October 15, 2024
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Aditya-L1 Launch : मिशन चंद्रयान-3 के बाद भारत का सूर्य मिशन (सूर्य अभियान आदित्य L1 लॉन्च)

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)ने शनिवार को फिर से इतिहास रच दिया। इसरो ने चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के दसवें दिन शनिवार को आदित्य L1 का श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। आदित्य L1 को सुबह 11:50 बजे पीएसएलवी- सी57 रॉकेट के एक्स वर्जन से प्रक्षेपित किया गया। आदित्य L1 सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।

Aditya L1 Solar Mission 2023

Aditya L1 Solar Mission 2023

भाष्कर की ओर भारत का पहला कदम

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)ने शनिवार को फिर से इतिहास रच दिया। इसरो ने चंद्रमा पर सफल सॉफ्ट लैंडिंग के दसवें दिन शनिवार को आदित्य L1 का श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। आदित्य L1 को सुबह 11:50 बजे पीएसएलवी- सी57 रॉकेट के एक्स वर्जन से प्रक्षेपित किया गया। आदित्य L1 सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।

कैसे कार्य करेगा आदित्य L1 ?

आदित्य L1यान (Aditya-L1) रॉकेट से सफलता पूर्वक अलग हो गया है। और सूर्य की तरफ इसकी यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। सूर्य के अध्ययन करने वाला आदित्य L1 प्रथम अंतरिक्ष वेधशाला है। आदित्य L1 नामक यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा तय करने के पश्चात लैग्रैजियन बिंदु यानी L1 के आसपास एक कक्षा में स्थापित होगा और वहीं से यह यान सूर्य पर होने वाले विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा। विभिन्न वैज्ञानिक अध्ययन के साथ ही आदित्य L1 इसकी तस्वीर धरती पर भेजेगा। आदित्य L1 सूर्य के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगा।

क्या है लैग्रेजियन बिंदु (What is Lagrangian point ) ?

पृथ्वी और सूर्य के बीच पांच लैग्रेजियन बिंदु (पार्किंग क्षेत्र) हैं। जहां पहुंचने पर कोई वस्तु रुक जाती है। लैग्रैजियन बिंदुओं का नाम इतालवी फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफ- लुई लैंग्रेज के नाम पर पुरस्कार प्राप्त करने वाले उनके अनुसंधान पत्र के लिए रखा गया है। सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल लैंग्रेज बिंदु पर संतुलित होता है। जिसे किसी उपग्रह को यहां रोकने में आसानी होती है।

L1 तक कैसे पहुंचेगा आदित्य L1 यान

श्रीहरिकोटा से रवाना हुए अंतरिक्ष यान आदित्य L 1 को वैज्ञानिक प्रारंभ में निचली कक्षा में रखेंगे।बाद में इसकी कक्षा का आकार बढ़ाया जाएगा और फिर अंतरिक्ष यान को इसमें लगी प्रणोदन प्रणाली का इस्तेमाल कर L1 बिंदु की ओर भेजा जाएगा। जिससे यह पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण क्षेत्र के प्रभाव से बाहर निकल सके।
इसके बाद इसे सूर्य के पास L1 बिंदु के आस- पास बड़ी कक्षा में भेजा जाएगा। प्रक्षेपण से लेकर L1 बिंदु तक पहुंचने में आदित्य L1 यान को 4 महीने का समय लगेगा।

सात वैज्ञानिक उपकरणों से अध्ययन करेगा आदित्य L 1

सूर्य हमारी पृथ्वी की सौर प्रणाली का केंद्र है। सूर्य की वजह से ही पृथ्वी पर जीवन है। सौरमंडल के सभी आठ ग्रह सूर्य की ही परिक्रमा करते हैं। सूर्य से जो ऊर्जा लगातार निकलती है उसे चार्ज्ड पार्टिकल्स कहा जाता है। सूर्य में होने वाले परिवर्तन अंतरिक्ष को और पृथ्वी पर जीवन को कैसे प्रभावित कर सकते हैं यह सूर्य के अध्ययन द्वारा ही समझा जा सकता है। इसरो द्वारा प्रक्षेपित यान आदित्य L1 सात वैज्ञानिक उपकरणों से सूर्य का अध्ययन करेगा यह उपकरण है-

1- द सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलीस्कोप
यह उपकरण सूर्य के प्रकाश मंडल और वर्ण मंडल की तस्वीरे लेगा साथ ही सौर विकिरण विविधताओं को मापेगा।

2- विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC)
विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ यान का प्राथमिक उपकरण है जो इच्छित कक्षा में पहुंचने पर धरती पर स्थित केंद्र को विश्लेषण के लिए प्रतिदिन 1,440 तस्वीरे भेजेगा। VELC सूर्य परिमंडल और सीएमई की गतिशीलता का अध्ययन करेगा। विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ आदित्य L1 पर मौजूद सबसे बड़ा और तकनीकी रूप से सबसे चुनौती पूर्ण उपकरण है।

3- आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट
4- प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य
ये दोनो उपकरण सौर पवन और ऊर्जा आयन के साथ-साथ ऊर्जा वितरण का अध्ययन करेंगे।

5- मैग्नोमीटर
यह उपकरण L1 बिंदु पर अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापने में सक्षम है।

6- सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
7- हाई एनर्जी L1 आर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
यह दोनों उपकरण विस्तृत एक्स-रे ऊर्जा क्षेत्र में सूर्य से आने वाली एक्स- रे फ्लेयर का अध्ययन करेंगे।

सूर्य मिशन के प्रमुख उद्देश्य

  • सूरज के किनारो पर होने वाली गर्मी का पता लगाना।
  • सूरज के किनारो पर तूफानों की गति और तापमान का अध्ययन करना।
  • सूर्य के वायुमंडल और आने वाले तूफान का अध्ययन करना
  • पृथ्वी पर सूर्य की किरणों से मौसम पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन।

सबसे सस्ता है भारत का सूर्य मिशन


भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो कम दाम में मिशन को अंजाम देने के लिए जानी जाती रही है। नासा ने जहां दो सूर्य मिशन पर 16,958 करोड़ खर्च कर चुका है। वही इसरो ने सिर्फ 378.53 करोड रुपए आदित्य L1 पर खर्च किए हैं।
इसरो ने नासा और विश्व की अन्य अंतरिक्ष एजेंसी के मुकाबले काफी कम लागत पर मिशन भेजे हैं। चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग करने वाले चंद्रयान-3 के कम बजट ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था। आदित्य L1 का बजट भी दूसरी एजेंसियों के सूर्य मिशन के मुकाबले काफी कम है।
हालांकि इसरो ने सूर्य मिशन के बजट का खुलासा नहीं किया है। पर सरकार द्वारा लोकसभा में यह बताया गया था कि सरकार ने इस मिशन के लिए 378.53 करोड रुपए आवंटित किए हैं। हालांकि इसमें लॉन्च करने की लागत नहीं है। इस बजट के साथ आदित्य L1 अब तक का सबसे सस्ता सूर्य मिशन है।