उमर अब्दुल्ला पर पार्टी का प्रदर्शन बरकरार रखने की जिम्मेदारी
Omar Abdullah, Lok Sabha Election 2024: जम्मू कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पार्टी की परंपरागत सीट श्रीनगर से एक बार फिर चुनाव मैदान में है। उमर अब्दुल्ला पर पार्टी का प्रदर्शन बरकरार रखने की चुनौती है क्योंकि श्रीनगर सीट पर अब तक हुए 15 में से 12 चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस ने जीत दर्ज की है। उमर अब्दुल्ला भी इस सीट से 1998, 1999 और 2004 में जीत चुके हैं। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला पर अपनी जीत के साथ ही पार्टी का प्रदर्शन बरकरार रखने की जिम्मेदारी है।
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उमर अब्दुल्ला का सियासी सफर
10 मार्च 1970 को जन्मे 54 वर्षीय उमर अब्दुल्ला फारूक अब्दुल्ला के बेटे हैं। उमर अब्दुल्ला ने श्रीनगर के बर्न हॉल स्कूल और लॉरेंस स्कूल सनवर से शिक्षा प्राप्त की और मुंबई के सिडेनहैम कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने यूके के स्ट्रेथक्लाइड विश्वविद्यालय से एमबीए किया।
क्या इस लोकसभा सीट पर चार दशकों का इतिहास बदल जाएगा?
उमर अब्दुल्ला को सियासत विरासत में मिली है। वह जम्मू कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला के बेटे हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1998 में श्रीनगर से लोकसभा चुनाव में जीत के साथ की थी। 1998 में वह 12वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए और इन्हें परिवहन और पर्यटन के लिए लोकसभा समिति का सदस्य बनाया गया। वर्ष 1999 में उमर अब्दुल्ला 13 वीं लोकसभा के लिए फिर से चुने गए और 13 अक्टूबर को उन्होंने वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की।
2001 में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के एनडीए गठबंधन के हिस्से के रूप में उमर अब्दुल्ला विदेशी मामलों के लिए केंद्रीय राज्य मंत्री बने। हालांकि पार्टी के काम पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए इन्होंने कुछ महीनो बाद ही इस पद से इस्तीफा दे दिया।
विदेश मंत्रालय संभालने वाले सबसे कम उम्र के मंत्री बने
सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले स्पष्टवादी उमर अब्दुल्ला सबसे कम उम्र में सांसद बनने के साथ विदेश मंत्रालय संभालने वाले सबसे कम उम्र के केंद्रीय मंत्री बने। वर्ष 2002 में उमर अब्दुल्ला अपने पिता फारूक अब्दुल्ला की जगह नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष बने। 2002 में उमर अब्दुल्ला विधानसभा चुनाव हार गए थे। वर्ष 2006 में पार्टी के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया और 2008 में गंदेरबल से राज्य विधानसभा चुनाव जीतकर उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस पार्टी के साथ एक गठबंधन सरकार का गठन किया। 2009 से 8 जनवरी 2015 तक मुख्यमंत्री रहे। उमर अब्दुल्ला ने 39 वर्ष की उम्र में मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली ।
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7 महीने तक रहे नजरबंद
केंद्र सरकार ने जब अनुच्छेद 370 खत्म करने का फैसला किया उस समय पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य राजनीतिक नेताओं को 2019 में घर पर नजरबंद कर दिया गया था। उमर अब्दुल्ला करीब 7 महीने से ज्यादा समय तक नजरबंद रहे हालांकि कई अवसर पर पर नेशनल कांफ्रेंस ने उमर अब्दुल्ला को नजरबंद करने का आरोप लगाया है।
अपने बेबाक बयानों से रहे विवादों में
उमर अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर से संबंधित मुद्दों पर अपनी राय प्रमुखता के साथ रखते हैं। कई विषयों पर उन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना करने में भी नहीं हिचकते।वह जम्मू कश्मीर में मौजूद सुरक्षा बलों की उपस्थिति और सेना की शक्तियों को लेकर भी अक्सर सवाल उठाते रहते हैं।अपने बेबाक बयानों को लेकर वे कई बार विवादों में भी रहे हैं।