Hindi Diwas 2023 : हिंदी दिवस का इतिहास एवं महत्व (History and importance of Hindi Day)
prashant September 13, 2023Hindi Day 2023 : भारत में हिंदी दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी अपने आप में समर्थ भाषा है। यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा प्रकृति से उदार ग्रहणशील, सहिष्णुता और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। विश्व की एक प्राचीन समृद्ध एवं महान भाषा होने के साथ ही हिंदी हमारी राजभाषा भी है।
हिंदी दिवस (Hindi Diwas)14 सितंबर,2023
भारत में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है। हिंदी अपने आप में समर्थ भाषा है। यह विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी भाषा प्रकृति से उदार ग्रहणशील, सहिष्णुता और भारत की राष्ट्रीय चेतना की संवाहिका है। विश्व की एक प्राचीन समृद्ध एवं महान भाषा होने के साथ ही हिंदी हमारी राजभाषा भी है।
हिंदी दिवस का इतिहास (History Of Hindi Diwas)
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी की खड़ी बोली को भारत की राजभाषा बनाने का निर्णय लिया। इसके लिए दो दिनों तक भाषा विषयक बहस भी हुई। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहस12 सितंबर 1949 को 4:00 बजे दोपहर में शुरू हुई। और 14 सितंबर 1949 को समाप्त हुई। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 13 सितंबर 1949 के दिन बहस में भाग लेते हुए तीन महत्वपूर्ण बातें कही थी –
- किसी विदेशी भाषा से कोई हिंदू राष्ट्र महान नहीं हो सकता।
- कोई भी विदेशी भाषा आम लोगों की भाषा नहीं हो सकती
- भारत के हित में, भारत को शक्तिशाली राष्ट्र बनाने के हित में, ऐसा राष्ट्र बनाने के हित में जो अपनी आत्मा को पहचाने, जिसे आत्मविश्वास हो, जो संसार के साथ सहयोग कर सके, हमें हिंदी को अपनाना चाहिए।
14 सितंबर की शाम बहस के समापन के बाद भाषा संबंधी संविधान का तत्कालीन भाग ’14क’ और वर्तमान भाग 17 संविधान का भाग बन गया।
बहस के बहस के बाद यह सहमति बनी कि संघ की भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। लेकिन देवनागरी में लिखे जाने वाले अंकों तथा अंग्रेजी को 15 वर्ष या उससे अधिक अवधि तक प्रयोग करने के लिए तीखी बहस हुई। अंतत अंकों को छोड़कर संघ की राजभाषा के प्रश्न पर अधिकतर सदस्य सहमत हो गए। स्वतंत्र भारत की राजभाषा के प्रश्न पर विचार विमर्श के पश्चात हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार करने का निर्णय लिया गया। जो भारतीय संविधान के भाग 17 के अध्याय की धारा 343 (1) में इस प्रकार वर्णित है,
“संघ की भाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।”
अंकों के बारे में यह स्पष्ट था कि अंतरराष्ट्रीय अंक भारतीय अंकों का ही नया संस्करण है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा स्वीकार करने के महत्वपूर्ण निर्णय के महत्व को प्रतिपादित करने तथा हिंदी को प्रत्येक क्षेत्र में प्रसारित और प्रचारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा के अनुरोध पर सन 1953 से संपूर्ण भारत में 14 सितंबर को प्रतिवर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। 1953 से प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।
कैसे कम हुआ हिंदी भाषा का महत्व
26 जनवरी 1950 को संविधान लागू होने पर देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी सहित 14 भाषाओं को आधिकारिक भाषाओं के रूप में आठवीं सूची में रखा गया। 26 जनवरी 1965 को अंग्रेजी की जगह हिंदी को पूरी तरह से देश की राजभाषा बनाया गया।
इसी बीच दक्षिण भारत के राज्यों को यह भय था कि हिंदी के आने से दक्षिण भारतीय उत्तर भारतीयों की तुलना में विभिन्न क्षेत्रों में कमजोर स्थिति में होंगे।
हिंदी विरोधी आंदोलन के बीच वर्ष 1963 में राजभाषा अधिनियम पारित किया गया जिसमें अंग्रेजी को आधिकारिक भाषा के रूप में प्रचलन से बाहर स्वीकृत करने का फैसला पलट दिया गया।26 जनवरी 1965 को हिंदी देश की आधिकारिक राजभाषा बनी लेकिन इसके बाद दक्षिण भारतीय राज्यों विशेषकर तमिलनाडु में आंदोलन और हिंसा का दौर चला। कई छात्रों ने आत्मदाह कर लिया।
