July 27, 2024

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का इतिहास (History Of National Handloom Day)

हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है हथकरघा क्षेत्र। हथकरघा हमारे देश के ग्रामीण और अर्ध- ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक मुख्य स्रोत है। हथकरघा एक ऐसा क्षेत्र है जो सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। इस क्षेत्र में 70% से अधिक महिलाएं हैं। हथकरघा उद्योग पर्यावरण के अनुकूल होता है। इसमें ऊर्जा और पूंजी की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती। प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day)मनाया जाता है। इस दिन भारतीय ब्रांडो और खादी को विश्व भर में पहुंचाने की पहल की जाती है।

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राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National handloom Day) 2023,7 अगस्त

 हमारे देश की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है हथकरघा क्षेत्र। हथकरघा हमारे देश के ग्रामीण और अर्ध- ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका का एक मुख्य स्रोत है। हथकरघा एक ऐसा क्षेत्र है जो सीधे तौर पर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है। इस क्षेत्र में 70% से अधिक महिलाएं हैं। हथकरघा उद्योग पर्यावरण के अनुकूल होता है। इसमें ऊर्जा और पूंजी की अधिक आवश्यकता नहीं पड़ती। प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day)मनाया जाता है। इस दिन भारतीय ब्रांडो और खादी को विश्व भर में पहुंचाने की पहल की जाती है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का इतिहास (History Of National Handloom Day)

भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2015 की तारीख के राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में अधिसूचित किया गया था।
भारत सरकार ने 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। पहला राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day) 7 अगस्त 2015 को मनाया गया था। इसका समारोह चेन्नई में आयोजित किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे। कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने हथकरघा पर बने परिधानों को लोकप्रिय बनाने और बुनकर समुदाय को मदद पहुंचाने के लक्ष्य के साथ सोशल मीडिया पर “आई वियर हैंडलूम” अभियान की शुरुआत की। उनकी इस शुरुआत का सोशल मीडिया पर काफी बड़ी हस्तियों ने समर्थन किया और “आईवियर हैंडलूम हैशटैग”के साथ हथकरघा के वस्त्र पहने हुए तस्वीरें भी साझा की थी।

7 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(Why is National Handloom Day Celebrated Only on 7th August) ?

भारत सरकार ने 7 अगस्त की तारीख का चयन भारत की आजादी में इसके विशेष महत्व को देखते हुए किया। 7 अगस्त 1950 को कोलकाता के टाउन हॉल में एक महा जनसभा में स्वदेशी आंदोलन की औपचारिक रूप से शुरुआत की गई थी। इस आंदोलन के अंतर्गत घरेलू उत्पादों और उत्पादन प्रक्रियाओं का पुनरुत्थान शामिल था। भारत सरकार इसी दिन की स्मृति में प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day) के रूप में मनाने का निर्णय लिया था।

क्या है हथकरघा उद्योग (What is Handloom) ?

भारत में वस्त्र बनाने की दीर्घ एवं प्राचीन परंपरा रही है। वस्त्र निर्माण का कार्य भारत में सदियों से बड़े पैमाने पर किया जाता रहा है। कपड़े के निर्माण के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्रियों व तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।
कपड़े की बुनाई में दो प्रकार के धागों की प्रक्रिया चलती है “लंबवत एवं क्षैतिज”। इन्हें क्रमश: “ताना-बाना” कहा जाता है। लंबवत दिशा में प्रयुक्त किए जाने वाले धागों को ताना और क्षैतिज दिशा में बने जाने वाले धागों को बाना कहा जाता है। भारत में हथकरघा उद्योग सबसे बड़ा कपड़ा उद्योग रहा है। भारत के कुल वस्त्र उत्पादन का लगभग 30% कपड़ा इन्ही हथकरघा उद्योग द्वारा तैयार किया जाता है।

कैसे मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(How is National Handloom Day Celebrated) ?

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day)के अवसर पर हथकरघा बुनाई समुदाय का सम्मान किया जाता है और देश के सामाजिक, आर्थिक विकास में हथकरघा के योगदान पर प्रकाश डाला जाता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर हथकरघा विरासत की रक्षा करने और हथकरघा बुनकरों और कलाकारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और उनके उत्कृष्ट शिल्प कौशल पर गर्व पैदा करने का संकल्प लिया जाता है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व(Significance of National Handloom Day)

भारत में समय के साथ हथकरघा क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण कुटीर उद्योग के रूप में उभरा है। हथकरघा उद्योग प्राचीन काल से ही हाथ के कारीगरों को आजीविका प्रदान करता आया है। हथकरघा उद्योग से निर्मित सामानों का विदेशों में निर्यात किया जाता है। हथकरघा बुनकर रेशम, कपास और ऊन के शुद्ध रेशों का उपयोग कर माल तैयार करते हैं। हथकरघा दिवस का लक्ष्य भारत के सामाजिक, आर्थिक विकास में हथकरघा के योगदान को स्वीकार करना है। बुनकरो को काम के विकल्प की जानकारी देने के लिए प्रत्येक वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस(National Handloom Day)पर सरकार द्वारा कार्यशाला आयोजित की जाती है। हथकरघा उद्योग भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक अहम हिस्सा है।

हथकरघा दिवस मनाने का उद्देश्य (Objectives of National Handloom Day)

हथकरघा के सिद्धहस्त बुनकरों को सम्मानित करने तथा राष्ट्रीय स्तर पर इस उद्योग के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस (National Handloom Day)मनाया जाता है। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व और देश के सामाजिक, आर्थिक योगदान में इसके योगदान के बारे में जागरूकता फैलाना और हथकरघा को बढ़ावा देना, बुनकरों की आय में वृद्धि करना और उनके गौरव को बढ़ाना है।