July 27, 2024

International Day of Forest : विश्व वानिकी दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई ?

International Day of Forests || विश्व वानिकी दिवस 2023 || World Forest Day 2023
प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है। 1971 ईस्वी में पहली बार विश्व वानिकी दिवस मनाया गया था। दुनिया के सभी देश वन- संपदा और अपनी मातृभूमि की मिट्टी का महत्व समझे तथा अपने देश के वन और जंगलों का संरक्षण करें, इसी उद्देश्य से वानिकी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने के लिए जीव- जंतुओं, मनुष्यों, पानी, मिट्टी और हवा के साथ साथ वृक्षों और वनों का भी अहम योगदान है।

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विश्व वानिकी दिवस || World Forest Day || 21 March 2023

 प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है। 1971 ईस्वी में पहली बार विश्व वानिकी दिवस मनाया गया था। दुनिया के सभी देश वन- संपदा और अपनी मातृभूमि की मिट्टी का महत्व समझे तथा अपने देश के वन और जंगलों का संरक्षण करें, इसी उद्देश्य से वानिकी दिवस मनाया जाता है। पृथ्वी के संतुलन को बनाए रखने के लिए जीव- जंतुओं, मनुष्यों, पानी, मिट्टी और हवा के साथ साथ वृक्षों और वनों का भी अहम योगदान है।
जहां तक भारत की बात है तो भारत में 22.7 प्रतिशत भूमि पर ही वनों का अस्तित्व बचा है। जुलाई 1950 से ही भारत में ‘ वन महोत्सव’ मनाया जा रहा है। वन महोत्सव की शुरुआत तत्कालीन गृह मंत्री कुलपति ‘ कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी’ ने की थी।

विश्व वानिकी दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई ? तथा क्या है इसका इतिहास ?

 इतिहास की बात करें तो 1971 में यूरोपीय कृषि परिसंघ की 23वी महासभा में विश्व वानिकी दिवस मनाने का विचार आया। 1971 में वानिकी के तीन महत्वपूर्ण तत्व- सुरक्षा, उत्पादन और वनविहार के विषय में लोगों को जानकारी देने के लिए 21 मार्च का दिन चुना गया। यूरोप में विकास के नाम पर हो रही पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के दुष्परिणामों को देखते हुए यह फैसला लिया गया था।
वर्ष 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस घोषित किया गया। तब से 21 मार्च के दिन विश्व वानिकी दिवस विश्व स्तर पर मनाया जाता है। यह तीन संयुक्तराष्ट्र वन फोरम तथा खाद्य एवं कृषि संगठन के सहयोग से मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वनों के महत्व के प्रति लोगों को जागरुक करना और वृक्षारोपण को बढ़ावा देना इसका मुख्य उद्देश्य है।

विश्व वानिकी दिवस क्यों मनाया जाता है

विश्व के सभी देश अपनी वन- संपदा की तरफ ध्यान दें और वनों को संरक्षण प्रदान करें इसी उद्देश्य से विश्व वानिकी दिवस मनाया जाता है। भारत में पर्याप्त वन- संपदा है यहां 657.6 लाख हेक्टेयर (22.11%)भूमि पर वन पाए जाते हैं। वर्तमान में 19.29% भूमि पर वनों का विस्तार है। भारत में सबसे अधिक वन- संपदा वाले राज्य है, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश। भारत सरकार ने 1952 में ‘ राष्ट्रीय वन नीति’ निर्धारित की थी जिसके तहत देश के 33.3% क्षेत्र पर वन होना चाहिए लेकिन वर्तमान में अंधाधुंध वनों की कटाई के कारण यह संभव नहीं है। वन भूमि पर उद्योग धंधों तथा मकानों के निर्माण, वनों को खेती के काम में लाना और लकड़ियों की बढ़ती मांग के कारण वनों की अवैध कटाई हो रही है। जिससे वह नष्ट होते जा रहे हैं। इसलिए वनों के संरक्षण के प्रति विश्व भर में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 21 मार्च को विश्व वन दिवस मनाया जाता है
वनों के संरक्षण के लिए हमें ववृक्षारोपण को बढ़ावा देना चाहिए। प्रसिद्ध पर्यावरणविद् कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने कहा था,

“वृक्षों का अर्थ है, जल जल का अर्थ है रोटी, और रोटी का अर्थ है जीवन”।

वन संपदा क्या है ?