इस उपद्रव के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की कैबिनेट में सूचना एवं प्रसारण मंत्री इंदिरा गांधी के प्रयासों से इस समस्या का समाधान निकाला गया। 1967 में राजभाषा अधिनियम में संशोधन कर यह तय किया गया की गैर हिंदी भाषी राज्यों के लिए अंग्रेजी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी जाए।
तब से लेकर कागजी तौर पर तो हिंदी राजभाषा बनी रही। लेकिन अंग्रेजी भाषा फलती फूलती रही। देश की सरकारी मशीनरी ने भी हिंदी की जगह अंग्रेजी को ही महत्व दिया। इस प्रकार सरकारी व्यवस्था पर अंग्रेजी भाषा की पकड़ आधिकारिक तौर पर और मजबूत होती गई।
2014 में मिला हिंदी भाषा को महत्व
कहते हैं सत्ता और वक्त चीजों को बदल देते है। हिंदी भाषा के साथ भी यही हुआ। 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो सरकारी राजकाज के कार्यों और विदेश नीति तक में हिंदी भाषा को महत्व मिलने लगा। प्रधानमंत्री अपने भाषण और संबोधन तथा ट्वीट सभी में हिंदी का प्रयोग करने लगे। केंद्रीय मंत्रियों द्वारा भी अधिकांश संवाद और ट्वीट हिंदी में किए जाने लगे। वैश्विक मंचों पर भी हिंदी को प्रधानमंत्री ने बढ़ावा दिया और अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी हिंदी भाषा को प्राथमिकता दी गई है। यहां तक की इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा पाठ्यक्रम भी हिंदी भाषा में शुरू किया जा रहे हैं।
हिंदी भाषा का महत्व (Significance of Hindi)
आज यदि भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है तो भारत की राजभाषा हिंदी विश्व- वाणी बनने की ओर अग्रसर है। विश्व के सर्व शक्तिशाली राष्ट्र अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा भी अमेरिकियों को हिंदी सीखने की नसीहत देते हुए कह चुके हैं की “हिंदी सीखे बिना भविष्य में काम नहीं चलेगा”। बराक ओबामा की यह चेतावनी अकारण नहीं है। संपूर्ण विश्व इस बात से परिचित हो रहा है कि भारत एक उभरती हुई विश्व शक्ति है।
हिंदी सबसे सरल एवं प्रयुक्त भाषा
वैज्ञानिक विषयों,प्रक्रियाओं और नियमों तथा घटनाओं की अभिव्यक्ति हिंदी में करना कठिन माना जाता है। लेकिन यह वास्तविकता से परे है। हिंदी की शब्द संपदा अथाह सागर की तरह है हिंदी सदानीरा सलिला की तरह सतत प्रवाहिनी है। जिसमें से निरंतर शब्द निकलते रहते हैं और अनेक शब्द समाहित भी होते रहते हैं।
भारत में भले ही कुछ लोगों द्वारा अंग्रेजी बोलना सम्मान की बात मानी जाती है किंतु अंग्रेजी का इतना महत्व विश्व के बहु संख्यक देशों में नहीं है। हिंदी बोलने में हिचक का एकमात्र कारण है अंग्रेजी माध्यम में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक बच्चा जितनी सरलता से अपनी मातृभाषा को ग्रहण कर सकता है उतनी किसी और भाषा को नहीं और अंग्रेजी भारतीयों की मातृभाषा नहीं है। अतः भारत में बच्चों को हिंदी माध्यम से शिक्षा प्रदान करना ही सर्वाधिक उपयुक्त है।
क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस (Why is Hindi Diwas Celebrated)
हिंदी एक मात्र ऐसी भाषा है जो भारत के सभी राज्यों और विश्व के अन्य देशों में बसे भारतीयों को आपस में जोड़ने का कार्य करती है। हिंदी भाषा को अधिक से अधिक प्रसारित करने के लिए हिंदी दिवस मनाया जाता है। क्योंकि अंग्रेजी के बढ़ते महत्व के कारण हिंदी भाषा अपना अस्तित्व खो रही है। हिंदी के प्रति अन्यमनस्कता को दूर करने के लिए लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हिंदी दिवस मनाया जाता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखना चाहते थे। उनका यह स्वप्न तो सरकार नहीं हुआ लेकिन हिंदी आज भी भारत की राजभाषा है।
कैसे मनाया जाता है हिंदी दिवस(How is Hindi Diwas Celebrated)
हिंदी दिवस के अवसर पर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी कार्यालयों, शिक्षा संस्थानों आदि में विविध गोष्ठियों, सम्मेलनों, वाद- विवाद प्रतियोगिताओं तथा अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन के अवसर पर कहीं- कहीं “हिंदी पखवाड़ा” तथा “राष्ट्रभाषा सप्ताह” आदि भी मनाए जाते हैं। यह सभी आयोजन हिंदी भाषा के प्रति अपने प्रेम और सम्मान को प्रकट करने के लिए तथा हिंदी के प्रचार, प्रसार के लिए अत्यंत स्वाभाविक है। क्योंकि हिंदी विश्व की प्राचीन समृद्धि एवं महान भाषा है।