July 27, 2024

Baba Amte Death Anniversary : भारत के प्रख्यात समाज सेवक बाबा आम्टे की पुण्यतिथि

Baba Amte Death Anniversary || About Baba Amte || बाबा आमटे की पुण्यतिथि || बाबा आमटे के बारे में : बाबा आम्टे एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता थे। बाबा आम्टे ने कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए कार्य किया। बाबा आम्टे का पूरा नाम मुरलीधर देवदास आम्टे था। बाबा आम्टे ने कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए विख्यात ‘ परोपकार विनाश करता है, कार्य निर्माण करता है’ के मूल मंत्र से हजारों कुष्ठ रोगियों को गरिमा और साथ ही बेघर तथा विस्थापित आदिवासियों को आशा की किरण दिखाई।

बाबा आमटे की पुण्यतिथि 9 फरवरी को मनाई जाती है।आइए जानते है बाबा आम्टे के जीवन के विषय में

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कौन थे बाबा आम्टे ? (Who was Baba Amte?)

 बाबा आम्टे (Baba Amte) एक प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता थे। बाबा आम्टे ने कुष्ठ रोगियों के कल्याण के लिए कार्य किया। बाबा आम्टे का पूरा नाम मुरलीधर देवदास आम्टे था। बाबा आम्टे ने कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए विख्यात ‘ परोपकार विनाश करता है, कार्य निर्माण करता है’ के मूल मंत्र से हजारों कुष्ठ रोगियों को गरिमा और साथ ही बेघर तथा विस्थापित आदिवासियों को आशा की किरण दिखाई।

बाबा आम्टे का जन्म (Birth of Baba Amte)

   बाबा आम्टे का जन्म 24 दिसंबर 1914 ईस्वी को वर्धा महाराष्ट्र के निकट एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम देवीदास हरबाजी आमटे था। जो शासकीय सेवा में थे बाबा आमटे का जीवन राजकुमार की तरह था। उनको सोने के लिए सोने का पालना था तथा उन्हें चांदी के चम्मच से खाना खिलाया जाता था। बचपन में उनके माता-पिता उन्हें बाबा कहकर पुकारते थे अतः वे बाबा आमटे के नाम से प्रसिद्ध हुए। बाबा आमटे 9 वर्ष की आयु में एक भिखारी को देखकर इतने द्रवित हुए कि उन्होंने उसकी झोली में ढेर सारे रुपए डाल दिए। उनके मन में सबके प्रति सेवा की भावना बचपन से ही थी। वे सब के प्रति समान व्यवहार रखते थे।

बाबा आमटे की शिक्षा (Education of Baba Amte)

 बाबा आमटे की पढ़ाई क्रिस्चियन मिशन स्कूल नागपुर में हुई और फिर उन्होंने नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की। बाबा आमटे ने एम ए एलएलबी तक की पढ़ाई की और वर्धा में वकालत करने लगे परंतु जब उनका ध्यान लोगों की गरीबी पर गया तो वे वकालत छोड़कर अंत्याजो और भंगियो की सेवा में लग गए।

 

बाबा आमटे एक समाज सुधारक के रूप में

बाबा आमटे एक सामाजिक कार्यकर्ता थे। समाज सेवा के लिए उन्होंने अनेक कार्य किए। वह एक स्वंत्रता सेनानी भी थे। 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान वह जेल भी गए। बाबा आमटे ने नेताओं के मुकदमे लड़ने के लिए अपने साथी वकीलों को संगठित किया। उनके इन प्रयासों के कारण ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया लेकिन वरोरा में उन्होंने एक कुष्ठ रोगी को देखा जिसके शरीर में कीड़े पड़ गए थे। यहीं से उनके जीवन की धारा बदल गई उन्होंने अपनी वकालत छोड़ दी। अपनी सुख-सुविधा वाली जीवनशैली का परित्याग कर कुष्ठ रोगियों और दलितों के कल्याण के लिए कार्य करने लगे

आनंदवन की स्थापना (Establishment of Anandwan)

 बाबा आमटे ने कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा और सहायता के कार्य में अपने आप को समर्पित कर दिया। बाबा आमटे ने कुष्ठ रोगियों के लिए सर्वप्रथम 11 साप्ताहिक औषधालय स्थापित किए ।उन्होंने ही आनंदवन संस्था की स्थापना की। कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए कुष्ठ की चिकित्सा का प्रशिक्षण लिया। उन्होंने कुष्ठ निरोधी औषधियों का परीक्षण भी अपने शरीर पर किया। आनंदवन के लिए 1951 में भूमि की रजिस्ट्री हुई। आनंदवन  के विस्तार के लिए भूमि सरकार से प्राप्त हुई थी। बाबा आमटे के प्रयासों से विश्वविद्यालय स्थापित हुआ, दो अस्पताल बने, एक अनाथालय खोला गया, नेत्रहीनों के लिए स्कूल बना और तकनीकी शिक्षा की भी व्यवस्था हुई। आज आनंदवन आश्रम पूरी तरह आत्मनिर्भर है। कई हजार व्यक्ति आनंदवन से आजीविका चला रहे है।

बाबा आमटे का भारत जोड़ो आंदोलन

  राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए बाबा आमटे ने दो बार भारत जोड़ो आंदोलन चलाया। पहला आंदोलन 1985 में कश्मीर से कन्याकुमारी तक तथा दूसरा आंदोलन 1988 में असम से गुजरात तक चलाया। 1989 में बाबा आमटे ने बांध बनने से डूब जाने वाले क्षेत्र में निजी बल नामक एक छोटा आश्रम बनाया। यह आश्रम नर्मदा घाटी में सरोवर बांध निर्माण और इसके फलस्वरूप हजारों आदिवासियों के विस्थापन का विरोध करने के लिए बनाया गया।

अनेक पुरस्कारों से विभूषित बाबा आमटे

    बाबा आम्टे को इन महान कार्यों के लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें से कुछ इस प्रकार है-

  • 1971 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री
  • 1978 में राष्ट्रीय भूषण
  • 1983 में अमेरिका का डेनियल डट्टन पुरस्कार
  • 1985 में मैग्सेसे पुरस्कार
  • 1986 में पद्म विभूषण
  • 1988 मैं घनश्याम दास बिरला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान
  • 1988 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मान
  • 1990 में अमेरिकी टेंपलटन पुरस्कार
  • 1991 में ग्लोबल 500 संयुक्त राष्ट्र सम्मान
  • 1992 में राइट लाइवलीहुड सम्मान
  • 1999 में गांधी शांति पुरस्कार
  • 2004 में महाराष्ट्र भूषण सम्मान

बाबा आमटे का निधन

  भारत के प्रख्यात समाज सेवक बाबा आमटे ने 9 फरवरी 2008 को 94 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली। 9 फरवरी 2008 को भारत ने एक ऐसे महान पुरुष को खो दिया जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन ही समाज सेवा में अर्पित कर दिया। अपने सामाजिक कार्यों और समाज सेवा के लिए बाबा आमटे सदैव याद किए जाएंगे।