July 27, 2024

असम का महान योद्धा लचित बोरफूकन, जिसने मुगलों को परास्त किया (Lachit Barphukan, the great warrior of Assam, who defeated the Mughals)

प्राचीन भारत के कई प्रान्तों में ऐसे अनेक वीर योद्धा थे जिन्हें इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर ऐसे वीर सपूतों की देशवासियों को याद दिलाते रहे हैं।इन्हीं में से एक हैं असम के महान योद्धा लचित बोरफुकन जिनकी जयंती (24 नवंबर )के अवसर पर प्रधानमंत्री ने उनके योगदान को याद किया।उन्होंने लचित बोरफुकन को असम का एक आदर्श नायक बताया।आइए जानते हैं कौन हैं लचित बोरफुकन (24नवंबर1622-25अप्रैल1672)
There were many brave warriors in many provinces of ancient India who did not get the place they deserved in history. Prime Minister Shri Narendra Modi has been reminding the countrymen of such brave sons from time to time. One of them is the great warrior of Assam, Lachit Borphukan, on whose birth anniversary (November 24), the Prime Minister remembered his contribution. Was described as an ideal hero of Assam. Let us know who is Lachit Borphukan (24 November 1622-25 April 1672)

Lachit Barphukan (लाचित बरफूकन)

प्राचीन भारत के कई प्रान्तों में ऐसे अनेक वीर योद्धा थे जिन्हें इतिहास में वो स्थान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर ऐसे वीर सपूतों की देशवासियों को याद दिलाते रहे हैं।इन्हीं में से एक हैं असम के महान योद्धा लचित बोरफुकन (Lachit Barphukan) जिनकी जयंती (24 नवंबर )के अवसर पर प्रधानमंत्री ने उनके योगदान को याद किया।उन्होंने लचित बोरफुकन (Lachit Barphukan) को असम का एक आदर्श नायक बताया।

आइए जानते हैं कौन हैं लचित बोरफुकन ? ( let's know who is lachit borphukan (24 november 1622-25 april 1672)?

अहोम साम्राज्य ,जो कि वर्तमान में असम राज्य के नाम से जाना जाताहै ,के शासक चक्रध्वज सिंह थे और यहां के सेनापति थे लचित बोरफुकन (Lachit Barphukan)। मुगल सम्राट औरंगजेब अहोम साम्राज्य पर कब्जा करने के लिये राम सिंह प्रथम के नेतृत्व में सेना भेजी।

जब मुगलों ने सराईघाट(Saraighat)  में ब्रह्मपुत्रनदी से आक्रमण किया तो असम के सैनिक हताश हो गए, कुछ सैनिक पीछे हट गए।गंभीर रूप से बीमार होते हुए भी लचित एक नाव में सवार हुए और सात नावों के साथ मुगल सेना की ओर बढ़े।

उन्होंने सैनिकों से कहा “आप भागना चाहते हैं तो भाग जाए महाराज ने मुझे एक कार्य सौंपा है और मैं इसे अच्छी तरह पूरा करूँगा । यदि मुगल मुझेबन्दी बना ले तो आप महराज से कहियेगा कि सेनाध्यक्ष ने उनके आदेश का पालन किया और युद्ध किया “। इतना सुनते ही उनके सैनिक लामबंद हो गए और ब्रम्हपुत्र नदी में एक भीषण युद्ध हुआ।

लचित बोरफुकन विजयी हुये। मुगल सेनापति ने अहोम सेनापति लचित के हाथो अपनी पराजय स्वीकार कर ली और राजा को लिखा कि “महराज की जय हो! देश की जय हो! केवल एक ही व्यक्ति सभी शक्तियों का नेतृत्व करता है। मै राम सिंह भी लचित के साहस का कायल हो गया।
सराईघाट का युद्ध (Battle of Saraighat) लचित द्वारा पानी पर लड़ी गयी महान लड़ाई के रूप में जानी जाती है।