क्या इस लोकसभा सीट पर चार दशकों का इतिहास बदल जाएगा?
Hyderabad, Lok Sabha Seat: चार दशकों से हैदराबाद लोकसभा सीट पर ओवैसी परिवार का दबदबा रहा है। आजादी के बाद पहले चुनाव से 1980 के चुनाव तक यहां कांग्रेस का कब्जा रहा। कांग्रेस ने आजादी के बाद से लेकर 1980 तक छह बार यहां से जीत दर्ज की, लेकिन 1984 के लोकसभा चुनाव से ओवैसी परिवार का जादू इस क्षेत्र में इस कदर चला कि 1980 से 2019 के चुनाव तक यह सीट ओवैसी परिवार के ही कब्जे में है। ओवैसी परिवार ने कांग्रेस का किला ऐसा ध्वस्त किया कि फिर कभी कांग्रेस यहां खड़ी नहीं हो पाई।
एआइएमआइएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी हैदराबाद सीट से चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं और पांचवीं जीत के लिए फिर मैदान में उतरे हैं। वहीं भाजपा ने इस सीट पर माधवी लता को उतार कर ऑल इंडिया मजलिस- ए- इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ तगड़ी घेराबंदी कर दी है। सामाजिक कार्यों और अपने बेबाक बयानों से चर्चा में रहने वाली माधवी मुसलमानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।मुस्लिम औरतों का सकारात्मक रुझान माधवी लता की तरफ है। ऐसे में भाजपा को उम्मीद है कि हिंदू वोट माधवी लता की तरफ जाने और मुस्लिम महिलाओं का वोट भी बंट जाने से ओवैसी का किला भेदा जा सकता है।
हैदराबाद सीट पर चतुष्कोणीय बना मुकाबला
हैदराबाद सीट पर 2024 के लोकसभा चुनाव में चतुष्कोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और भाजपा की माधवी लता के अलावा कांग्रेस उम्मीदवार मोहम्मद वालीउल्लाह समीर और बीआरएस के गद्दम श्रीनिवास रेड्डी भी मैदान में है।
क्या है हैदराबाद सीट का इतिहास ?
हैदराबाद लोक सभा सीट पर 1952 के पहले आम चुनाव से लेकर 1980 तक हुए सात चुनाव में छह बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1952 में कांग्रेस के अहमद मोहिउद्दीन और 1957 में विनायक राव कोराटकर ने जीत दर्ज की।1962 और 67 का चुनाव कांग्रेस के गोपालियात सब्बू कृष्ण मेलकोटे जीते थे। 1971 का चुनाव मेलकोटे ने तेलंगाना प्रजा समिति के टिकट पर लड़ा और जीत दर्ज की। 1977 व 1980 का चुनाव कांग्रेस के के एस नारायण ने जीता था। लेकिन 1980 के बाद यहां कोई भी पार्टी खड़ी नहीं हो पाई, सिवाय एआइएमआइएम के अलावा।
क्यों खास है हैदराबाद सीट ?
हैदराबाद में मुस्लिम आबादी सबसे अधिक 60% है जबकि हिंदू आबादी 35% है। हैदराबाद शहर अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां खैरताबाद में भगवान गणेश की प्रतिमा देश की सबसे ऊंची प्रतिमा है। यहां स्थित रामोजी फिल्म सिटी को दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी का दर्जा गिनीज बुक में मिला है। हैदराबाद की गोलकोंडा और हैदराबादी पेंटिंग भी आकर्षण का केंद्र है। दुनिया भर में इसकी मांग है और इसे खूब पसंद किया जाता है। हैदराबाद सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें हैं। इसमें 6 सीटें मलकपेट, कारवां चारमीनार, चंद्रायणगुट्टा, याकूतपुरा और बहादुरपुर एआइएमआइएम के पास हैं जबकि एक सीट गोशामहल भाजपा के पास है।
हैदराबाद सीट के उम्मीदवार
हैदराबाद सीट पर चार उम्मीदवार कांग्रेस, बीआरएस,भाजपा और एआइएमआइएम के उम्मीदवार मैदान में है।
असदुद्दीन ओवैसी अपना किला बचाने के प्रयास में
1984 में असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन ओवैसी हैदराबाद से निर्दलीय जीते थे। इसके बाद उन्होंने एआइएमआइएम का गठन किया। वह 1999 तक यहां से विजयी होते रहे। सुल्तान सलाहुद्दीन छह बार तो असदुद्दीन ओवैसी लगातार चार बार यहां से सांसद हैं और पांचवीं बार जीत की कोशिश में हैं।
ओवैसी के गढ़ में सेंध लगाने की चुनौती माधवी लता के सामने
हैदराबाद सीट पर असदुद्दीन ओवैसी के गढ़ में सेंध लगाने की जिम्मेदारी भाजपा नेता माधवी लता के कंधों पर हैं। राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर माधवी लता साफ छवि की नेता हैं। पेशेवर भरतनाट्यम नृत्यांगना माधवी ने तेलुगू और तमिल फिल्मों में अभिनय किया है। माधवी वर्ष 2018 में भाजपा में शामिल हुई। वर्ष 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वे गुंटूर से मैदान में उतरी लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरा समीर को उतारा
कांग्रेस ने मोहम्मद वालीउल्लाह समीर को मैदान में उतारा है जानकारों का कहना है कि कांग्रेस ने मुस्लिम चेहरे को आगे कर ओवैसी के वोट बैंक में तो सेंध लगा ही दी है।
बीआरएस को गद्दम पर भरोसा
बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव ने हैदराबाद लोकसभा सीट से गद्दम श्रीनिवास रेड्डी को मैदान में उतारा है। गद्दाम श्रीनिवास रेड्डी गोशामहल के रहने वाले हैं और एक बड़े शिक्षण संस्थान के अध्यक्ष हैं।