July 27, 2024

आम इंसान के शरीर से कपड़े और जूते तक उतार लेना चाहती है: विधायक चिल्लूपार

श्री विनय शंकर तिवारी ने कहा,”जब से भाजपा की सरकार बनी है छोटे व्यपारियों के लिए व्यवसाय करना मुश्किल होता जा रहा है। पहले नोटबन्दी के तुगलकी फैसले ने उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा किया। जबतक वे अपने व्यापार को गति दे पाते कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन ने उन्हें तोड़ दिया। अब बाजार जैसे तैसे खड़ा होने की कोशिश कर रहा है, भाजपा सरकार ने जीएसटी 5 से 12 फीसदी करने का एक और तानाशाही फैसला ले लिया।”

विनय शंकर तिवारी ( विधायक चिल्लूपार )

विनय शंकर तिवारी ( विधायक चिल्लूपार )

लखनऊ: केंद्र की भाजपा सरकार गरीबों के तन से कपड़े और जूते तक उतार लेने पर आमादा है। केंद्र सरकार द्वारा कपड़ों और जूतों पर जीएसटी की दर 5% से 12% बढ़ाने के फैसले को कटघरे में खड़ा करते हुए समाजवादी पार्टी के नेता व चिल्लूपार विधायक श्री विनय शंकर तिवारी ने तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि इस फैसले से न केवल मध्यम व लघु स्तर के व्यापारी बर्बाद हो जाएंगे बल्कि आम जनता भी जरूरी कपड़े और जूते खरीदने से महरूम हो जाएगी।

उन्होंने कहा, “क्या देश के प्रधानमंत्री और वित्तमंत्री को नहीं मालूम कि कोविड लॉकडाउन के चलते व्यापारियों का बड़ा स्टॉक वैसे ही फंसा हुआ है। जीएसटी की दर 5 से 12 फीसदी होने के चलते उनके माल की बिकवाली नही होगी और उनके सामने भुखमरी का संकट पैदा हो जाएगा।”

श्री विनय शंकर तिवारी ने कहा , “सरकार लगातार जन-विरोधी फैसले ले रही है, इसकी सजा जनता आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों में देगी। देश का कपड़ा उद्योग कृषि के बाद सबसे बड़ा उद्योग है और आम जनता से सीधा जुड़ा हुआ है। पहले सरकार ने किसानों का अहित करने वाला कृषि बिल लाने का फैसला लिया, जिसे भारी जन-विरोध और सुप्रीम कोर्ट की दखलंदाजी के बाद वापस लेना पड़ा। अब आम जनता से जुड़े कपड़ा उद्योग को चौपट करने के लिए जीएसटी की दरें बढा दी गईं। जनता जाग चुकी है और इस तुगलकी फैसले को भी सरकार को वापस लेने पर विवश होना ही पड़ेगा।”

श्री विनय शंकर तिवारी ( विधायक चिल्लूपार ) ने कहा,”जब से भाजपा की सरकार बनी है छोटे व्यपारियों के लिए व्यवसाय करना मुश्किल होता जा रहा है। पहले नोटबन्दी के तुगलकी फैसले ने उनके सामने आजीविका का संकट खड़ा किया। जबतक वे अपने व्यापार को गति दे पाते कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन ने उन्हें तोड़ दिया। अब बाजार जैसे तैसे खड़ा होने की कोशिश कर रहा है, भाजपा सरकार ने जीएसटी 5 से 12 फीसदी करने का एक और तानाशाही फैसला ले लिया।”