तीन दशकों से भाजपा का गढ़ रहे हाथरस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला
Hathras Lok Sabha Seat: हाथरस लोकसभा सीट से 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा, सपा- कांग्रेस गठबंधन और बसपा प्रत्याशी में ही है। काका हाथरसी ने अपनी इन पत्तियों के जरिए चुनावी राजनीति पर तंज किया था-
“मन मैला तन ऊजरा भाषण लच्छेदार
ऊपर सत्याचार है भीतर भ्रष्टाचार।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अपने विरोधियों के लिए काका हाथरसी की इन पत्तियों का प्रयोग कर चुके हैं। 7 मई को हाथरस में चुनाव है। लेकिन काका हाथरसी के शहर, हाथरस में चुनाव का रस कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा।
भाजपा के किले में सेंधमारी की कोशिश – गांधीनगर लोकसभा सीट
35 साल से है भाजपा का गढ़
हाथरस लोकसभा सीट पर राम मंदिर से उपजी लहर के सहारे भाजपा पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय से इस सीट पर काबिज है। राम मंदिर आंदोलन के दौरान 1991 से ही हाथरस रामधुन पर नाच रहा है। 2024 के चुनाव में हाथरस मतदाताओं के लिए जाति का मुद्दा प्रभावी नहीं है। हाथरस के कुछ लोगों का कहना है कि सवर्ण मतदाताओं का झुकाव भाजपा की तरफ है। हालांकि जनता का कहना है कि टैक्स देने वालों की तरफ से सरकार को और ध्यान देना चाहिए। जाति का मुद्दा चुनावी ना होने के कारण ही पिछले 33 वर्षों से भाजपा का इस सीट पर दबदबा रहा है। हालांकि 2009 में रालोद की सारिका बघेल ने यहां से जीत दर्ज की थी लेकिन उस समय भाजपा और रालोद का गठबंधन था।
हाथरस में त्रिकोणीय मुकाबला
वैसे तो हाथरस लोकसभा सीट से 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं लेकिन असली मुकाबला भाजपा, सपा- कांग्रेस गठबंधन और बसपा के बीच है। यहां सपा- कांग्रेस गठबंधन से जसबीर वाल्मीकि और बसपा से हेमबाबू धनगर चुनाव मैदान में है। वहीं भाजपा ने योगी सरकार में राज्य मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि पर दांव लगाया है।
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हाथरस सीट पर भाजपा सपा और बसपा प्रत्याशियों के वोटो का गणित
हाथरस सीट की बात करें तो हाथरस में कोई भी प्रत्याशी स्थानीय नहीं है बल्कि यहां से तीनों प्रत्याशी बाहरी है। सपा- कांग्रेस के प्रत्याशी जसवीर सिंह बाल्मीकि मूल रूप से सहारनपुर के रहने वाले हैं। वहीं भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि अलीगढ़ की खैर सुरक्षित सीट से विधायक है और बसपा के हेमबाबू धनगर आगरा निवासी हैं।
भाजपा प्रत्याशी अनूप प्रधान बाल्मीकि प्रदेश सरकार में राजस्व राज्यमंत्री हैं। उन्हें सजातीय वाल्मीकि वोटों के साथ ही ओबीसी और सवर्ण वोटो का साथ मिलने की पूरी उम्मीद है। वही हाथरस सीट पर 4 लाख से अधिक वोटर दलित हैं, जिसमें 2 लाख 35 हजार जाटव हैं। बसपा के हेमबाबू धनगर को सजातीय धनगर वोटो के साथ ही मुस्लिम मतदाताओं का साथ मिलने की भी उम्मीद है।
सपा- कांग्रेस के जसवीर सिंह भाजपा के वाल्मीकि वोटों में सेंधमारी का प्रयास कर रहे हैं। इसके अलावा उन्हें मुस्लिम और यादव वोटरों का साथ मिलने की भी उम्मीद है।
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हाथरस लोकसभा सीट की क्या है खासियत
हाथरस लोक सभा सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा सीटें आती हैं- हाथरस, सादाबाद, सिकंदराराऊ, इगलास और छर्रा।
हाथरस जिला छोटा सही किंतु कई मायने में खास है। योगी सरकार ने ओडीओपी में हाथरस की हींग और गारमेंट व्यवसाय को शामिल किया है। इसके अलावा हाथरस रंगों के कारोबार के लिए भी प्रसिद्ध है। सिकंदराराऊ का हसायन क्षेत्र इत्र कारोबार के लिए जाना जाता है। इसी विधानसभा के पुरदिल नगर का मूंगा और मोती देश दुनिया में विख्यात हैं।सादाबाद विधानसभा में शामिल बिसावर क्षेत्र का घुंघरू कारोबार भी बेहद प्रसिद्ध है।
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हाथरस के क्या है प्रमुख मुद्दे ?
हाथरस में कोई सरकारी या निजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल नहीं है। ऐसी स्थिति में इलाज के लिए लोगों को आगरा या अलीगढ़ जाना पड़ता है।यहां उच्च शिक्षा के अच्छे साधन नहीं है। इंटर के बाद बच्चों को पढ़ने के लिए बाहर जाना पड़ता है।जिले में कुटीर उद्योग तो है मगर कोई बड़ी फैक्ट्री नहीं है। इस कारण रोजगार के साधन सीमित है।हाथरस शहर को संवारने के लिए अभी और पुरजोर प्रयासों की जरूरत है।