November 20, 2024
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Chandra Shekhar Azad Jayanti :भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़े 10 रोचक तथ्य

Chandra Shekhar Azad Jayanti || 23 July 2023 : चंद्रशेखर आजाद भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। आजीवन आजाद रहने की प्रतिज्ञा करने वाले चंद्रशेखर आजाद मृत्यु पर्यंत अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहे और जीते जी अंग्रेजों के हाथ गिरफ्तार नहीं हुए और ना ही अंग्रेजों की गोली से उनकी मृत्यु हुई। वह एक प्रबल राष्ट्रवादी भारत माता के सच्चे सपूत थे। आजाद ने ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। चंद्रशेखर आजाद उन महान क्रांतिकारियों में थे जिनके नाम से भी ब्रिटिश हुकूमत कांपती थी।

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चंद्रशेखर आजाद जयंती || Birth Anniversary of Chandra Shekhar Azad || 22 July 2023 || About Indian revolutionary

Chandra Shekhar Azad Jayanti :चंद्रशेखर आजाद भारत के महानतम स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। आजीवन आजाद रहने की प्रतिज्ञा करने वाले चंद्रशेखर आजाद मृत्यु पर्यंत अपनी प्रतिज्ञा पर अटल रहे और जीते जी अंग्रेजों के हाथ गिरफ्तार नहीं हुए और ना ही अंग्रेजों की गोली से उनकी मृत्यु हुई। वह एक प्रबल राष्ट्रवादी भारत माता के सच्चे सपूत थे। आजाद ने ब्रिटिश साम्राज्य के औपनिवेशिक शासन के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ी। चंद्रशेखर आजाद उन महान क्रांतिकारियों में थे जिनके नाम से भी ब्रिटिश हुकूमत कांपती थी।

आइए जानते हैं उनकी जयंती के उपलक्ष में चंद्रशेखर आजाद के जीवन से जुड़े 10 रोचक तथ्यों के बारे में-

