रिकॉर्ड जीत का दवा करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा क्या भाजपा उम्मीदवार एसएस अहलूवालिया को दे पाएंगे टक्कर
शत्रुघ्न सिन्हा, Lok Sabha Seat , Asansol: कभी माकपा का गढ़ रही पश्चिम बंगाल की आसनसोल लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस ने अभिनेता से नेता बने ‘शॉट गन’ शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा है। वही उपचुनाव में सीट गंवाने वाली भाजपा ने जीत पक्की करने के लिए भाजपा नेता एसएस अहलूवालिया को मैदान में उतारा है। आसनसोल सीट से चुनाव मैदान में उतरे 78 वर्षीय शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक दमखम आज भी देखने लायक है।
शत्रुघ्न सिन्हा का अभिनेता के तौर पर एक शानदार फिल्मी करियर रहा है। उनके द्वारा निभाए गए किरदार आज भी याद किए जाते हैं, लेकिन फिल्मों के बाद शत्रुघ्न सिन्हा राजनीति में भी एक लंबी पारी खेल चुके हैं। अपने तीन दशक के लंबे राजनीतिक सफर में शत्रुघ्न सिन्हा ने तीन बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की, लेकिन अपने तीन दशकों के राजनीतिक सफर में वे तीन पार्टियां भी बदल चुके हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा तृणमूल कांग्रेस से आसनसोल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जहां वह रिकॉर्ड जीत का दावा कर रहे हैं। रिकॉर्ड जीत का दावा करने वाले कौन है शत्रुघ्न सिन्हा? और क्या है उनके सामने चुनौतियां? आईए जानते हैं-
कौन हैं शत्रुघ्न सिन्हा?
शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 9 दिसंबर 1945 को पटना में भुवनेश्वरी प्रसाद सिन्हा और श्यामा देवी सिन्हा के घर हुआ था। उन्होंने अपनी पढ़ाई पटना साइंस कॉलेज से पूरी की और पुणे में फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत 1970 में आई देवानंद की फिल्म ‘पुजारी’ से की। शत्रुघ्न सिन्हा की ‘कालीचरण’ ‘दोस्ताना’ और ‘काला पत्थर’ लोकप्रिय फिल्में हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीतिक सफर
शत्रुघ्न सिन्हा का राजनीति में प्रवेश 1992 में उस समय हुआ जब लालकृष्ण आडवाणी ने नई दिल्ली सीट से चुनाव जीतने के बाद इस्तीफा दे दिया, क्योंकि उन्होंने गांधीनगर से भी जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने राजेश खन्ना को फिर से टिकट दिया तो भाजपा ने शत्रुघ्न सिन्हा को मैदान में उतारा। शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी के निर्देश पर अपने मित्र राजेश खन्ना के खिलाफ मैदान में उतर तो गए लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वे कांग्रेस उम्मीदवार राजेश खन्ना से 25,000 वोटो से हार गए।
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दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए
शत्रुघ्न सिन्हा 1996 और 2002 में राज्यसभा के लिए दो बार चुने गए। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2002 और 2003 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री रहे तथा 2003-04 में जहाजरानी मंत्री रहे।
2009 में उन्होंने भाजपा के टिकट पर पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत गए। 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने जब बड़ी जीत हासिल की तब भी शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस उम्मीदवार कुणाल सिंह को एक लाख से अधिक मतों से हराकर अपनी सीट बरकरार रखी। 2019 के चुनाव के पहले सिन्हा द्वारा एनडीए गठबंधन सरकार और पीएम मोदी की आलोचना के कारण उनको 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया। भाजपा से टिकट कटने से नाराज शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया, मगर पटना साहिब का चुनाव रविशंकर प्रसाद से हार गए। 2022 वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें आसनसोल से लोकसभा उपचुनाव में उतारा और वे चुनाव जीत गए। अब तृणमूल ने उन्हें फिर से इस सीट से टिकट दिया है जबकि भाजपा ने एसएस अहलूवालिया को मौका दिया है जो वर्धमान दुर्गापुर से सांसद हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा का रिकॉर्ड जीत का दावा
आसनसोल से चुनाव लड़ रहे शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा है कि जनता मुझे रिकॉर्ड बहुमत से संसद पहुंचाएगी। मेरी जीत का पिछला रिकॉर्ड भी इस बार टूट जाएगा। आसनसोल संसदीय क्षेत्र से लगातार पिछड़ रही तृणमूल की जीत का सपना शत्रुघ्न सिन्हा ने हीं है साकार किया है।
वही आसनसोल से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर एसएस अहलूवालिया के नाम की घोषणा के बाद उन्होंने जीत के लिए जन्मभूमि का कार्ड चल दिया है। उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल मेरी जन्मभूमि है उन्होंने कहा है कि यह लड़ाई दो लोगों के बीच नहीं दो विचारधाराओं के बीच की लड़ाई है।
शत्रुघ्न सिन्हा के लिए क्या है चुनौती ?
सीपीएम के गढ़ में तृणमूल कांग्रेस ने पहली बार 2022 के उपचुनाव में शत्रुघ्न सिन्हा के द्वारा सेंध लगाई थी। आसनसोल सीट पर सर्वाधिक हिंदीभाषी मतदाता है जो सिन्हा के लिए फायदेमंद है। तृणमूल कांग्रेस 2022 से पहले यहां सभी चुनाव हार गई थी। भाजपा शत्रुघ्न सिन्हा को बाहरी प्रत्याशी बता रही है जबकि भाजपा के उम्मीदवार एसएस अहलूवालिया स्थानीय हैं। शत्रुघ्न सिन्हा का बाहरी प्रत्याशी होना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
क्या है आसनसोल सीट की विशेषता ?
आसनसोल क्षेत्र औद्योगिक इलाका है जिनमें मुख्य रूप से लोहा व कोयला आधारित उद्योग हैं।यह बंगाल का दूसरा बड़ा और अधिक जनसंख्या वाला शहर है। ‘आसन’ एक वृक्ष की प्रजाति है जो 30 मीटर तक लंबा होता है। ‘सोल’ जमीन को कहते हैं। इन्हीं दो शब्दों से इस सीट का नाम पड़ा है आसनसोल। आसनसोल लोकसभा के क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं- पांडेश्वर, रानीगंज जमूरिया, आसनसोल दक्षिण, आसनसोल उत्तर, कुल्टी, बारबानी।