कोशिश कर रही है जिसके लिए आंसू गैस और रबर बुलेट का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।

किसानों का आंदोलन इस समय जगह-जगह जाम का कारण बना है। लोग ट्रैफिक से परेशान हैं। 2021 जैसा आंदोलन फिर से किसानों ने शुरू कर दिया है। सड़कों पर पुलिस और किसानों के बीच माथा- पच्ची जारी है। इन सब में एक रिपोर्ट का जिक्र बार-बार हो रहा है और वह है ‘स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट’। क्या है स्वामीनाथन की रिपोर्ट जो सरकार के लिए सर दर्द बनती जा रही है और जिसकी मांग करते-करते किसान बार-बार सड़कों पर आ जाते हैं।

दिल्ली कूच कर रहे किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार स्वामीनाथन आयोग के सिफारिश को जल्दी लागू करें। हालांकि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि “सरकार ने किसानों की अधिकतर मांगे स्वीकार कर ली हैं। सरकार MSP गारंटी पर जुड़ी मांगों पर चर्चा को तैयार हैं। न्यूनतम समर्थन मूल्य वाला कानून बिना सलाह किए जल्दबाजी में नहीं लाया जा सकता है।” लेकिन इसके बावजूद किसानों का आंदोलन थमता नहीं दिख रहा। किसान लगातार स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को लागू करने की मांग कर रहे हैं।

हाल ही में भारत सरकार द्वारा एम.एस. स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया है लेकिन स्वामीनाथन की रिपोर्ट सरकार के लिए सर दर्द बनी हुई है तो आईए जानते हैं कौन हैं एम.एस. स्वामीनाथन और क्या है स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट जिसको लागू करने के लिए किसान आंदोलन आंदोलन पर हैं-

कौन है एम.एस. स्वामीनाथन(Who is M.S. Swaminathan?)

भारत में ‘हरित क्रांति के जनक’ माने जाने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था। वे एक कृषि विज्ञानी, कृषि वैज्ञानिक, एक प्लांट जेनेटिस्ट और प्रशासक थे। एम.एस. स्वामीनाथन को भारत में ‘हरित क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। दुनिया भर के अलग-अलग विश्वविद्यालयों से 81 मानद डॉक्टरेट की उपाधियां भी उन्हें मिल चुकी हैं। स्वामीनाथन ने 1949 में आलू, गेहूं, चावल और जूट के जेनेटिक्स पर रिसर्च करके अपना करियर शुरू किया। उन्होंने धान की अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे भारत के कम आय वाले किसानों को ज्यादा उपज करने में मदद मिले। स्वामीनाथन ने कई एग्रीकल्चर रिसर्च प्रयोगशाला में प्रशासनिक पदों पर काम किया।

उन्होंने ‘इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड इंटरनेशनल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के महानिदेशक के रूप में काम किया। उन्होंने 1979 में कृषि मंत्रालय के प्रमुख सचिव के रूप में भी काम किया। एम.एस. स्वामीनाथन को 2004 में राष्ट्रीय किसान आयोग के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया। स्वामीनाथन को 1971 में रैमन मैग्सेसे पुरस्कार और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन विश्व विज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1986 में स्वामीनाथन को पहले विश्व खाद्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसके बाद उन्होंने चेन्नई में एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन की स्थापना की।

क्या है स्वामीनाथन आयोग ? (What is Swaminathan Committee?)

स्वामीनाथन आयोग का गठन नवंबर 2004 में हुआ था। इसे ‘नेशनल कमीशन ऑफ फॉर्मर्स’ नाम दिया गया था। ‘हरित क्रांति के जनक’ और महान कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन इसके अध्यक्ष थे। उन्हीं के नाम पर इस आयोग का नाम ‘एम.एस. स्वामीनाथन कमेटी’ पड़ा। एम.एस. स्वामीनाथन ने किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने और खेती में पैदावार बढ़ाने को लेकर कई सिफारिशें की थी।

इस कमेटी ने 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी जिसमें कई तरह की सिफारिशें से हुई। एम.एस. स्वामीनाथन ने किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठने के लिए कई सुझाव दिए थे। इनमें सबसे अहम सुझाव था MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य। हालांकि स्वामीनाथन आयोग के इन सिफारिशों को अब तक कोई भी सरकार पूरी तरह से लागू नहीं कर पाई है। आखिर इन सिफारिश में ऐसा क्या है जिसे सरकार लागू नहीं कर पाई।

क्या है स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश ?

MSP पर सिफारिशें- हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन ने सबसे अहम सुझाव न्यूनतम समर्थन मूल्य का दिया था। समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) औसत लागत से 50 फीसदी ज्यादा रखने की सिफारिश की थी, जिससे छोटे किसानों को फसल का उचित मुआवजा मिले।

  • आयोग का कहना था कि न्यूनतम समर्थन मूल्य कुछ ही फसलों तक सीमित नहीं रहे।
  • गुणवत्ता वाले बीज किसानों को कम दामों पर मिलें।
  • किसानों को मिलने वाले कर्ज का फ्लो बढ़ाने के लिए सुधार हो।
  • जमीन का सही बटवारा करने के लिए भी सिफारिश थी। इसके तहत सर प्लस जमीन को भूमिहीन किसान परिवारों में बांटा जाना चाहिए।
  • खेती से जुड़े सामान की गुणवत्ता और रखरखाव में सुधार की व्यवस्था हो।
  • बेहतर खेती के लिए स्थानीय निकायों को और मजबूत बनाने की भी सिफारिश की गई थी।
  • स्वामीनाथन आयोग में किसानों को लेकर जमीन बंटवारे संबंधी मामले पर भी चिंता जताई गई थी। कहा गया था कि 1991 से 92 में 50 फ़ीसदी ग्रामीण लोगों के पास देश की सिर्फ तीन फ़ीसदी जमीन थी। वहीं कुछ लोगों के पास ज्यादा जमीन थी। आयोग ने इस असमानता को लेकर सही व्यवस्था पर फोकस करने की सलाह दी थी।
  • बेकार पड़ी जमीन को भूमिहीनों को देने का सुझाव दिया गया था।
  • भूमि सुधार पर विशेष ध्यान देने का जिक्र था वहीं खेतों में ज्यादा लोगों को जोड़ने की बात भी इस आयोग में कही गई थी।
  • आयोग के मुताबिक 1961 में कृषि से जुड़े रोजगार में 75 फीसदी लोग जुड़े थे लेकिन 1999 से 2000 तक यह घटकर 59 फ़ीसदी हो गया था।

कौन तय करता है फसलों की MSP ?

फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य( MSP) केंद्र सरकार लागू करती है। राज्य की सरकारों के पास भी MSP लागू करने के अधिकार हैं। किसानों को फसलों की सही कीमत मिले, इसके लिए सरकार ने वर्ष 1965 में ‘ कृषि लागत और मूल्य आयोग’ (CACP) का गठन किया। यह आयोग हर साल रबी और खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करता है। इसमें कई बातों का ध्यान रखा जाता है जैसे, फसल के उत्पाद की लागत क्या है? बाजार में मौजूदा कीमत क्या है? इसके साथ ही इस फसल की मांग और आपूर्ति कितनी है?

इन सब के बीच सरकार से बातचीत बेनतीजा रहने पर किसान समूहों ने अपना दिल्ली चलो मार्च शुरू कर दिया है। एक-एक करके किसान दिल्ली तक पहुंच रहे हैं।