  1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म आदिवासी ग्राम भंवरा में 23 जुलाई 1906 को हुआ था। उनका बचपन का नाम चंद्रशेखर तिवारी था। उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी था जो उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदर गांव के रहने वाले थे। बड़े होने पर चंद्रशेखर बनारस में अपने फूफा जी पंडित शिवविनायक मिश्र की सहायता से संस्कृत विद्यापीठ में भर्ती होकर संस्कृत का अध्ययन करने लगे।
  2. चंद्रशेखर की शिक्षा के दौरान बनारस में असहयोग आंदोलन की लहर चल रही थी। 1919 में हुए जलियांवाला बाग नरसंहार ने उन्हें बहुत व्यथित किया।
  3. 1921 में जब महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में चंद्रशेखर आजाद ने सक्रिय योगदान दिया उसी समय धरना देते हुए पकड़े गए। पारसी मजिस्ट्रेट मिस्टर खरेघाट, जो बहुत कठोर दंड देते थे, की अदालत में चंद्रशेखर को पेश किया गया और जब चंद्रशेखर से उनका परिचय पूछा गया तो उन्होंने अपना नाम ‘ आजाद’ पिता का नाम ‘ स्वतंत्रता’ और घर पूछने पर ‘ जेल’ बताया।
  4. चंद्रशेखर के इस उत्तर से मि.खरेघाट ने चिढ़कर मात्र 14 वर्ष की उम्र के चंद्रशेखर को 15 कोड़ो की सजा सुनाई। जल्लाद ने अपनी पूरी ताकत से चंद्रशेखर के निर्वाचन शरीर पर कोड़े बरसाए जिससे कोड़ों के साथ छाल उधड़ कर बाहर आ जाती थी। लेकिन अत्यंत सहनशील चंद्रशेखर प्रत्येक कोड़े पर ‘ भारत माता की जय’ और ‘ महात्मा गांधी की जय’ बोलते थे।
  5. 15 कोड़ों की सजा मिलने के पश्चात जब जेलर ने उनकी हथेली पर तीन आने पैसे रख दिए तो चंद्रशेखर ने वे पैसे जेलर के मुंह पर दे मारा और भागकर जेल से बाहर आ गए ।इस अग्नि परीक्षा में सम्मान सहित उत्तीर्ण होने के फलस्वरूप चंद्रशेखर का बनारस के ज्ञानवापी मोहल्ले में नागरिक अभिनंदन किया गया और वे चंद्रशेखर तिवारी से चंद्रशेखर आजाद कहलाने लगे।
  6. चंद्रशेखर आजाद ने क्रांतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड को अंजाम दिया। इस योजना के तहत 9 अगस्त 1925 को इस स्थान पर क्रांतिकारियों ने रेल विभाग के ले जाए जा रहे हैं संग्रहित धनराशि को ट्रेन के गार्ड को बंदूक की नोक पर काबू में करके गार्ड के डिब्बे में लोहे की तिजोरी को तोड़कर ₹4000 लूट लिए। इस घटना से जुड़े 43 अभियुक्तों पर मुकदमा चलाया गया। राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी और ठाकुर रोशन सिंह को मृत्युदंड, सचिंद्र सान्याल को आजीवन कारावास दिया गया लेकिन चंद्रशेखर आजाद को पुलिस खोजती ही रह गई।
  7. चंद्रशेखर आजाद के पुलिस द्वारा न पकड़े जाने का एक रहस्य यह भी था कि संकट के समय में वे शहर छोड़कर गांव की तरफ खिसक जाते थे। तभी तो झांसी प्रवास के दौरान जब पुलिस हलचल बढ़ने लगी तो चंद्रशेखर ओरछा राज्य में चले गए जहां सतार नदी के किनारे कुटिया बनाकर ब्रह्मचारी के रूप में रहने लगे। चंद्रशेखर आजाद वेश बदलने में पारंगत थे जिससे कभी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़े।
  8. भारत में जब साइमन कमीशन का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों पर बेरहमी से लाठियां बरसाई गई तब पंजाब के लोकप्रिय नेता लाला लाजपत राय को इतनी लाठियां लगी कि कुछ दिनों पश्चात ही उनकी मृत्यु हो गई। चंद्रशेखर आजाद भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों ने लालाजी पर लाठी चलाने वाले पुलिस अधीक्षक सांडर्स को मृत्युदंड देने का निश्चय किया और 17 दिसंबर 1928 को ज्यों ही जेपी सांडर्स अपने अंगरक्षक के साथ निकला उसकी हत्या कर दी गई। आजाद ने सांडर्स के अंगरक्षक को भी गोली मारकर समाप्त कर दिया और जगह- जगह पर परचे चिपका दिए गए कि लाला लाजपत राय लिया गया की मृत्यु का बदला ले लिया गया।
  9. चंद्रशेखर आजाद के ही सफल नेतृत्व में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को अंग्रेज सरकार द्वारा बनाए गए काले कानूनों के विरोध में केंद्रीय असेंबली में बम विस्फोट किया।
  10. एक मुखबिर की सूचना पर जब चंद्रशेखर आजाद को ब्रिटिश पुलिस अधीक्षक नाट बाबर ने इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में घेर लिया और आजाद पर गोली चला दी उस समय आजाद ने खिसकते हुए एक जामुन के वृक्ष की ओट लेकर नॉट बाबर के ऊपर गोलियों की बौछार कर दी। दोनों ओर से गोलीबारी हुई। चंद्रशेखर ने यही प्रण किया था कि जीवित रहते हुए वह कभी पुलिस के हाथ नहीं आएंगे। अपने इस प्रण का आजीवन निर्वाह करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने जब देखा कि उनकी बंदूक में सिर्फ एक गोली बची है तो उन्होंने वह आखिरी गोली स्वयं की कनपटी पर दाग दी और आजाद ही शहीद हो गए।आजादी के बाद इलाहाबाद के ‘ अल्फ्रेड पार्क’ का नाम बदलकर ‘ चंद्रशेखर आजाद पार्क’ कर दिया गया।