July 27, 2024

World Theatre Day : आइए जानते हैं विश्व रंगमंच दिवस कब मनाया जाता है और इसके मनाने का उद्देश्य क्या है?

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विश्व रंगमंच दिवस प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश इस दिवस का एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो विश्व के किसी जाने-माने रंगकर्मी द्वारा रंगमंच तथा शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है।
एक नाटक कलाकार और दर्शक दोनों के मन पर अपनी छाप छोड़ता है। नाटक की इस विधा को जीवित रखने और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए ही विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है ।

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विश्व रंगमंच दिवस || World Theatre Day || एक जीवंत कला परंपरा || 27 March 2023 || World Theatre Day 2023 || विश्व रंगमंच दिवस 2023

World Theatre Day 2023  (विश्व रंगमंच दिवस)  : रंगमंच ना केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि यह लोगों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से जगाने का भी एक साधन है। कुछ समय पहले लोगों का मनोरंजन रंगमंच के माध्यम से ही होता था। उस समय सिनेमा की शुरुआत नहीं हुई थी। आज हिंदी सिनेमा अपने चरम पर है लेकिन आज भी एक ऐसा वर्ग है जिसे रंगमंच (Theatre) से प्यार है।

एक नाटक कलाकार और दर्शक दोनों के मन पर अपनी छाप छोड़ता है। नाटक की इस विधा को जीवित रखने और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए ही विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है ।रंगमंच ना केवल मनोरंजन का साधन है बल्कि यह लोगों को सामाजिक और भावनात्मक रूप से जगाने का भी एक साधन है। 

कुछ समय पहले लोगों का मनोरंजन रंगमंच के माध्यम से ही होता था। उस समय सिनेमा की शुरुआत नहीं हुई थी। आज हिंदी सिनेमा अपने चरम पर है लेकिन आज भी एक ऐसा वर्ग है जिसे रंगमंच से प्यार है।
एक नाटक कलाकार और दर्शक दोनों के मन पर अपनी छाप छोड़ता है। नाटक की इस विधा को जीवित रखने और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाने के लिए ही विश्व रंगमंच दिवस मनाया जाता है ।

आइए जानते हैं विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) कब मनाया जाता है और इसके मनाने का उद्देश्य क्या है ?

विश्व रंगमंच दिवस प्रत्येक वर्ष 27 मार्च को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संदेश इस दिवस का एक महत्वपूर्ण आयोजन है जो विश्व के किसी जाने-माने रंगकर्मी द्वारा रंगमंच तथा शांति की संस्कृति विषय पर उसके विचारों को व्यक्त करता है।

विश्व रंगमंच दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई तथा क्या है इसका इतिहास ? ( When did the celebration of World Theater Day begin and what is its history?)

 1961में ‘ international theater institute'(ITI) द्वारा विश्व रंगमंच की स्थापना की गई थी। 1962 में पहला अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस संदेश फ्रांस की जीन कॉक्टे दिया था।
सन 1961 में पहले हेलासिंकी और फिर वियेना में अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आईटीआई) इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट के नौवें विश्व समागम के दौरान संस्थान के तत्कालीन अध्यक्ष ‘ अर्वी किविमा’ ने विश्व रंगमंच दिवस की स्थापना किए जाने का प्रस्ताव रखा था। स्कैंडिनेवियाई केंद्रों ने आई.टी.आई. के फिनलैंड स्थित केंद्र की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव का समर्थन किया। विश्व के अन्य केंद्रों ने इसका जोरदार समर्थन किया।
पहली बार औपचारिक तौर पर 27 मार्च 1962 को ‘ अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच दिवस’ (World Theatre Day) मनाया गया। 1962 से अब तक विश्व के 100 से अधिक देशों में स्थापित आई.टी.आई. केंद्रों में इसे व्यापक और विविध रूपों में मनाया जाता है।

क्या है अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आई.टी.आई.) ?

 अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान (आई.टी.आई.) की स्थापना प्राग (चेक गणराज्य) में सन् 1948 में यूनेस्को और विश्व के प्रसिद्ध रंगकर्मीयों ने मिलकर की थी। अभिनय कला के क्षेत्र में काम करने वाला एक महत्वपूर्ण अशासकीय संगठन है आई.टी.आई.। इसका मुख्यालय पेरिस में है।

क्यों मनाया जाता है विश्व रंगमंच दिवस ? (उद्देश्य) (Why is World Theatre Day celebrated?)

 विश्व भर में लोगों को रंगमंच संस्कृति के विषय में बताना और उसके विचारों के महत्व को समझाना विश्व रंगमंच दिवस का उद्देश्य है। विश्व रंगमंच दिवस लोगों का रंगमंच के मूल्यों से अवगत कराने, दुनिया भर में रंगमंच को बढ़ावा देने तथा सभी रूपों में रंगमंच का आनंद लेने के उद्देश्य से मनाया जाता है।
‘ अंतर्राष्ट्रीय रंगमंच संस्थान’ का उद्देश्य है “अभिनय कला के क्षेत्र में ज्ञान और व्यवहार के अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना, रचनात्मकता को उत्प्रेरित करना, रंगकर्मियों में सहकारिता बढ़ाना, समाज में शांति और मैत्री भाव को मजबूत करने हेतु आपसी समझ को गहरा करने का प्रयास करना तथा यूनेस्को के आदेशों और उद्देश्यों की रक्षा में सहयोग प्रदान करना।”
आईटीआई के इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विश्व भर में विश्व रंगमंच दिवस के आयोजन जोर- शोर से किए जाते हैं।

क्या होता है विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर ?

 विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day )के अवसर पर प्रत्येक वर्ष रंगमंच से जुड़ी एक असाधारण प्रतिभा को आई.टी.आई. द्वारा आमंत्रित किया जाता है जो रंगमंच और अंतरराष्ट्रीय सद्भाव पर अपने विचार और अनुभव व्यक्त करते हैं। आमंत्रित हस्ती के विचारों को अंतरराष्ट्रीय संदेश के रूप में जाना जाता है। इस संदेश का आई.टी.आई. मुख्यालय और इसके सभी केंद्र पूरे वर्ष प्रचार- प्रसार करते हैं। इस संदेश का 20 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया जाता है। भारत की 2 भाषाएं भी इन 20 भाषाओं में शामिल है- मराठी और बांग्लादेश। संदेश का विश्व भर में लाखों दर्शकों के समक्ष वाचन किया जाता है तथा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन किया जाता है।

विश्व रंगमंच दिवस (World Theatre Day) का पहला संदेश 1962 में जीन कॉक्टे दिया था। अब तक ‘ गिरीश कर्नाड’ एकमात्र भारतीय हस्ती है जिन्हें यह सम्मान मिला है। गिरीश कर्नाड को 2002 के संदेश के लिए चुना गया था।

विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर विश्व भर में लोगों को पास लाने, शांति और भाईचारे को बढ़ावा देने तथा आपसी समझ को बढ़ाने की गरज से रंगकर्मी अपने श्रोताओं और दर्शकों से रूबरू होते हैं। विश्व के प्रत्येक कोने से अंतरंग और बहिरंग समारोहों का आयोजन विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर किया जाता।
संपूर्ण विश्व में रंगमंच दिवस के बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजन उस समस्त आस्था का प्रतिनिधित्व करते है जो विनाशकारी हथियारों और शक्तिशाली समूह राष्ट्रों से शांति के लिए जूझ रहे हैं।

क्या है रंगमंच का महत्व ?

 जीवन के रंगमंच पर रंगमंच की मूल विधाओं का सीधा नाता है। यह विधाएं आईने के रूप में समाज की अभिव्यक्तियों को व्यक्त करती हैं। मानवता की सेवा में रंगमंच की असीम क्षमता समाज का सच्चा प्रतिबिंब है। शांति और सामंजस्य की स्थापना में रंगमंच एक शक्तिशाली हथियार और औजार है रंगमंच सामूहिक विचारों के प्रशिक्षण में समाज के शांति और सामंजस्य का माध्यम है। यह कम खर्चीला और मनोरंजन का सशक्त विकल्प है। रंगमंच समाज का आईना है जिसमें सच कहने का साहस है। यह मनोरंजन के साथ शिक्षा भी देता है।

भारत में रंगमंच का इतिहास ( History of Theatre in India)

ऐसा माना जाता है कि भारत की प्रथम नाट्यशाला का निर्माण ‘महाकवि कालिदास जी’ ने किया था। यह नाट्यशाला अंबिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड़ पर स्थित है। अपनी इस पहली नाट्यशाला में ही महाकवि कालिदासजी ने ‘ मेघदूत’ की रचना की थी।

भारत में रंगमंच की प्राचीनता पुराणों में उल्लिखित, यम, यामी और उर्वशी के रूप में दृष्टिगत है। रंगमंच का इतिहास भारत में सहस्त्र वर्ष पुराना है। प्राचीन नाटकों के संवादों से प्रेरणा लेकर ही नाटकों की रचना की गई।

आधुनिक भारत में ‘ भारतेंदु हरिश्चंद्र’ के नाटकों व मंडली से देश प्रेम तथा नवजागरण की चेतना ने तत्कालीन समाज में उद्भूत की जो आज भी अविरल है ।भारतेंदु जी का ‘ अंधेर नगरी’ नाटक ऐसा नाटक है जो जितनी बार मंचित होता है उतना ही उत्साह देता है।
कालिदास रचित ‘ अभिज्ञान शाकुंतलम’ मोहन राकेश का ‘आषाढ़ का एक दिन’ धर्मवीर भारती का ‘अंधा युग’ तथा विजय तेंदुलकर का ‘घासीराम कोतवाल’ श्रेष्ठ नाटक की श्रेणी में आते हैं।

विश्व रंगमंच दिवस 2023 का संदेश

 विश्व रंगमंच 2023 का संदेश मिस्र की ‘ सामिहा अयूब’ ने लिखा है। सामिहा अयूब मिस्र की मशहूर अभिनेत्री हैं ।