 वन केवल पेड़ नहीं अपितु यह एक संपूर्ण जटिल जीवंत समुदाय है। वन प्रागैतिहासिक काल से ही मानव जाति के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा है। वन के नीचे कई सारे पेड़- पौधे और जीव- जंतु रहते हैं। जीवाणु कवक जैसे कई प्रकार की अकशेरुकी जीवो का घर है वन भूमि। वन और वन में पोषक तत्वों के पुनर्चक्रण में ये जीव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
वन हमारे जीवन का आधार है यह हमारी आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वन पर्यावरण की सुरक्षा में भी सहायक होते हैं। वन का अर्थ है वृक्षों का समूह। वन वास्तव में विभिन्न जीवों का एक जटिल समुदाय है। अनेक पौधे और जानवर वनों में निवास करते हैं जो परस्पर एक दूसरे पर आश्रित होते हैं। वन के भूतल पर अनेक प्रकार के छोटे-छोटे जीव जंतु जीवाणु और फंगस पाए जाते हैं। यह पौधों और मिट्टी के बीच पोषक तत्वों का आदान प्रदान करने में मदद करते हैं। मानव समुदाय को अनेक बहुमूल्य वस्तुएं वनों से प्राप्त होती हैं। इन बहुमूल्य वस्तुओं में जल, भोजन, फर्नीचर, लकड़ी, जंगली जीवो के रहने के लिए वास- स्थान, कागज, सुंदर दृश्य समेत पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थान शामिल है।

वनों से क्या लाभ है ?

 वन मानव समुदाय और जंतुओं को अनेक प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं।
वन में अनेक प्रकार के वृक्ष होते हैं। इन वृक्षों से कई प्रकार के उत्पादन होते हैं। जैसे फर्नीचर, प्लाईवुड इंधन या फिर चारकोल कागज के लिए लकड़ी, रेलवे स्लीपर, सेलोफेन, प्लास्टिक, रेयान और नायलॉन आदि के लिए प्रसंस्कृत उत्पाद, रबड़ पेड़ से रबड़ उत्पादन होता है।
वनों से हमें मसाले सुपारी और फल भी प्राप्त होते हैं।
वन में सिनचोना कर्पूर जैसे कई औषधीय पौधे भी पाए जाते हैं।
मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक ऑक्सीजन प्रदान कर वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं।
वृक्ष धरती के लिए एक सुरक्षा कवच है। यह वन्यजीवों को आश्रय प्रदान कर उन्हें सूर्य की गर्मी से बचाते हैं तथा धरती के तापमान को नियंत्रित करते हैं।
वन ध्वनि को नियंत्रित करते हैं प्रकाश का परावर्तन घटाते हैं और हवा की दिशा को बदलने एवं गति को कम करने में मदद करते हैं।
क्या होता है विश्व वन दिवस के अवसर पर ?
विश्व वन दिवस के दिन वृक्षों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए तथा नए वृक्ष लगाने के लिए जागरूक किया जाता है। वन संरक्षण संबंधी जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन होता है। विश्व वन दिवस के दिन कई निबंध लेखन प्रतियोगिता और भाषण का भी आयोजन होता है। विश्व वन दिवस के अवसर पर स्कूलों सरकारी संस्थाओं एवं एवं विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण किया जाता है।

विश्व वन दिवस मनाना क्यों आवश्यक है ?

 वनों और जंगलों में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण प्रदूषण स्तर बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण स्तर बढ़ने के कारण आज पृथ्वी पर विभिन्न प्राकृतिक आपदाएं और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। जलवायु में अनावश्यक परिवर्तन देखने को मिल रहा है। जिससे मौसम भी अनियमित हो गए हैं। कई ग्लेशियर लुप्त होने के कगार पर है। इन सभी समस्याओं का एक ही निवारण है और वह है वन संरक्षण। विश्व वन दिवस इसीलिए मनाया जाता है जिससे वनों के संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक किया जा सके। यदि वनों की अंधाधुंध कटाई को रोका न गया तो मानव संसाधनों और स्वच्छ जल का संकट उत्पन्न होगा ही साथ ही मनुष्य के जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक ऑक्सीजन की कमी से भी जूझना पड़ेगा।
थीम (Theme)
वर्ष 2023 के विश्व वन दिवस की थीम है-
“वन और स्वास्थ्य (Forest and Health)”।
वर्ष 2022 विश्व वन दिवस की थीम थी-
“वन और सतत उत्पादन और खपत (Forest and sustainable Production and Consumption)”।