राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी पहली बार चुनावी मैदान में दिखाएंगे दम
पीयूष गोयल, Lok Sabha Election: राज्यसभा में नेता सदन और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। राज्यसभा के सदस्य के रूप में केंद्र सरकार में कई मंत्रालयों को संभाल रहे पीयूष गोयल ने अभी तक लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा था लेकिन 59 वर्ष की उम्र में वह पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि भाजपा 60 के लोगों को चुनावी मैदान में उतारने से करती रही है। ऐसे में 60 के करीब पहुंच चुके पीयूष गोयल को पहली बार चुनाव मैदान में उतारना,पार्टी की सोची समझी रणनीति तो है ही पीयूष गोयल की लोकप्रियता भी इसका बड़ा कारण है।
वैसे तो पीयूष गोयल पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं लेकिन वह राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं। इस बार भाजपा ने कई राज्यसभा सांसदों को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला किया है और पार्टी ने इसी निर्णय के तहत पीयूष गोयल को भी मुंबई उत्तर सीट से चुनाव मैदान में उतारा है जहां उनका मुकाबला कांग्रेस के भूषण पाटिल से है। भूषण पाटिल कांग्रेस की मुंबई इकाई के उपाध्यक्ष हैं।
विरासत में मिली राजनीति
पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट पीयूष गोयल को राजनीति विरासत में मिली है। उनके पिता वेद प्रकाश गोयल बीजेपी के प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं में शुमार किए जाते थे। पीयूष गोयल के पिता वेद प्रकाश गोयल प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में केंद्रीय नौवहन मंत्री रहे। वह दो दशकों से ज्यादा समय तक भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष भी थे। उनकी माता चंद्रकांता गोयल मुंबई से ही तीन बार महाराष्ट्र विधानसभा के लिए चुनी गई थी। पीयूष गोयल ने अपनी 35 वर्षों से ज्यादा लंबे सक्रिय राजनीतिक कैरियर के दौरान भारत के सबसे बड़े राजनीतिक दल, भारतीय जनता पार्टी में विभिन्न स्तरों और कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत है।
पीयूष गोयल का सियासी सफर
13 जून 1964 को मुंबई महाराष्ट्र में जन्मे पीयूष गोयल के पिता ने लंबे समय तक भाजपा के सदस्य के रूप में कार्य किया। बचपन से ही तीव्र बुद्धि पीयूष गोयल ने CA में भारत में तृतीय रैंक प्राप्त कर एक रिकॉर्ड बनाया था। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री भी हासिल की।
पीयूष गोयल राज्यसभा सदस्य बनने से पहले एक निवेश बैंकर थे। अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए पीयूष गोयल 1984 में भाजपा में शामिल हुए। भाजपा के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक कैरियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। फिलहाल वह राज्यसभा के सदस्य हैं।
2001 से 2004 तक वह बैंक ऑफ़ बड़ौदा के निदेशक रहे। भारत सरकार में नदियों को जोड़ने के लिए गठित टास्क फोर्स के सदस्य भी थे। 2004 में उन्हें भारतीय स्टेट बैंक के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया। गोयल 2010 में बीजेपी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने। उसी साल वह राज्यसभा के लिए चुने गए। 2012 के बाद वह राज्यसभा के सदस्यों को कंप्यूटर प्रदान करने संबंधी समिति के सदस्य बने। 2014 की मोदी सरकार में 27 मई को गोयल को बिजली, कोयला और नवीन एवं नवीकरण ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया ।
2010 से अब तक हैं राज्यसभा सदस्य
2017 में वह कैबिनेट मंत्री बने और रेल मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के अस्वस्थ होने पर उन्होंने कुछ समय के लिए वित्त मंत्रालय भी संभाला। 2019 में दोबारा भाजपा के सत्ता में आने पर वह रेल मंत्रालय के साथ वाणिज्य व उद्योग मंत्री बने। 2020 में पीयूष गोयल को खाद्य उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय भी मिला। इसके बाद राज्यसभा में उप नेता भी बने और 2021 में कपड़ा मंत्रालय भी मिला। गोयल ने अपनी विभिन्न भूमिकाओं को सफलतापूर्वक निभाया। पीयूष गोयल 2010 में पहली बार राज्यसभा के लिए चुने गए और तब से अब तक लगातार राज्यसभा सदस्य है।
पीयूष गोयल और भूषण पाटिल के बीच रोचक मुकाबले के आसार
महाराष्ट्र में दो बड़े गठबंधनों के बीच मुकाबला है। पीयूष गोयल एनडीए के राज्य में प्रमुख चेहरों में शुमार है वहीं राज्य में इस बार बटी हुई शिवसेना और एनसीपी भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन में बांट गई है। ऐसे में दो गठबंधनों के बीच मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है।