July 27, 2024

World Human Rights Day 2023: विश्व मानवाधिकार दिवस पर जानिए इस दिन के इतिहास, उद्देश्य और थीम के विषय में

World Human Rights Day 2023 ( विश्व मानवाधिकार दिवस): प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day) मनाया जाता है। मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पुरानी है। यह प्राचीन काल से चली आ रही है

World Human rights Day 2023_ विश्व मानवाधिकार दिवस 2023

प्रत्येक वर्ष 10 दिसंबर को विश्व मानवाधिकार दिवस (World Human Rights Day) मनाया जाता है। मानव अधिकार सिद्धांत की संकल्पना सदियों पुरानी है। यह प्राचीन काल से चली आ रही है किंतु व्यावहारिक दृष्टि से इसका प्रारंभ द्वितीय विश्व युद्ध के भयंकर परिणाम के बाद हुआ,जब अंतरराष्ट्रीय शांति स्थापित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अंगीकृत किया।

विश्व मानवाधिकार (World Human Rights Day) का मुख्य उद्देश्य है, समानता, शांति, न्याय, स्वतंत्रता और मानव जाति की गरिमा की सुरक्षा को बढ़ावा देना। प्रत्येक व्यक्ति जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा या सामाजिक स्थिति के भिन्न होने के बावजूद मानवाधिकारों का हकदार है। किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है मानवाधिकार। भारतीय संविधान इस अधिकार के गारंटी तो लेता ही है साथ ही उसे तोड़ने वाले को सजा का भी प्रावधान है।

विश्व मानवाधिकार दिवस का इतिहास (History Of World Human Rights Day)

10 दिसंबर को संपूर्ण विश्व में Human Rights Day अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र ने 10 दिसंबर 1948 में पहली बार मानवाधिकारों को अपनाने की घोषणा की। हालांकि आधिकारिक तौर पर मानवाधिकार दिवस की घोषणा 10 दिसंबर 1950 में की गई। 1950 में संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों को आमंत्रित करने के बाद असेंबली ने 423(V) रेजोल्यूशन को पास कर सभी देशों और संबंधित संगठनों को इस दिन को मनाने की सूचना जारी की थी।

73 वर्ष पूर्व पारित हुआ विश्व मानवाधिकार दिवस घोषणा पत्र एक मील का पत्थर है जिसने समृद्धि, प्रतिष्ठा व शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के प्रति मानव की आकांक्षा प्रतिबिंबित की है।

भारत में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया। 12 अक्टूबर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया। आयोग के कार्य क्षेत्र में नागरिक और राजनीतिक के साथ-साथ आर्थिक सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार भी आते हैं।

क्या है मानव अधिकार(What are Human Rights) ?

मानव अधिकार का आशय ऐसे अधिकारों से है जो जाति, लिंग राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किए बिना सभी को प्राप्त होते हैं। मानवाधिकारों में मुख्यतः जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार, गुलामी और यातना से मुक्ति का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार तथा काम एवं शिक्षा का अधिकार आदि शामिल हैं।

मानवाधिकार ऐसे मानक है जो सभी जाति संप्रदाय की गरिमा को पहचानते हैं और उनकी रक्षा करते हैं। मानवाधिकार सार्वभौम एवं अभिभाज्य हैं। दुनिया में प्रत्येक जगह सभी लोग इसके हकदार हैं। इन्हें कोई भी स्वेच्छा से त्याग नहीं सकता और न हीं दूसरे उन्हें उससे छीन सकते हैं।

क्या है मानवाधिकार परिषद (What is Human Rights Council) ?

संयुक्त राष्ट्र प्रणाली के भीतर मानवाधिकार परिषद एक अंतर- सरकारी निकाय है जो कि मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण की दिशा में कार्य करता है। मानवाधिकार परिषद में संयुक्त राष्ट्र के 47 सदस्य देश शामिल हैं जिनका चयन संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया जाता है। सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा प्रक्रिया मानवाधिकार परिषद का अनूठा प्रयास माना जाता है जिसके अंतर्गत प्रत्येक 4 वर्ष में एक बार संयुक्त राष्ट्र के सभी 192 सदस्य देशों के मानवाधिकार रिकार्ड की समीक्षा की जाती है। मानवाधिकार के लिए उच्चायुक्त का कार्यालय मानवाधिकार परिषद के सचिवालय के रूप में कार्य करता है।

भारत में मानवाधिकार (Human Rights in India)

भारतीय संविधान में दो भागों में मानवाधिकार की सार्वभौम घोषणा में उल्लेखित लगभग सभी अधिकारों को शामिल किया गया है। संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक मौलिक अधिकारों का प्रावधान है जिसके अंतर्गत समानता का अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार, धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के विरुद्ध अधिकार, संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार तथा संवैधानिक उपचारों का अधिकार शामिल है।

इसी प्रकार संविधान के अनुच्छेद 36 से 51 तक राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत के अनुसार काम का अधिकार,रोजगार चयन का अधिकार,समान काम तथा समान वेतन का अधिकार, बेरोजगारी के विरुद्ध सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, मुफ्त कानूनी सलाह का अधिकार तथा मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार शामिल है।

भारत में कब हुआ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन (When did National Human Rights Commission Organise in India) ?

