October 15, 2024
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अनंतनाग राजौरी सीट अकेले फतह कर पाएंगी महबूबा मुफ्ती ?

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महबूबा मुफ्ती, Lok Sabha Election Update: जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अनंतनाग- राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में है। जहां उनका मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता मियां अल्ताफ अली से है।

पीपुल डेमोक्रेटिक पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा है और पीडीपी अध्यक्ष के तौर पर महबूबा मुफ्ती गठबंधन की सभी बैठकों में शामिल रही हैं लेकिन नेशनल कांफ्रेंस से उनकी बात नहीं बन पाई है, क्योंकि 2019 के चुनाव में कश्मीर की तीनों लोक सभा सीट पर जीत दर्ज करने वाली नेशनल कांफ्रेंस अपनी जीती हुई कोई भी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। इसलिए महबूबा मुफ्ती ने एकला चलो की नीति अपनाई है। जम्मू कश्मीर में जहां कांग्रेस और नेशनल कांग्रेस कांफ्रेंस गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं वही महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला लिया है।

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महबूबा मुफ्ती का सियासी सफर

22 में 1959 को जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में जन्मी महबूबा मुफ्ती राजनीतिक परिवार से आती हैं। उनके पिता मोहम्मद मुफ्ती सैयद देश के गृहमंत्री रह चुके थे तथा साथ ही जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी थे।

राजनीतिक पार्टी से आने वाली महबूबा मुफ्ती ने अपनी शिक्षा कश्मीर यूनिवर्सिटी से पूरी की। उन्होंने कश्मीर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की। पिता के निधन के बाद उन्होंने पिता की राजनीतिक पार्टी पीडीपी को संभाला।

क्या इस लोकसभा सीट पर चार दशकों का इतिहास बदल जाएगा?

महबूबा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत कांग्रेस के साथ की। 1996 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट से जम्मू कश्मीर के बिजबेहरा विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 1999 में महबूबा मुफ्ती ने श्रीनगर से सांसद का चुनाव लड़ा लेकिन उमर अब्दुल्ला से हार गई। कांग्रेस से मतभेद होने पर पीडीपी का गठन हुआ और महबूबा मुफ्ती कांग्रेस से इस्तीफा देकर पीडीपी अध्यक्ष बन गई। 2002 के विधानसभा चुनाव में महबूबा ने पहलगाम सीट से अहमद मीर के खिलाफ जीत दर्ज की। 2004 और 2014 में महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग सीट से जीत दर्ज की। 2019 में उन्हें नेशनल कांफ्रेंस के हसनैन मसूदी से हार का सामना करना पड़ा

जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री रही

जम्मू कश्मीर की राजनीति में उस समय बदलाव आया जब महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ और महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद राज्य के मुख्यमंत्री बने, लेकिन पिता की मौत के बाद राज्य की सत्ता महबूबा के हाथों में आ गई और और वह पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।

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तेज तर्रार महबूबा के बयानों पर कई बार विवाद भी हुआ पर उन्होंने कभी चुप्पी नहीं साधी। महबूबा ने हर राजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय पूरी बेबाकी के साथ रखी और प्रदेश की राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाने में सफल रहीं।