July 27, 2024

क्या है कच्चाथीवु द्वीप का इतिहास, जिस पर मचा है सियासी घमासान ? Kachchatheevu Island Issue

Kachchatheevu Island Issue: भारत का एक अंग कच्चाथिवु द्वीप का मुद्दा एक आरटीआई आवेदन से निकलकर आई जानकारी के कारण एक बार फिर सुर्खियों में है। तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने आरटीआई दायर कर कच्चाथिवु के बारे में पूछा था। आरटीआई को मिले जवाब के बाद तमिलनाडु का कच्चाथिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने का मुद्दा गरमा गया है। आरटीआई के मुताबिक 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। अब इस पर सियासी घमासान मच गया है। पीएम मोदी ने अपने एक ट्वीट में इसका जिक्र किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा-

What is the history ofKatchatheevu island, over which there is political turmoil?

Kachchatheevu Island Issue: भारत का एक अंग कच्चाथिवु द्वीप का मुद्दा एक आरटीआई आवेदन से निकलकर आई जानकारी के कारण एक बार फिर सुर्खियों में है। तमिलनाडु के भाजपा अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने आरटीआई दायर कर कच्चाथिवु के बारे में पूछा था। आरटीआई को मिले जवाब के बाद तमिलनाडु का कच्चाथिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने का मुद्दा गरमा गया है। आरटीआई के मुताबिक 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था। अब इस पर सियासी घमासान मच गया है। पीएम मोदी ने अपने एक ट्वीट में इसका जिक्र किया। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा-

“आंखें खोलने वाली, चौका देने वाली बात, नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चाथिवु द्वीप को छोड़ दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते।भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 सालों से कांग्रेस का काम रहा है।”

क्या है कच्चाथिवु द्वीप का इतिहास(What is the History of Kachchatheevu Island ) ?

कच्चाथिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिणी छोर पर है। 285 एकड़ में फैला यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच बना हुआ है। इस द्वीप पर कोई इंसान नहीं रहता है। यह भारतीय तट से लगभग 33 किलोमीटर की दूरी पर रामेश्वरम के उत्तर पूर्व में स्थित है। श्रीलंका के जेफाना से यह लगभग 62 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत और श्रीलंका के मछुआरे इसका इस्तेमाल करते रहे हैं। Kachchatheevu तमिलनाडु के मछुआरों के लिए सांस्कृतिक रूप से अहम है।

17 वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरई के राजा रामानंद के अधीन था। अंग्रेजों के शासनकाल में कच्चाथीवु द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया उस समय यह द्वीप मछली पालन के लिए बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता था। इसी वजह से भारत और श्रीलंका मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना,अपना दावा करते थे। आजादी के बाद समुद्र की सीमा को लेकर 1974- 76 के बीच किए गए समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप पर आराम करने और जल सुखाने की इजाजत दी गई और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया।

यह द्वीप भारत के श्रीलंका और रामेश्वरम के बीच बना हुआ है। वर्ष 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका के राष्ट्रपति श्रीमाओ भंडारनायके के बीच एक समझौता हुआ। समझौते के तहत इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को कच्चाथिवु दीप सौंप दिया था। इस समझौते को लेकर 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच बातचीत हुई। बैठक के बाद ही कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया गया। शर्त यह थी कि भारतीय मछुआरे इस द्वीप का इस्तेमाल जल सुखाने और आराम करने के लिए करते रहेंगे। समझौते में यह भी कहा गया था कि इस द्वीप पर बने चर्च में भारतीयों को बिना वीजा जाने की इजाजत नहीं होगी और ना ही भारतीय मछुआरे यहां पर मछलियां पकड़ सकेंगे।

Kachchatheevu द्वीप श्रीलंका को सौंपने का तमिलनाडु में हुआ पुरजोर विरोध

जब इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को यह द्वीप सौंपा तो तमिलनाडु में सबसे ज्यादा विरोध हुआ था। तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि ने इसका जोरदार विरोध किया था। इसको लेकर 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गया। प्रस्ताव में कच्चाथिवु द्वीप को वापस लेने की मांग की गई। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा। 2008 में तत्कालीन सीएम जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कच्चाथिवु को लेकर हुए समझौते को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी। याचिका में यह कहा गया कि श्रीलंका को तोहफे में इस द्वीप को देना असंवैधानिक है।

कच्चाथिवु द्वीप को लेकर समय-समय पर सियासी घमासान हुआ। 2011 में जब जयललिता दोबारा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने इसको लेकर विधानसभा में प्रस्ताव पास कराया। वर्तमान में तमिलनाडु के कई हिस्सों में मछलियां खत्म हो गई हैं। भारतीय मछुआरे मछलियों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करते हुए कच्चाथिवु द्वीप पहुंचते हैं। कई बार भारतीय मछुआरों को श्रीलंका की नौसेना हिरासत में ले चुकी है।

2024 में भी चुनावी मुद्दा बना कच्चाथिवु द्वीप

अब लोकसभा चुनाव के बीच एक बार फिर कच्चाथिवु द्वीप बहस का विषय बन गया है। कच्चाथिवु द्वीप को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। यह द्वीप अब चुनावी मुद्दा बन गया है।