भारत में 28 सितंबर 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया। 12 अक्टूबर 1993 में मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का गठन किया।

क्या है राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (What is National Human Rights Commission of India) ?

भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(National Human Rights Commission) मानवाधिकार दिवस के उत्सव को विश्व भर में विभिन्न हित धारकों के लिए एक अवसर के रूप में देखता है, जिससे वह अपने कार्य और कर्तव्य पर चिंतन कर सकें और यह सुनिश्चित कर सकें कि वह मानवाधिकार के उल्लंघन का कारण ना बनें।

मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम के तहत 12 अक्टूबर 1993 को अपनी स्थापना के बाद से भारत के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भारत के संविधान के अनुरूप यूनिवर्सल डिक्लेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (UDHR)को रेखांकित करते हुए विभिन्न विश्व निकायों और राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के वैश्विक गठबंधन, द ग्लोबल एलाइंस का नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशन (GANHRI)और एशिया पेसिफिक फोरम (APF)में चर्चाओं के तहत देश में मानवाधिकारों के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानाे के लिए संयुक्त राष्ट्र पेरिस सिद्धांतों का अनुपालन करता है और मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए (GANHRI) के साथ ‘ए’ ग्रेड मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान बना हुआ है तथा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राष्ट्रों और उनके राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थानों की मानवाधिकार स्थिति का आकलन करने के लिए वर्ष 2006 में शुरू हुए चार सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा (UPR) का हिस्सा रहा है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग 1994 से राष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थान के एशिया पेसिफिक फोरम(APF)का संस्थापक सदस्य भी है। वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष न्याय मूर्ति श्री अरुण मिश्रा APF की अधिकार प्राप्त शासन समिति के सदस्य होने के साथ-साथ GANHRI ब्यूरो के सदस्य हैं।

भारत का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(National Human Rights Commission of India)नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार कार्य कर रहा है।

विश्व मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य (Objective of World Human Rights Day )

विश्व मानवाधिकार दिवस का उद्देश्य है, सामान्य, शांति, न्याय, स्वतंत्रता और मानव गरिमा की सुरक्षा को बढ़ावा देना। प्रत्येक व्यक्ति जाति, रंग, धर्म, लिंग, भाषा या सामाजिक स्थिति के भिन्न होने के बावजूद मानवाधिकारों का हकदार है।

अतः मानवाधिकार दिवस मनुष्य के लिए वास्तविक अधिकार प्राप्त करने के लिए विश्व भर में मनाया जाता है जिसके मुख्य उद्देश्य हैं, दुनिया भर में लोगों के बीच में मानवाधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाना, मानवाधिकारों की स्थिति में प्रगति के लिए संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रयासों पर जोर देना, एक साथ मानवाधिकार के विशिष्ट समूहों को शामिल करने के लिए सहयोग और चर्चा करना तथा अल्पसंख्यक समूह जैसे- महिलाओं, नाबालिगों, युवाओं, गरीबों, विकलांग व्यक्तियों और अन्य को राजनीतिक निर्णय लेने में भाग लेने और मनाने के लिए प्रोत्साहित करना।

कैसे मनाया जाता है विश्व मानवाधिकार दिवस (How is World Human Rights Day Celebrated) ?

विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर मानवाधिकारों के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रम और राजनीतिक सम्मेलनों, प्रदर्शनियों, वाद- विवाद और कई प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। मानवाधिकार कार्यक्रमों में कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। मानवाधिकार दिवस पर बच्चों के साथ-साथ युवाओं को अपने मानवाधिकारों के बारे में सीख लेने के उद्देश्य से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

विश्व मानवाधिकार दिवस 2023 की थीम (Theme of World Human Rights Day,2023)

मानवाधिकार दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को अधिक प्रभावशाली और सफल बनाने के लिए एक विशेष विषय का निर्धारण किया जाता है। वर्ष 2023 के विश्व मानवाधिकार दिवस का विषय (Theme) है-

“ सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय।”
(Freedom, Equality and Justice for All).

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