April 22, 2025
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महाकुंभ 2025: मौनी अमावस्या पर होगा दूसरा अमृत स्नान, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

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MahaKumbh 2025, मौनी अमावस्या: महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को संपन्न हुआ, जिसमें भारी संख्या में श्रद्धालुओं और साधु-संतों ने गंगा में पवित्र डुबकी लगाई। अब महाकुंभ के दूसरे अमृत स्नान का इंतजार किया जा रहा है, जो मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर 29 जनवरी को होगा। महाकुंभ के अमृत स्नान को धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायक और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग माना गया है।

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मौनी अमावस्या का महत्व

इस वर्ष मौनी अमावस्या के दिन ग्रहों का दुर्लभ संयोग बन रहा है। चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में होंगे, जबकि गुरु वृषभ राशि में स्थित रहेगा। यह योग स्नान के महत्व को और भी बढ़ा देता है। हिंदू धर्म के अनुसार, मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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अमृत स्नान का पुण्य फल

कहा जाता है कि महाकुंभ के दौरान अमृत स्नान करने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। पवित्र नदियों में डुबकी लगाने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन स्नान और दान करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।

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महाकुंभ 2025 का दूसरा अमृत स्नान कब होगा?

महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या के दिन होगा। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 जनवरी की शाम 7:35 बजे शुरू होगी और 29 जनवरी की शाम 6:05 बजे समाप्त होगी। इस दौरान लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर स्नान करेंगे।

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स्नान और दान का शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या पर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान और दान का विशेष महत्व है। 29 जनवरी को ब्रह्म मुहूर्त सुबह 5:25 बजे से 6:19 बजे तक रहेगा। यदि इस मुहूर्त में स्नान न हो सके, तो दिनभर सूर्योदय से सूर्यास्त तक यह कार्य किया जा सकता है।

पितरों के तर्पण का महत्व

मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना भी अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन संगम में स्नान के साथ पितरों के लिए दान-पुण्य करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और परिवार को आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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महाकुंभ 2025 के अमृत स्नान की तिथियां

  • पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025
  • मकर संक्रांति: 14 जनवरी 2025
  • मौनी अमावस्या: 29 जनवरी 2025
  • बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025
  • माघ पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
  • महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025

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महाकुंभ 2025 के इन पवित्र स्नान पर्वों में शामिल होकर श्रद्धालु अपने जीवन को पुण्यमय बना सकते हैं।

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